
Hariyali-Teej-2025-Suhagan-Vrat-Puja-Vidhi-Date-Muhurat-Story-Sawan-News In-Hindi
नईं दिल्ली (समयधारा) : पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए हिंदू सुहागिनें हरियाली तीज (Hariyaali Teej) जिसे श्रावणी तीज या सावन की तीज(Sawan teej) भी कहते है व्रत रखती है।
सुहागिनों के बीच इस व्रत की उतनी ही महत्ता है,जितनी की करवा चौथ(Karwachauth) का।
हरियाली तीज व्रत में भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Ma Parvati) की पूजा-आराधना की जाती है
🌿 हरियाली तीज 2025
📅 तिथि और दिन:
तारीख: रविवार, 27 जुलाई 2025
प्रारंभ: 26 जुलाई रात 10:41 बजे
समाप्त: 27 जुलाई रात 10:41 बजे
✨ हरियाली तीज का महत्व:
हरियाली तीज भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की स्मृति में मनाई जाती है। यह दिन विवाहित स्त्रियों के लिए विशेष शुभ माना जाता है, क्योंकि वे अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत करती हैं।
⏰ शुभ मुहूर्त:
प्रमुख पूजा का समय: शाम 7:01 बजे से 8:23 बजे तक
अन्य शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:46 से 5:30
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:55 से 3:48
संध्याकालीन पूजा: शाम 7:16 से 8:22
🙏 पूजा-विधि:
सुबह स्नान कर हरे वस्त्र धारण करें (हरा रंग हरियाली का प्रतीक है)।
शिव-पार्वती और गणेश जी की मिट्टी या धातु की मूर्ति स्थापित करें।
श्रृंगार सामग्री, मिठाई, फल, मेहँदी, चूड़ियाँ आदि अर्पित करें।
निर्जला व्रत रखें और व्रत कथा का पाठ करें।
आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।
🚫 वर्जित कार्य:
व्रत के दौरान अन्न या जल का सेवन न करें।
नींद न लें, क्रोध और वाद-विवाद से बचें।
काले और सफेद रंग के वस्त्र या चूड़ियाँ पहनने से परहेज़ करें।
🎉 परंपराएँ और उत्सव:
महिलाएं झूले झूलती हैं, तीज के गीत गाती हैं, मेहँदी लगवाती हैं।
“सिंधारा” (श्रृंगार सामग्री, मिठाई, वस्त्र आदि की टोकरी) मायके से आता है।
- यह पर्व विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
Hariyali-Teej-2025-Suhagan-Vrat-Puja-Vidhi-Date-Muhurat-Story-Sawan-News In-Hindi
📋 सारांश तालिका:
पहलू | विवरण |
---|---|
तिथि | 27 जुलाई 2025, रविवार |
तृतीया तिथि | 26 जुलाई रात 10:41 से 27 जुलाई रात 10:41 |
शुभ समय | शाम 7:01 से 8:23 |
उद्देश्य | सौभाग्य, लंबी आयु, अच्छे वर की प्राप्ति |
व्रत प्रकार | निर्जला (बिना जल-अन्न के व्रत) |
विशेष रंग | हरा |
वर्जनाएं | नींद, अन्न, जल, काले-सफेद वस्त्र |
पारंपरिक गतिविधियाँ | झूला, गीत, मेहँदी, सिंधारा, कथा |