क्या..? सोने के दाम होंगे 75000 के पार..! हो जायेगें 85000..!! जानें वजह
देश-विदेश में सोने-चांदी के दामों में जोरदार तेजी देखी जा रही है, और जानकारों की माने तो यह तेजी आगे भी कायम रहने की पूरी उम्मीद है l
Gold Price Will Cross Rs 75000-80000 Know The Reason
नयी दिल्ली/मुंबई (समयधारा) : देश-विदेश में सोने-चांदी के दामों में जोरदार तेजी देखी जा रही हैl
और जानकारों की माने तो यह तेजी आगे भी कायम रहने की पूरी उम्मीद हैl
यानी जो दाम इस समय 73000 के स्तर पर चल रहे है वह जल्द ही 75000 के स्तर को छूने की तैयारी कर रहे हैl
पर इससे भी बड़ा सवाल है कि क्या सोने के दाम 85000 के पार होंगे l तो इसका जवाब है हाँ..!!!
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क्या है सोने के दामों के बढ़ने की वजहें :
- ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव
- जियो-पॉलिटिकल टेंशन
- रूस यूक्रेन युद्ध
- मिडिल ईस्ट संकट
- महंगाई और मंदी की मार
- गोल्ड निवेशकों की सुरक्षित व पहली पसंद
ईरान और इजराइल में बढ़ते तनाव के बीच (Israel-Iran Tension ) सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी जारी रहने की संभावना है।
मध्य पूर्व में बढ़ते संकट के कारण सोने के साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में भी इजाफा होने की आशंका जताई जा रही है।
अक्टूबर की शुरुआत से सोना 29 फीसदी और फरवरी के मध्य से 18 फीसदी बढ़ चुका है।
हालांकि, ईरान के इजराइल पर हमले से पहले ही सोने की कीमतों में तेजी देखी जा रही थी। दरअसल, क्रूड, इक्विटी, डॉलर और बॉन्ड यील्ड एक साथ बढ़ रहे हैं।
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बीते हफ्ते गोल्ड 2410 डॉलर प्रति औंस को पार गया।
बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन के बीच निवेशक ऐसी जगहों में निवेश करना चाहते हैं, जहां रिस्क बिल्कुल कम हो।
जैसे-जैसे इजराइल-ईरान और इजराइल-हमास के बीच संकट गहराता जाएगा, सोने में तेजी जारी रहेगी क्योंकि निवेशक मेटल में सुरक्षित विकल्प तलाशेंगे, जिससे डिमांड बढ़ेगी।
बहुत अधिक जियो-पॉलिटिकल टेंशन के बीच सोना और चांदी निवेश के लिए सुरक्षित विकल्प हैं।
Gold Price Will Cross Rs 75000-80000 Know The Reason
डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में कीमती धातुओं को रखने से जियो-पॉलिटिकल रिस्क का प्रभाव कम हो जाता है।
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दुनिया भर में केंद्रीय बैंक सोने के खरीदार बने हुए हैं, हालांकि यह 2022 और 2023 के लेवल से कम है।
पिछले दो सालों केंद्रीय बैंक एक बार फिर सराफा बाजार में पावरफुल पार्टिसिपेंट के रूप में उभरे हैं।
कीमती धातु इमरजेंसी में भी भरोसेमंद हैं और नेशनल इमरजेंसी या संघर्ष के समय में जब नेशनल करेंसी रिडीम नहीं हो सकते, तो सोना एक अच्छा विकल्प होता है।
आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान सोने को एक सुरक्षित विकल्प के रूप में देखा जाता है।
कोविड के बाद रूस यूक्रेन संघर्ष और मिडिल ईस्ट संकट और इन सबके बीच महंगाई और मंदी की मार के बीच सेंट्रल बैंक्स ने जमकर गोल्ड खरीदा है।
सेंट्रल बैंक अपने रिजर्व में डायवर्सिटी लाने के लिए सोने में खरीद करते हैं। अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितता बढ़ने के साथ ये खरीद भी बढ़ जाती है।
इससे किसी देश की सबसे अहम आर्थिक संस्थान पर जोखिम भी कम हो जाते हैं।
इसके अलावा गोल्ड लंबी अवधि में महंगाई दर के खिलाफ सुरक्षा देने वाला एसेट साबित हुआ है।
(इनपुट एजेंसी से भी)
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