GDP में रिकॉर्ड गिरावट के बाद विपक्ष का वार, सरकार ने कहा हम थे कोरोना पे सवार
8.21 लाख करोड़ रुपये हो गया राजकोषीय घाटा, पहली तिमाही में GDP ग्रोथ रेट माइनस 23.9% रही, भारत की जीडीपी ग्रोथ में ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिली l
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नई दिल्ली (समयधारा) : कोरोना ने विदेश ही नहीं देश की भी हालत खस्ता कर दी l भारत कोरोना के वजह से काफी पीछे चला गया l
पिछले दिनों देश के आर्थिक हालात की तस्वीर सामने आई l
भारत की जीडीपी ग्रोथ में ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिली l
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (Q1) के जीडीपी (GDP) के आंकड़े जारी कर दिए हैं।
इस वर्ष की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ रेट माइनस 23.9% रही।
यह पिछले 40 साल में अब तक की सबसे खराब GDP ग्रोथ रेट है।
आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की दर 3.1% थी।
वहीं, NSO के आंकड़ों के मुताबिक जीवीए (Gross value added- GVA) में 22.8% की गिरावट आई है।
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NSO द्वारा 31 अगस्त को जारी आंकड़ों के मुताबिक,
अप्रैल-जुलाई में भारत का राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) 8.21 लाख करोड़ रुपये रहा।
जबकि इसी अवधि में पिछले वर्ष यह 5.47 लाख करोड़ रुपये था। पहली तिमाही में कुल राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 103.1% तक पहुंच गया है।
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के मुताबिक, इस तिमाही में 8 कोर इंडस्ट्रीज का कम्बाइंड इंडेक्स 119.9 रहा।
इसमें पिछले साल के मुकाबले 9.6% की कमी आई है।
मंत्रालय के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 के Q1 में इन आठ कोर इंडस्ट्रीज का ग्रोथ माइनस 20.5% रहा।
कोरोना वायरस महामारी और उसको रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के कारण इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन गिरा है,
उत्पादन में बेतहाशा कमी आई है और रोजगार के आंकड़ों में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है।
आरबीआई (RBI) से लेकर तमाम रेटिंग एजेंसियां GDP में बड़ी गिरावट की आशंका पहले ही जता चुकी हैं।
RBI ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष में GDP ग्रोथ नेगेटिव रह सकती है।
वहीं, उद्योग मंडल फिक्की (FICCI) ने जुलाई में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 4.5% नीचे जाएगी।
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कोरोना वायरस महामारी का सबसे अधिक मार होटल और टूरिज्म सेक्टर पर पड़ी है।
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में होटल इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट -47% रही।
NSO के आंकडों के मुताबिक, पहली तिमाही में इंडस्ट्रियल सेक्टर में GDP ग्रोथ रेट माइनस 38.1% रही।
वहीं, सर्विसेज सेक्टर में आर्थिक विकीस की दर -20.6% दर्ज की गई।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की बात करें तो इसमें GDP की दर माइनस 39.3% रही।
केवल एग्रीकल्चर ही ऐसा सेक्टर रहा जिसमें सकल घरेलू उत्पाद की दर पॉजिटिव में रही।
कोरोना काल में एग्रीकल्चर सेक्टर का ग्रोथ रेट 3.4% रहा।
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यह पिछले साल के मुकाबले 0.4% अधिक है।
इसके अलावा माइनिंग में -23.3%, पावर एंड गैस में -7%, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में -10.3%, कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में सर्वाधिक -50.3% और रियल एस्टेट में -5.3% GDP ग्रोथ रेट रही।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट डीके जोशी (D.K.Joshi) ने कहा कि हमने जो अनुमान लगाए थे,
ये आंकड़े उसी की अनुरूप हैं। लॉकडाउन के कारण ग्रोथ रेट और इंवेस्टमेंट में कमी आना लाजमी है।
लेकिन मेरा असली सवाल यह है कि पहले किस चीज में सुधार आएगा, इंवेस्टमेंट में या डिमांड और कंजम्पशन में।
वहीं, IDFC के चीफ इकोनॉमिस्ट इंद्रनील ने कहा,
मेरा अनुमान है कि इस वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में जाकर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) 4% तक पहुंचेगा।
इसके बाद ही हम RBI से Interest rates में किसी प्रकार की कटौती की उम्मीद कर सकते हैं।
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(इनपुट मनीकण्ट्रोल हिंदी से)