आम लोग-मजदूरों ने 5 रुपये के पारले-जी बिस्कुट रिकॉर्ड तोड़ खाएं, कंपनी की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री

CORONA काल व लॉकडाउन में पारले-जी बिस्कुट बिक्री से टूट गया 82 वर्षों का रिकॉर्ड

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मुंबई (समयधारा):  एक तरफ देश कोरोना वायरस की  महामारी से जूझ रहा था तो,

दूसरी तरफ COVID19 लॉकडाउन की वजह से देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है। कई कंपनियां बर्बाद हो गई।

ऐसे ही कई बड़ी नामी कंपनियों की कमाई में भारी कमी हो गई।

उदाहरण के तौर पर ATLAS CYCLE,  भारत की विश्वसनीय साइकिल कंपनी एटलस पर ताला लग गया l

पर इस दौरान कुछ कंपनियों के वारे न्यारे हो गए, जैसे की बिस्कुट का सबसे बड़ा ब्रांड पारले-जी (Parle-G) l 

पारले-जी (Parle-G) बिस्कुट की इतनी अधिक बिक्री हुई कि पिछले 82 सालों का रेकॉर्ड टूट गया है।

पारले-जी बिस्कुट का 5 रुपए वाला पैकेट लॉकडाउन के दौरान एक राज्य से दूसरे राज्य या शहर जाने वाले प्रवासियों के लिए बहुत काम आया।

जिन्होंने अपने घर वापस जाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर की पैदल और साइकिल से यात्रा की।

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जबकि कई ने तो पारले-जी के साथ अपने घरों का स्टॉक किया। बहुत लोगों ने पारले-जी जरूरतमंदों को बांटा भी।

कोरोना वायर प्रकोप के दौरान गरीबों के लिए यह बहुत ही मददगार साबित हुआ।

1938 में स्थापित घरेलू ब्रांड पारले-जी ने लॉकडाउन के दौरान बिस्कुट की सबसे ज्यादा बिक्री का एक नामुमकिन मुकाम हासिल किया।

हालांकि पारले प्रोडक्ट्स, पारले-जी ब्रांड के निर्माताओं ने विशिष्ट बिक्री संख्या शेयर करने से इनकार कर दिया l 

उन्होंने पुष्टि की कि मार्च, अप्रैल और मई आठ दशकों में उनके सबसे अच्छे महीने रहे हैं।

पारले प्रोडक्ट्स के श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा कि हमने अपनी कुल बाजार हिस्सेदारी को करीब 5% बढ़ा दिया है

और इस वृद्धि में 90% हिस्सा पारले-जी की बिक्री से आया है। यह अभूतपूर्व है। 

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अगर बात करें की पारले जी ने यह मुकाम कैसे हासिल किया तो उसके पीछे उनका लाजवाब डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क व सही समय पर सही फैसले को जाता है l 

25 मार्च को लॉकडाउन होने के बाद पारले जैसे संगठित बिस्कुट निर्माताओं ने बहुत कम समय के भीतर अपना ऑपरेशन्स को चालू कर दिया।

इनमें से कुछ कंपनियों ने अपने काम के लिए एक आसान और सुरक्षित आवागमन के लिए परिवहन की भी व्यवस्था की।

एक बार जब फैक्ट्रियां चालू हो गईं, तो इन कंपनियों का ध्यान उन ब्रांडों का उत्पादन करना था, जिसकी अधिकतम बिक्री हो रही थी।

क्रिसिल रेटिंग के सीनियर डायरेक्टर, अनुज सेठी ने हाल ही में एफएमसीजी कंपनियों पर एक अध्ययन किया है।

उन्होंने कहा कि जो उपलब्ध थे उपभोक्ता वह ले रहे थे लेकिन वह सस्ती भी हो।

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हो सकता है कुछ कंपनियां मूल्य पर अधिक ध्यान केंद्रित किया हो।

साथ ही उन्होंने कहा कि कंपनियां पिछले 18-24 महीनों में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण पहुंच बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे,

यह महामारी के दौरान उनके लिए अच्छा काम किया।

पिछले तीन महीनों में प्राइस बिंदुओं पर बिस्कुट की बिक्री में भारी वृद्धि देखी गई है।

एक्सपर्ट ने कहा कि ब्रिटानिया के गुड डे, टाइगर, मिल्क बिकिस, बॉर्बन और मैरी और पारले की क्रैकजैक,

मोनाको और हाइड एंड सीक की लॉकडाउन के दौरान काफी संख्या में बिक्री हुई है।

पारले प्रोडक्ट्स ने अपने सबसे अधिक बिकने वाले-लेकिन-कम-मूल्य वाले पार्ले-जी ब्रांड के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया

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क्योंकि इसने सभी ग्राहक सेग्मेंट्स से भारी मांग की परिकल्पना की थी।

खुदरा दुकानों पर प्रोडक्ट्स उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कंपनी एक सप्ताह के भीतर अपने वितरण चैनलों को भी रीसेट कर दी।

शाह ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान, पारले-जी कई लोगों के लिए आराम का भोजन बन गया,

और कई अन्य लोगों के लिए यह एकमात्र भोजन था जो उनके पास था। यह एक आम आदमी का बिस्कुट है;

जो लोग ब्रेड नहीं खरीद सकते, वे पारले-जी खरीदते हैं।

इन सब ने एक बार फिर परले जी को देश का महत्वपूर्ण विश्वनीय ब्रांड बना दिया l 

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(इनपुट एजेंसी से भी)

Dharmesh Jain

धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।