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Chhath Puja 2024 Argh Time-शुरु हो गयी छठ पूजा, जानें सूर्योदय-सूर्यास्त पर अर्घ्य देने का शुभ समय

दिवाली के छह दिन बाद कार्तिक माह की षष्टी तिथि को पड़ने के कारण ही इसे छठ पर्व कहा जाता है।

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पूर्वांचल और बिहार  का लोकप्रिय पर्व छठ महापर्व 5 नवंबर मंगलवार  को नहाय-खाय(Nahay Khay) के साथ (Chhath Puja 2024 date) शुरू हो गया  है।

पहले जान लेते है  छठ पूजा की तिथियाँ (Chhath Puja 2024 Date)

नहाय खाय (5 नवंबर 2024): छठ पूजा के पहले दिन, श्रद्धालु नदी या तालाब में स्नान करते हैं और केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।

खरना (6 नवंबर 2024): दूसरे दिन, व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खीर, रोटी और फल खाए जाते हैं।

संध्या अर्घ्य (7 नवंबर 2024): तीसरे दिन, व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।

प्रातःकालीन अर्घ्य (8 नवंबर 2024): चौथे दिन, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं और प्रसाद वितरण करते हैं।

दिवाली(Diwali 2024) के छह दिन बाद कार्तिक माह की षष्टी तिथि को पड़ने के कारण ही इसे छठ(Chhath) पर्व कहा जाता है।

6 नवंबर 2024 बुधवार  खरना या लोहंडा (Kharna or lohanda) के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा।

व्रतीजन संतान की प्राप्ति, सुख-समृद्धि, संतान की दीघार्यु और आरोग्य की कामना के लिए साक्षात सूर्य देव और छठी मैया(Chhathi Maiya) की आराधना करती हैं।

चलिए अब बताते है छठ पूजा के दौरान सूर्योदय और सूर्यास्त पर अर्घ्य देने का समय-Chhath-Puja-2024-Argh-Time-chhath-puja-argh-dene-ka-samay:

 

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छठ पूजा पर अर्घ्य देने का सम

 

7 नवंबर को अस्ताचलगामी और 8 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य-Chhath-Puja-2024-Argh-Time

हिंदू पंचांग के अनुसार, 6 नवंबर 2024 को खरना (chhath-puja-argh-dene-ka-samay) है। इस दिन व्रती संध्या में आम की लकड़ी से मिट्टी के बने चूल्हे पर गुड़ का खीर बना कर भोग अर्पण करती हैं और प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करती है।

इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है।

इससे एक दिन पूर्व शुक्रवार को नहाय खाय के दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा करने के उपरांत चने की दाल कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करेंगी।

खरना के दूसरे दिन अर्थात 7 नवंबर 2024 गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे।
इस दिन छठ घाट पहुंचने से पूर्व घर में सभी सदस्य मिलजुल कर साफ-सफाई से शुद्ध देसी घी में ठेकुआ बनाते हैं।
इसी ठेकुआ, चावल के आटा और घी से बने लड्डू, पांच प्रकार के फल व दीए के साथ पूजा का सूप सजाया जाता है। दौरा सिर पर रखकर लोग छठ गीत की धुन पर श्रद्धा भाव के साथ घाट पहुंचते हैं।

छठी मईया – इस शुभ मुहूर्त में दे अर्ध्य

 

अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य कब-Chhath-Puja-2024-Argh-Time-chhath-puja-argh-dene-ka-samay

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर शाम में व्रती अस्ताचलगामी सूर्यदेव को प्रथम अर्घ्य अर्पित करेंगे।

अर्घ्य अर्पित करने से पूर्व व्रती जल में खड़े होकर आदिदेव भुवन भास्कर को नमन कर एवं परिवार, समाज की सुख-शांति के लिए मंगल कामना करेंगे।

प्रथम अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त (chhathi-maiya puja shubh muhurat)

 

इस साल छठ महापर्व में सूर्यदेव को पहला अर्घ्य 8 नवंबर 2024 शुक्रवार को दिया जाएगा।

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इस दिन सूर्योदय समय छठ पूजा के दिन -सुबह  06:39

और सूर्यास्त समय छठ पूजा के दिन – शाम 05:31 बजे रहेगा।

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उदीयमान सूर्य को अर्घ्य-सुबह 06:39 बजे-Chhath-Puja-2024-Argh-Time-chhath-puja-argh-dene-ka-samay

इस साल 8 नवंबर 2024 शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

पंचांग के अनुसार इस वर्ष 8 नवंबर 2024 को सुबह 06.39 बजे सूर्योदय हो रहा है।

सभी छठ घाटों पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर से सुख समृद्धि और आरोग्यता की कामना की जाएगी।

उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ ही चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था का यह महापर्व छठ संपन्न हो जाएगा।

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जानें कौन हैं छठी मईयां ?-Who is Chhathi Maiya

छठ (Chhath) का पर्व कार्तिक मास की षष्टी को मनाया जाता है। छठे दिन पूजी जाने वाली षष्ठी मइया (Sasthi Maiya) को बिहार में आसान भाषा में छठी मईयां (Chhathi Maiya) कहकर पुकारते हैं।

ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा (Chhath Puja) के दौरान पूजी जाने वाली यह माता सूर्य भगवान की बहन हैं।

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इसीलिए लोग सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मैया को प्रसन्न करते हैं।

वहीं, पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है।

छठ मइया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि जिन छठ पर्व संतान के लिए मनाया जाता है।

खासकर वह जोड़े जिन्हें संतान का प्राप्ति नही हुई। वो छठ का व्रत (Chhath Vrat) रखते हैं, बाकि सभी अपने बच्चों की सुख-शांति के लिए छठ मनाते हैं।

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जानें छठ पर अर्घ्य देने का वैज्ञानिक महत्व

सूर्य की किरणें शरीर के लिए लाभदायक होती है,चूंकि इनसे मानव शरीर को विटामिन डी मिलता है। ऐसे में यदि उगते सूर्य की किरणों के सामने खड़ा हुआ जाएं तो इससे अधिक लाभकारी कुछ हो नहीं सकता।

इसीलिए सदियों से सूर्य नमस्कार को बहुत लाभकारी बताया गया।

वहीं, प्रिज्म के सिद्धांत के मुताबिक सुबह की सूरत की रोशनी से मिलने वाले विटामिन डी (Vitamin D) से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और स्किन से जुड़ी सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं।

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(इनपुट  एजेंसी से भी)

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