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राजस्थान : थम नहीं रहा बच्चों की मौत का सिलसिला, राजनीति भी गरम

सचिन पायलट ने अपने ही सरकार पर सवाल उठायें

rajasthan kota child death issue : sachin pilot question on our government only

राजस्थान/कोटा (समयधारा) : राजस्थान में बच्चों की मौत का सिलसिला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा l अभी तक 110 बच्चों की मौत हो चुकी है l

वही दूसरी और इस पर राजनीति भी गर्म है l राजस्थान सरकार पर बीजेपी सहित सभी विपक्षी दल हमला कर रहे है l

अब राजस्थान सरकार  व  उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपने ही सरकार के खिलाफ बयान देते हुए कहा कि

मुझे लगता है कि इस पर हमारी प्रतिक्रिया अधिक दयालु और संवेदनशील हो सकती थी।

13 महीने तक सत्ता में रहने के बाद मुझे लगता है कि यह पिछले सरकार के कुकर्मों को दोष देने का कोई उद्देश्य नहीं है। जवाबदेही तय होनी चाहिए।

उनके इस बयां  से  #kota Child Death  पर राजनीति और गरम हो गयी है l वह इस मामले से अशोक गहलोत पर हमला कर रहे है l 

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गौरतलब है कि राजस्थान के कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल में नवजात बच्चों की बड़ी संख्या में मौत ने देशभर के होश फाख्ता कर दिए।

यह बात भी यहाँ गौर करने लायक है कि हजारों माता-पिता ने यह भी देखा कि उनके बच्चों की मौत महज इसलिए हो रही है

क्योंकि नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों को जो प्राथमिक चीजें या उपकरण मुहैया कराए जाने चाहिए, वे अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं हैं।

इससे पहले, राजस्थान में बच्चों की मौत का मामला सुर्खियों में है।

यहां के जेके लोन अस्पताल के ICU में एक महीने में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। मौत की वजह क्या है, ये अभी तक साफ नहीं है।

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लेकिन राजनीति का रंग देखिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि बच्चों की मौत तो होती है,

पिछले साल भी हुई थी और BJP कह रही है कि राजस्थान सरकार को गरीब के बच्चों की फिक्र नहीं है,

गहलोत को गांधी और वाड्रा के बच्चों की फिक्र है, बस। आपको गोरखपुर और मुजफ्फरपुर में सैकड़ों बच्चों की मौत और उसपर मची राजनीति याद होगी।

आज इसी पर बात करेंगे लेकिन पहले देखते हैं कोटा की घटना पर एक रिपोर्ट।

राजस्थान का कोटा शहर यहां नए साल का जश्न नहीं बच्चों की मौत का मातम पसरा हुआ है।

दिसंबर से पहली जनवरी तक यहां के जे के लोन अस्पताल में 100 से ज्यादा बच्चे दम तोड़ चुके हैं। जो बच्चे इलाज के लिए लाए गए वो कफन में घर लौटे।

परिवार सवाल पूछ रहा है लेकिन सरकार और प्रशासन बस दम तोड़ते मासूमों की मौत की गिनती कर रहा है।

एक महीने के अंतराल पर इतनी बड़ी तादाद में बच्चों की अकाल की मौत पर सियासी कोहराम मचा।

बच्चों की लगातार होती मौतों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी नाराज बताई जा रही हैं।

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चौतरफा घिरने के बाद सीएम अशोक गहलोत कह रहे हैं बच्चों का इलाज सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

इधर बीजेपी नेताओं की टीम लगातार अस्पताल पहुंचकर गहलोत सरकार को घेर रही है।

बीजेपी नेता आरोप लगा रहे हैं कि गहलोत सरकार को राज्य के बच्चों की नहीं सिर्फ गांधी परिवार के बच्चों की फिक्र है।

बीजेपी के आरोपों के जवाब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री आंकड़े गिनाकर देते हैं। उनका दावा है राज्य की वसुंधरा सरकार में बच्चों की मौतें ज्यादा होती थी

और उन्होंने इसे कम कर दिया है। उनका आरोप है बीजेपी नेताओं के बार बार अस्पताल जाने से इंफेक्शन बढ़ता है जिससे बच्चे मरते हैं।

मासूमों की मौत की सियासत से अलग हॉस्पिटल की हकीकत कुछ और ही है। अस्पताल में गंदगी का अंबार है।

कमरों के दरवाजे खिड़कियां-टूटे हुए हैं। हड्डी गलाने वाली सर्दी में बीमारों के इलाज के लिए इंतजाम नहीं है।

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खबर ये भी है कि अब बच्चों की मौत बीमारी से कम, ठंड से ज्यादा हो रही है। सवाल ये है बच्चों की जान की कीमत क्या है

क्या कभी न्यू इंडिया बनाने वाले स्वास्थ्य को प्राथमिकता में रखेंगे क्या सिसायी ब्लेमगेम से दूर कभी एक होकर सच को कबूलकर बीमार सिस्टम का इलाज होगा

(इनपुट एजेंसी से भी)

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