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बैसाखी 2025: जानिए इस खास पर्व का महत्व, क्यों और कौन मनाता है.

Baisakhi क्या है..? बैसाखी 2025 में कब है..? बैसाखी कौन मनाता है..? जानें बैसाखी से जुड़ीं सभी महत्वपूर्ण बातें.

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बैसाखी 2025: जानिए इस खास पर्व का महत्व, क्यों और कौन मनाता है

बैसाखी क्या है? (What is Baisakhi..?)

बैसाखी (Baisakhi-Vaisakhi) भारत का एक प्रमुख पारंपरिक पर्व है,

जिसे हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है।

यह पर्व बैसाख माह के पहले दिन आता है और यह सौर नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।

बैसाखी का विशेष महत्व कृषि, धर्म और संस्कृति तीनों से जुड़ा हुआ है।

बैसाखी 2025 कब है? (When is Baisakhi in 2025..?)

इस वर्ष बैसाखी 13 अप्रैल 2025, रविवार के दिन मनाई जाएगी। यह दिन देशभर में हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।

बैसाखी क्यों मनाई जाती है? (Who celebrates Baisakhi ..? )

1. फसल कटाई का त्योहार:

बैसाखी मुख्य रूप से किसानों का त्योहार है। इस दिन रबी की फसल (जैसे गेहूं) पूरी तरह पक जाती है और उसकी कटाई शुरू होती है। किसान इस दिन भगवान का धन्यवाद करते हैं और खुशियों के साथ नई फसल की शुरुआत का जश्न मनाते हैं।

2. सिख धर्म में विशेष महत्व: 

सिख धर्म के लिए बैसाखी एक ऐतिहासिक दिन है। 1699 में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने इसी दिन ‘खालसा पंथ’ की स्थापना की थी। इसीलिए यह दिन सिखों के लिए आस्था और गर्व का प्रतीक है।

बैसाखी कौन मनाता है?

1. पंजाब और हरियाणा:

पंजाब और हरियाणा के किसान इस पर्व को विशेष उत्साह से मनाते हैं। लोग पारंपरिक पोशाक पहनते हैं, भंगड़ा और गिद्धा जैसे लोकनृत्य करते हैं, और मेलों में हिस्सा लेते हैं।

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2. सिख समुदाय:

सिख लोग गुरुद्वारों में जाकर कीर्तन, लंगर सेवा और नगर कीर्तन जैसे धार्मिक कार्यों में भाग लेते हैं।

3. अन्य राज्यों में भी उत्सव:

  • असम में बैसाखी को रोंगाली बिहू कहते हैं।
  • पश्चिम बंगाल में इसे पोइला बोइशाख के रूप में मनाया जाता है।
  • केरल में इसे विशु कहा जाता है।
  • तमिलनाडु में इसे पुथांडु के रूप में मनाया जाता है।

बैसाखी कैसे मनाई जाती है?

  • गांवों और शहरों में बैसाखी मेले लगाए जाते हैं।
  • लोग एक-दूसरे को मिठाइयां और शुभकामनाएं देते हैं।
  • धार्मिक स्थलों पर विशेष प्रार्थनाएं होती हैं।
  • पारंपरिक गीत और नृत्य इस पर्व की शोभा बढ़ाते हैं।

बैसाखी का आध्यात्मिक महत्व

बैसाखी केवल एक कृषि पर्व नहीं, बल्कि यह एक नवीनता और नई ऊर्जा की शुरुआत का प्रतीक भी है। यह दिन हमें जीवन में नई शुरुआत करने, परिश्रम करने और ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करने की प्रेरणा देता है।


निष्कर्ष (Conclusion)

बैसाखी 2025 एक ऐसा पर्व है जो हमें संस्कृति, आस्था और कृषि जीवन से जोड़ता है। यह दिन खुशहाली, एकता और नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ मनाया जाता है। आइए हम सब मिलकर इस बैसाखी को प्रेम, भाईचारे और श्रद्धा के साथ मनाएं।

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Varsa

वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।

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