
Editor opinion on Modi Latur rally for target Mahatma Gandhi-Congress
नई दिल्ली, 9 अप्रैल: यह सच है कि मोदी एक कुशल वक्ता है लेकिन काश… वे सच्चे वक्ता भी होते। पांच साल से हम पीएम मोदी के मुंह से ‘सिर्फ गांधी परिवार ने देश को बर्बाद किया…’.. सुनते आ रहे है। इतना ही नहीं, वे खुद महात्मा गांधी के गुजरात लिंक के कारण गांधी जी पर अपना कॉपीराइट दिखाते है और अपने स्वच्छता अभियान को गांधी जी को समर्पित बताते है लेकिन ये कैसा दोगलापन और भीतर घात है कि जिस गांधी के सम्मान की वो बात करते है उन्हीं राष्ट्रपिता गांधी की मंशा पर उंगली उठाते है?
महाराष्ट्र के लातूर (Modi Latur rally) में लोकसभा चुनाव 2019 (LokSabha Election 2019) के लिए अपनी चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने हमेशा की तरह गांधी परिवार (Gandhi) और कांग्रेस (Congress) को जमकर कोसा और अपने पांच साल के कुटिल कार्यों पर पीठ थपथपाई और हमेशा की तरह खूब बोले…. और इतना बोले… कि बड़बोली और शर्मनाक बात कह गए। मोदी ने लातूर में कहा कि “कांग्रेस में दम होता तो 1947 में पाकिस्तान पैदा ही नहीं होता” हम होते तो ऐसा होने ही नहीं देते।”
इतिहास गवाह है कि भारत के विभाजन की शर्त को महात्मा गांधी ने स्वीकार किया था चूंकि ये उक्त वक्त की नजाकत थी। ये बहुत ही शर्मनाक है कि मोदी एक ओर तो खुद को गांधी का भक्त बताते है, गांधी के सपनों का भारत बनाने का झूठा वादा करते है वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता संग्राम में पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने वाले महात्मा गांधी के विभाजन के निर्णय को आज आजादी के 72 साल बाद गलत बताते है। मोदी दावा कर रहे है कि वे होते तो ऐसा होने ही नहीं देते।

आज मोदी ऐसा झूठा, भ्रमित और एहसानफरामोशी वाला दावा कर सकते है चूंकि उन्हें ‘आजादी खैरात’ में मिली। वे जब पैदा हुए तो आजाद देश में उन्होंने सांस ली। जिस संघ से उन्होंने नफरत की भाषा और नफरत की सीख ली, उसने अंग्रेजों के आगे घुटने टेक दिए थे और अपनी आजादी के बदले माफीनामा तक लिखकर दिया।
आज मोदी ने साबित कर दिया कि वे वाकई सिर्फ एक संघी है। उस संघ के कार्यकर्ता जिसने गांधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को हमेशा सम्मानित किया और आज मोदी ने भी अपने उसी रूप को दिखा दिया।
गांधी के राज्य गुजरात से आने से वे गांधीवादी नहीं हो जाते। बल्कि मोदी ने आजाद भारत में आज खड़ा होकर ये झूठा दिखावा करने की कोशिश की है कि आजादी की लड़ाई लड़ने वाले सभी सैनानी कमजोर थे और सिर्फ ये तो मोदी ही है जिनके कारण भारत असल में 2014 में आजाद हुआ।
वाकई, झूठ,पाखंड और घटिया राजनीति की पराकाष्ठा अगर वर्तमान में कहीं देखी जा सकती है तो वे नरेंद्र मोदी ही है। आपने जिस गुलामी को कभी सहा ही नहीं, जिस वक्त आप पैदा तक नहीं हुए, जिस आजादी की लड़ाई में आपने या आपके पूर्वजों ने कोई योगदान नहीं दिया, उस समय लिए गए निर्णयों का मूल्यांकन करने वाले आप होते कौन है?
सत्ता की भूख और नक्कारेपन और भ्रमित करने की कुटिल मंशा मोदी में अब इतनी बढ़ चुकी है कि वे हिंदू धर्म और हमारे राष्ट्र को बदनाम तक करने पर तुल गए है। हिंदू धर्म में मृत पूर्वजों तक को सम्मान दिया जाता है और शहीदों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जाता, फिर चाहे वे आपके दुश्मन तक ही क्यों न हो।
लेकिन पिछले पांच साल से मोदी केवल सत्ता में बने रहने के लिए स्वर्गीय नेहरू और शहीद गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक पर कीचड़ उछाल रहे है। जिन महात्मा गांधी के नाम की दुहाई देकर स्वच्छता अभियान का ढकोसला मोदी ने तकरीबन पांच साल पहले शुरू किया था, अगर मोदी को इतना ही लगता है कि गांधी की कांग्रेस ने उस समय गलत किया था तो क्यों खुद मोदी को सत्ता में बने रहने के लिए फिर उसी गांधी के नाम की जरूरत है? क्यों नहीं मोदी ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर ही स्वच्छता अभियान को शुरू कर दिया?
राजनीति में एक-दूसरे पर कीचड़ उछालना वर्तमान की राजनीति का फैशन बन गया है,लेकिन इस फैशन के रोल मॉडल अगर कोई है तो वे मोदी ही है। चलिए मान लेते है कि मोदी आजादी के समय पैदा हो भी जाते तो क्या कर लेते? क्या वे हमें आजादी दिला पाते?
चलिए मान लेते है कि वे आजादी दिला भी देते तो क्या देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाते? बिल्कुल नहीं ! चूंकि तब वे यह रोना रोते कि “मित्रों! अंग्रेजों ने इस देश में सौ साल शासन करके ये देश इतना बर्बाद कर दिया है कि मुझे इसे आबाद करते-करते दूसरा जन्म लेना पड़ेगा।” ठीक कुछ वैसे ही जैसा की पिछले पांच साल से मोदी कांग्रेस के लिए कहते आ रहे है कि “कांग्रेस ने देश को बर्बाद कर दिया…कांग्रेस के शासन में 1947 से लेकर अब तक कुछ नहीं हुआ। मुझे और पांच साल दे दो।”
वाह! क्या बात है जो अच्छा-खासा विकासशील देश आपको महज पांच साल पहले मिला….उसे तो आप संभाल नहीं सकें। हर संस्था, शिक्षा-व्यवस्था, मीडिया की स्वतंत्रता, सीबीआई, इनकम टैक्स विभाग, रोजागार, बैंकिंग सिस्टम और गरीबों व मिडिल क्लास को मात्र पांच साल में निस्तेनाबूत करने में आपने कोई कसर नहीं छोड़ी और अपने नक्कारेपन को विकास के भ्रम में केवल हिंदुत्व और खोखले राष्ट्रवाद से छिपाया। वो आजादी के समय पैदा होता तो उसमे ये माद्दा होता कि वो विभाजन नहीं होने देता?
जिस युग में आपने जन्म नहीं लिया, जिस लड़ाई को आपने या आपकी पार्टी के लोगों ने लड़ा नहीं, जिस गुलामी के दर्द को आपने सहा तक नहीं, जिस सिचुएशन में आप कभी थे ही नहीं, उस स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ने वाले राष्ट्रपिता और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निर्णय पर उंगली उठाने का हक आपको किसने दिया?
मोदी अंधभक्त कहते है कि वे प्रधानमंत्री है इसलिए उन्हें इज्जत मिलनी चाहिए। लेेकिन हम उन्हीं भक्तों से और देश की जनता से पूछते हैं कि क्या प्रधानमंत्री को खुद अपने देश के स्वर्गीय और स्वतंत्रता सैनानी रहे प्रधानमंत्रियों का सम्मान नहीं करना चाहिए?
मोदी न तो देश से बड़े है, न हिंदू धर्म से और न ही इस देश के संविधान से…इसलिए उन्हें कोई हक नहीं पहुंचता कि वे आजादी के 72 साल बाद नवयुवकों को ये कहकर बरगलाये कि 72 साल पहले की कांग्रेस के निर्माताओं (इशारा महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू की ओर )में दम नहीं था जो विभाजन होने दिया।
खुद मोदी ने एक परिपक्कव देश का प्रधानमंत्री बनकर क्या कर लिया? नोटबंदी इस देश का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुआ।
अगर मोदी में दम है तो अपने 8 नवंबर 2016 की रात के बयान के अनुसार, इस गलत फैसले (आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार 99 फीसदी पैसा बैंकों में वापस आ गया) के चलते जो जानें गई, जो बच्चे अनाथ हुए, जिन मांओं की कोख उजड़ी और जिन पत्नियों का सुहाग लाइनों में लगे-लगे स्वाह हो गया…उनकी बर्बादी के लिए माफी मांगे।
अगर मोदी में दम है तो बालाकोट स्ट्राइक की नौबत ही क्यों आई, इसके लिए माफी मांगे। चूंकि जब इंटेलिजेंस ने तकरीबन एक हफ्ते पहले ही अलर्ट कर दिया था कि पुलवामा में हमारे जवानों पर आतंकी हमला हो सकता है तो क्यों इसे हल्के में लिया गया?
मोदी अपनी इंटेलिजेंस फेलियर पर माफी मांगे।
अगर मोदी में दम है तो देश में 45 साल बाद सबसे ज्यादा बेरोजगारी खड़ी करने के लिए माफी मांगे।
देश के नागरिकों को 15 लाख का झूठा दिवास्वप्न दिखाने के लिए माफी मांगे।
राम मंदिर के नाम पर पिछले 25 सालों से भाजपा जो राजनीतिक रोटियां सेंक रही है और सत्ता में बार-बार आई है,उसके लिए माफी मांगे।
पांच साल सिर्फ और सिर्फ गांधी परिवार और कांग्रेस का रोना ही रोना था तो देश को तो आपने खुद साबित कर दिया कि आप कितने निकम्मे,लाचार और पंगु प्रधानमंत्री है, जो पांच साल पहले के विकासशील देश भारत को विकसित देश की श्रेणी में न ला सकें और बात करते है कि आपके अंदर दम होता तो 1947 में पाकिस्तान बनने की न देते।
यदि आप होते तो जैसे वर्तमान में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से अपनी मां के लिए साड़ी लाएं थे और खुद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को शॉल पहनाई दी , ठीक वैसे ही इस देश को ‘आजाद भारत’ बनने ही न देते और अंग्रेजों के हाथ आज भी हमें ‘गुलाम’ ही रखते।
फिर कुछ न कर पाने का ठीकरा अंग्रेजों पर ठीक वैसे ही फोड़ते, जैसा कि आज आप कांग्रेस के सिर पर फोड़ रहे है। इसलिए अब जनता करें फैसला कि उसे झूठ, पाखंड, अभिमान में चूर प्रधानमंत्री चाहिए या भारत की समरसता बनाएं रखना वाला प्रधानमंत्री चाहिए।
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