
वाराणसी, 6 मार्च : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान से पहले अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए तीन दिन के वाराणसी प्रवास पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि पूर्वाचल का विकास और वाराणसी का कायाकल्प करना उनका सपना है। वाराणसी प्रवास के दूसरे दिन रविवार को चुनावी रैली निकालने के बाद मोदी ने काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय मैदान में जनसभा को संबोधित किया और राज्य की पूर्ववर्ती सरकारों पर जमकर निशाना साधा। मोदी ने कहा कि देश के इस हिस्से (पूर्वाचल) में विकास के लिए जरूरी प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं, इसके बावजूद देश का यह इलाका अब भी पिछड़ा हुआ है। मोदी ने कहा, “यहां उपजाऊ खेत हैं और मेहनतकश किसान हैं, लेकिन एक अच्छी सरकार की कमी है।” उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्य को इस इलाके के विकास के लिए जरूरी धनराशि मुहैया कराने के लिए तैयार है, लेकिन राज्य सरकार को खर्च का सही-सही हिसाब रखना होगा। मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का नंबर-1 राज्य बन सकता है, लेकिन उसके पूर्वाचल का विकास जरूरी है। उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि पूर्वाचल का विकास किस तरह किया जा सकता है। मेरे दिमाग में यह पूरी तरह स्पष्ट है। पिछली सरकारें बनारस के विकास को लेकर सिर्फ तिकड़म करती रही हैं और उनका उद्देश्य सिर्फ चुनाव जीतना रहा है। लेकिन इन तिकड़मों से बनारस का कुछ नहीं हो सका। बनारस के आधुनिकीकरण, इसके कायाकल्प की जरूरत है और मेरा सपना है कि बनारस को एक विश्वस्तरीय आधुनिक शहर में तब्दील कर दूं।” मोदी ने कहा कि बनारस के लोग इस शहर को दुनिया की कल्पनाओं का शहर बनाया जा सकता है, इसके लिए सिर्फ अवरोधों को दूर करना होगा। मोदी ने कहा, “लोगों के जीवन में कम से कम एक बार बनारस घूमने की इच्छा होती है।” मोदी ने बनारस का गुणगान करते हुए कहा कि ऐसी मान्यता है कि बनारस इतिहास और परंपरा से भी पुराना नगर है। मोदी ने कहा, “बनारस कोई शहर नहीं है, बल्कि एक जीती जागती विरासत है। भारत के हर नागरिक को बनारस अपना शहर लगता है।” इस बीच मोदी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। मोदी ने कहा कि अखिलेश को राज्य की सत्ता ‘घलुआ’ में मिल गई। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके नए बने दोस्त राहुल घलुआ हैं। उन्हें सबकुछ विरासत में मिल गया है, वे चांदी की चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुए। वे कठिन फैसले नहीं ले सकते, क्योंकि उनमें कठिनाई झेलने की ताकत नहीं है। सिर्फ वही ऐसे कठिन फैसले ले सकता है, जो मिट्टी से उठकर आया हो।” –आईएएनएस