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Russia ukraine conflict:पुतिन का दांव,बाइडन चित,बिना हमला रूस ने यूक्रेन को तोड़ा,UNSC में आपात बैठक,जानें पूरा खेल

हालांकि रूस के इस कदम से अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन और नाटो में खासी नाराजगी व्याप्त हो गई है।अमेरिका सहित नाटो का हिस्सा रहे सभी देशों ने रूस के इस कदम की कड़ी निंदा की है।

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मास्‍को/कीव:रुस और यूक्रेन विवाद(Russia-Ukraine-conflict)में उस वक्त रोमांचक मोड़ आ गया जब यूक्रेन पर बिना हमला किए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(Vladimir-Putin)ने यूक्रेन(Ukraine) को तोड़ दिया।

रूस ने यूक्रेन के दो विद्रोही इलाकों को अलग देश की मान्यता दे दी(Russia-Ukraine-conflict-Vladimir-Putin-recognises-independence-eastern-Ukraine)है।

इतना ही नहीं, रूस(Russia)की सेना पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क (donetsk) और लुहान्स्की (luhansk)इलाके पहुंच गई है।

पुतिन के इस कदम ने अमेरिका(US)और नाटो(NATO) को चारों खाने चित कर(US NATO-backfoot) दिया।

चूंकि अमेरिका बीते कई दिनो से रूस को चेतावनी दे रहा था कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। विध्वंसकारी युद्ध होगा।

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हालांकि रूस के इस कदम से अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन और नाटो में खासी नाराजगी व्याप्त हो गई है।अमेरिका सहित नाटो का हिस्सा रहे सभी देशों ने रूस के इस कदम की कड़ी निंदा की है।

पुतिन के इस कदम के बाद अब संयुक्‍त राष्‍ट्र(UNSC)में आपात बैठक हो रही(UNSC emergency meet)है।

इससे पहले अमेरिका ने यूक्रेन पर रूसी हमले की चेतावनी दी थी लेकिन पुतिन ने करीब दो लाख सैनिक तैनात करने के बाद भी हमला नहीं किया और विद्रोही इलाकों को मान्‍यता दे दी।

विशेषज्ञों के मुताबिक पुतिन के इस दांव से अब नाटो बुरी तरह से फंस गया है।

 

 

चलिए आपको विस्तार से समझाते है यूक्रेन के खिलाफ रूस पूरा खेल:

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एशिया टाइम्‍स की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन का डोनेट्स्क और लुहान्स्की इलाका साल 2014 से ही रूस समर्थक अलगाववादियों के कब्‍जे में है। इसलिए रूस के मान्‍यता देने से जमीनी स्‍तर पर कोई बदलाव नहीं आया है।

रूस का यूक्रेन के दो इलाकों को मान्‍यता देना ठीक उसी तरह से है जैसे रूस ने वर्ष 1993 में दक्षिणी ओसेतिया और अबखाजिया को मान्‍यता दी थी।

रूस और जार्जिया के साथ युद्ध के बाद ये दोनों ही ज‍िले जार्जिया से अलग हो गए थे।

विशेषज्ञों के मुताबिक रूस के कदम से जमीनी स्‍तर पर भले ही कोई बदलाव न आए लेकिन यूक्रेन अब हमेशा के लिए अस्थिरता की स्थिति में पहुंच गया है।

 

 

रूस की स्थिति भविष्य के लिए हुई मजबूत

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यही नहीं डोनेट्स्क और लुहान्स्की को मान्‍यता देने से रूस अब यूक्रेन की स्थिति को लेकर भविष्‍य में होने वाली किसी भी बातचीत के दौरान मजबूत स्थिति में पहुंच गया है।

इससे पहले पिछले सप्‍ताह ही रूस की संसद ने एक प्रस्‍ताव को पारित किया था और दोनों ही क्षेत्रों को मान्‍यता दी थी।

एशिया टाइम्‍स के मुताबिक पश्चिमी देशों के विश्‍लेषक रूस के विद्रोही इलाकों को मान्‍यता देने कदम को जहां हमला बता रहे हैं, वहीं अभी यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि पुतिन के इस कदम का मतलब बा‍की यूक्रेन पर हमला है या नहीं।

रूस के इस कदम से नाटो सदस्‍य देश दबाव में आ गए हैं। अब उन्‍हें यूक्रेन संकट(Ukraine Crisis) का ऐसा हल निकालना होगा जो रूस को भी स्‍वीकार हो।

वहीं अगर रूस वास्‍तव में हमला करता है तो नाटो देशों को अमेरिका की पूरी मदद करनी ही होगी। उधर, पुतिन के लिए अब हर विकल्‍प खुले हुए हैं और गेंद अमेरिका समेत नाटो देशों के पाले में है।

रूस के सेना भेजने के बाद अमेरिका ने कहा कि वह कड़े प्रतिबंध लगाएगा लेकिन अभी तक उसने यह नहीं बताया है कि ये प्रतिबंध क्‍या होंगे। नाटो देशों के पास इतनी आधुनिक सेना नहीं है कि वह रूस की आधुनिक सेना का मुकाबला कर सके।

 

रूस पर तेल और गैस के लिए निर्भर है नाटो

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एशिया टाइम्‍स की रिपोर्ट में कहा गया है कि नाटो देश रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाएंगे लेकिन उनके पास रूस के तेल और गैस का कोई विकल्‍प नहीं है। रूस के पास 630 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है और वह अमेरिका के प्रतिबंधों पर सामना करने की स्थिति में है।

इस बात की संभावना कम ही है कि नाटो देश अमेरिका के कड़े प्रतिबंधों का समर्थन करें क्‍योंकि रूस के कदम से जमीनी स्‍तर पर कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। साथी रूस की सेना यूक्रेन के कब्‍जे वाले इलाके में अभी तक नहीं घुसी है।

अपने भाषण में पुतिन ने कहा है कि नाटो पहले ही यूक्रेन को अपना सदस्‍य बनाने के लिए योजना बना चुका है। इससे सैन्‍य विमान और छोटी और मध्‍यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें रूसी सीमा तक पहुंच जाएंगी।

पुतिन ने कहा, ‘इससे नाटो को यूराल पहाड़ के पूरे हवाई क्षेत्र का नियंत्रण मिल जाएगा। इससे मिसाइलें मास्‍को या खारकोव को मात्र कुछ मिनट में ही निशाना बना सकेंगी।’

पुतिन ने यह भी दोहराया कि अमेरिका और अन्‍य नाटो देशों ने 1990 में वादा किया था कि नाटो का विस्‍तार पूरब की ओर नहीं किया जाएगा।

 

 

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(इनपुट एजेंसी से भी)
Ravi