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नई दिल्ली, 6 मार्च : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को ‘दिल्ली मास्टर प्लान 2021’ के प्रस्तावित संशोधनों पर रोक लगा दी है। संशोधनों के तहत धरातलीय क्षेत्रफल अनुपात (एफएआर) बढ़ाकर राष्ट्रीय राजधानी में सीलिंग ड्राइव से व्यापारियों को राहत देने की बात कही गई थी। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने मास्टर प्लान में संशोधन से पर्यावरण पर प्रभाव के आकलन वाला हलफनामा दाखिल न करने पर दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को फटकार लगाई।
न्यायालय ने कहा, “यह अवमानना है। एमसीडी और डीडीए की दादागीरी बंद होनी चाहिए। आप अदालत को यह नहीं बता सकते कि आप आदेशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन वहीं करेंगे जो आप चाहेंगे।”
खंडपीठ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक ओ.पी. शर्मा और भाजपा की निगम पार्षद गुंजन गुप्ता को भी आरोपमुक्त कर दिया। न्यायालय ने इन दोनों पर शहादरा में सीलिंग ड्राइव के दौरान कथित रूप से प्रशासन के कार्य में बाधा उत्पन्न करने पर कारण बताओ समन जारी कर दिया था।
विरोध प्रदर्शन का एक वीडियो देखने के बाद न्यायालय ने कहा कि प्रतीत होता है कि वे प्रशासन की कार्यवाही को बाधित नहीं कर रहे थे।
वीडियो में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपमानजनक भाषा का उपयोग करने के लिए अदालत ने हालांकि शर्मा को फटकार लगाते हुए कहा कि यह बिल्कुल अस्वीकार्य है।
अदालत ने कहा, “आप प्रधानमंत्री और किसी मुख्यमंत्री का अपमान सिर्फ इसलिए नहीं कर सकते, क्योंकि वे आपकी पार्टी के नहीं हैं। आपको उन्हें सम्मान देना होगा। आप संविधान को नष्ट कर रहे हैं। यह बिल्कुल अस्वीकार्य है।”
उच्चतम न्यायालय में आवासीय परिसरों के अनाधिकृत व्यावसायिक उपयोग पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने यह आदेश दिया।
डीडीए ने हाल ही में व्यापारियों को तत्कालिक राहत देने के लिए दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के संशोधनों पर मंजूरी दी है।
प्रस्तावित संशोधनों के तहत व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के एफएआर में 180 से 300 फीसदी तक वृद्धि, 12 मीटर चौड़ी सड़कों पर कृषि भंडारण केंद्रों को नियमित करना, इलाकों में समान एफएआर की अनुमति तथा परिवर्तन शुल्क में कमी शामिल है।
परिवर्तन शुल्क अदा किए बिना आवासीय परिसरों का व्यावसायिक उपयोग करने वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ सीलिंग ड्राइव चलाई गई थी।
–आईएएनएस