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कौन कहता है कि 60 के ठाठ है?…यही से तो जिंदगी के नए संघर्षो की शुरुआत है….

कहते है कुछ लोग जिंदगी जीने की असली उम्र 60 है, बुढ़ापे के अपने ही ठाठ है, पर हकीकत और फ़साने में फर्क साफ़ है....

elderly’s 60 years is the beginning of new struggles in life

अचानक मोहर बाई को जोर का झटका लगा…! उसके बैंक में एक रुपया भी बैलेंस नहीं थाl

बगल में रहने वाले पप्पू ने आकर बताया की इस महीने उसके बेटे सुनील ने पैसे नहीं डाले l

मोहरबाई टेंशन में आ गयी क्योंकि अभी पूरा महीना निकालना है और खर्चे कहाँ से पूरे होंगे l

मोहरबाई ने अपने पुराने घर को बेच अपने छोटे बेटे को मुश्किल हालात में भी अमेरिका कमाने के लिए भेज दिया था l

चार औलाद की माँ मोहरबाई को 2 लड़के और 2 लड़कियां है l बड़ा बेटा शादी(marriage) करके अलग रह रहा था l जिसे एक बेटा था l

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वहीं दो शादीशुदा बेटियां भी लखनऊ में ही रह रही थी l पर इन सबके बावजूद मोहरबाई लखनऊ में अपने बड़े से घर में अकेली रह रही थी l

वह पति के गुजर जाने के बाद बड़ी मुश्किल से अपनी जिंदगी के गिने चुने दिन निकाल रही थी l

जिस उम्र में उसे अपने नाते-नातियों, पोते-पोतियों के साथ जिंदगी मजे से भगवान् का ध्यान करके गुजारनी थी l

उस उम्र में उसे दूसरों के कपड़ें घर में सिलकर अपना गुजरा भत्ता चलाना पड़ रहा था l

स्वाभिमान से जीने वाली मोहर बाई के लिए छोटे बेटे सुनील का पैसा नहीं डालना कोई नई बात नहीं थी, पर इस बार तबियत के कारण उसे झटका लगा था l

72 वर्ष की उम्र में काम करके गुजरा भत्ता चलाना बहुत बड़ी बात होती है l

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यह तो कहानी है, मोहरबाई की। अब बात करते है, मोहरबाई की सगी छोटी बहन कस्तूरी की l

कस्तूरी उम्र में मोहरबाई से 6 साल छोटी थी, पर नसीब में काफी नसीब वाली l उसके दो बेटे थे एक विदेश में रहता था तो,

दूसरा उसके नए घर में और वह खुद अपने पति के साथ एक बड़ी सी कोठी में रहती है l सभी लोगों को लगता है की कस्तूरी काफी खुश है l

पर दोनों कहानी में एक समानता है और वह है की 60 साल के बाद भी हर इंसान चाहे वो मर्द हो या औरत इस कलयुग में खुश नहीं है l

हाँ सच यही है..!समाज में एक सच्चाई है मोहर बाई सरीखी महिलाओं की, जोकि खुश नहीं है,लेकिन ख़ुशी इस बात की है की उसे अपने रिश्तों की सच्चाई पता है l 

और दूसरी ओर है  कस्तूरी जैसी महिला, जो दुनिया की नजर में तो खुश है, पर दुःख इस बात का है कि वह खुद भी भ्रम की दुनिया में जानबूझकर जी रही है सिर्फ समाज की खातिरl 

कहते है की प्यार पाने और खुश रहने का कोई समय नहीं होता l पर 60 साल के बाद भी आप लोगों को दिखाने के लिए खुश हो, तो यह ख़ुशी किस काम की…?

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कल सोशल मीडिया पर एक कविता किसी ने लिखी l काफी अच्छी कविता थी पर मुझे इस कविता में समाज का झूठा चेहरा और खोखलापन साफ़ नजर आया l

वह जो कविता किसी व्यक्ति विशेष की हो सकती है, पर आज के कलयुग में इस समाज की हकीकत को पेश कर सकें मैं इसे नहीं मानता l

यह कविता सिर्फ कस्तूरी जैसे लोगों के लिए है…. खुशफहमी वाली…. सिर्फ उनके लायक है l लेकिन हकीकत और दिखावे में फर्क होता हैl

अब मेरे हिसाब से जिससे शायद कई लोग इत्तेफाक रखते होंगे l

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elderly’s 60 years is the beginning of new struggles in life

जानियें एक मध्यम वर्गीय परिवार में आज के कलयुग में 60 साल की उम्र के बाद की कुछ कड़वी, जानी-पहचानी बातें इस कविता के माध्यम से l

बड़ी मुश्किल सी उम्र 60 के बाद है…जिंदगी अब नए संघर्षो की शुरुआत है

बचपन में जो खोया, जवानी में मेहनत से जो बोया

भले 40 की परेशानियां नहीं, पर उलाहने दिन रात है

तन्हा दिन व् दर्दभरी अकेली रात है…

बड़ी मुश्किल सी उम्र 60 के बाद है…जिंदगी अब नए संघर्षो की शुरुआत है

पहले पढ़ाई का बोझ, फिर कमाई का था टेंशन

शादी के बाद बच्चों की जिम्मेदारी का अहसास

अब सुबह-शाम सत्संग व तन्हा रातों में सितारों का साथ है..

बड़ी मुश्किल सी उम्र 60 के बाद है…जिंदगी अब नए संघर्षो की शुरुआत है

कैसे बीता बचपन, कब चली गयी जवानी

बच्चों के सपने जियें, अपने सपनों पर फेरा पानी

रिटायरमेंट के बाद औलाद का नहीं साथ है

अब मेरी ख़ामोशी ही मेरी आवाज है 

बड़ी मुश्किल सी उम्र 60 के बाद है…जिंदगी अब नए संघर्षो की शुरुआत है

समाज व अपनों से हर वक्त जोर अजमाइश होगी

अपने वजूद को पहचान दिलाने की बात होगी

नए जीवन की यह कठनाइयों से भरी शुरुआत है 

बड़ी मुश्किल सी उम्र 60 के बाद है…जिंदगी अब नए संघर्षो की शुरुआत है

नाते-नातियों का स्मार्टफोन में खोना, बेटे-बेटियों का पार्टियों में जाना

जीवनसाथी होने के बावजूद अकेलेपन में रोना

अब बस यही जिंदगी हर पल साथ है… 

बड़ी मुश्किल सी उम्र 60 के बाद है…जिंदगी अब नए संघर्षो की शुरुआत है

न पोते-पोतियों का प्यार, न बेटों का साथ है

दोस्तों से भी बड़ी दूरियाँ, हर वक्त बस अकेलेपन का अहसास है

सभी रिश्तों में पड़ गयी अनसुलझी सी गांठ है

बड़ी मुश्किल सी उम्र 60 के बाद है…जिंदगी अब नए संघर्षो की शुरुआत है

हौंसला न हारना, न कभी पछताना

चाहें जिंदगी भर, अब मेहनत करके हो खाना

बुढ़ापे की लाठी, अब तेरा आत्मविश्वास बन जायेगी

जीतेगा तू ही, तेरी कहानी हर जुबां पर आएगी

क्योंकि तेरे पास अनुभवों का मजबूत साथ है 

बड़ी मुश्किल सी उम्र 60 के बाद है…जिंदगी अब नए संघर्षो की शुरुआत है

elderly’s 60 years is the beginning of new struggles in life

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Dharmesh Jain

धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।

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