कोरोना मृतकों के लिए दें मुआवजा,NDMA 6 हफ्ते में जारी करें गाइडलाइन:सुप्रीम कोर्ट

केंद्र सरकार ने कहा सभी COVID पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान राज्यों के वित्तीय सामर्थ्य से बाहर है।

Breaking Kejriwal's Petition Will Be Heard in The SC On Wednesday

केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं, कहा HC के फैसले का इंतजार करें

Corona-death-compensation-must-says-supreme-court-directs-to-Centre 

नई दिल्ली:कोरोना मृतकों के परिजनों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट(Supreme court)ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधनप्राधिकरण(NDMA)को आदेश दिया है कि वह COVID-19 के कारण जान गंवा चुके लोगों के परिजनों को मुआवजे काभुगतान(Corona-death-compensation)करें और इसके लिए 6 हफ्ते के भीतर गाइडलाइंन तैयार करें।

देश की शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने बुधवार को कोविड-19 पीड़ितों(Covid-19) को मुआवजे देने के मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र को आदेश दिया कि वह कोविड-19 मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि सहित राहत के न्यूनतम मानक प्रदान (Corona-death-compensation-must-says-supreme-court-directs-to-Centre)करें।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि कोविड पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए गाइडलाइन छह हफ्ते के भीतर तैयार की जाएं। 

कोविड पीड़ितों को अनुग्रह राशि सहित राहत के न्यूनतम मानक प्रदान करना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लिए वैधानिक रूप से अनिवार्य है।

अनुग्रह राशि प्रदान न करके NDMA अपने वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहा है।

कोर्ट ने केंद्र सरकार(Centre)को COVID पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का आदेश दिया (Corona-death-compensation-must-says-supreme-court-directs-to-Centre) है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को कितनी राशि दी जाए,इसका निर्णय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा तय लिया जाएगा। 6 हफ्ते में गाइडलाइन तैयार की जाएगी।

हालांकि कोविड मौत पर चार लाख रुपये का मुआवजा देने की याचिका पर आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत के लिए ये वाजिब नहीं है कि वो सरकार को एक निश्चित राशि का मुआवजा देने के आदेश दे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर चार लाख रुपये मुआवजा दिया जाता है तो इससे सरकार को आर्थिक दिक्कत हो सकती है।

ये प्राधिकरण पर है कि वह इसके लिए मुआवजा तय करे।

6 हफ्ते के भीतर NDMA गाइडलाइन तैयार करे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NDMA छह हफ्ते के भीतर गाइडलाइन तैयार करेगा। कोविड पीड़ितों(COVID Victims) के मृत्यु प्रमाण पत्र(death certificate) पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत और मृत्यु का कारण होगा।

परिवार के संतुष्ट न होने पर मृत्यु के कारण को ठीक करने के लिए तंत्र भी होना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि कोविड से मृत व्यक्ति के परिवारों को अनुग्रह सहायता देना आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 के तहत निर्धारित ‘राहत के न्यूनतम मानकों’ का हिस्सा है.

साथ ही ये भी कहा कि हम मुआवजा तय नहीं कर रहे, लेकिन NDMA छह हफ्ते के भीतर प्रत्येक कोविड पीड़ित को भुगतान की जाने वाली अनुग्रह राशि निर्धारित करने का दिशानिर्देश जारी करे।

गौरतलब है कि कोरोनाकाल में भारत में कोविड महामारी के कारण तकरीबन 3.9 लाख मौतें हुई हैं, जिसे आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आपदा घोषित किया गया है।

Corona-death-compensation-must-says-supreme-court-directs-to-Centre 

4 लाख रुपये मुआवजा देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

21 जून को कोविड से हुई मौत पर चार लाख रुपये मुआवजा देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने के मामले में केंद्र सरकार व पक्षकारों को 3 दिनों के भीतर लिखित दलीलें देने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई नहीं कह सकता कि COVID आपदा नहीं है।

जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि हर आपदा का अलग प्रभाव होता है। कोई बड़ी महामारी या छोटी महामारी हो सकती है.

यदि व्यक्ति अधिक प्रभावित होते हैं और महामारी की गंभीरता अधिक होती है तो आप छोटी महामारी के लिए लागू होने वाले मानदंड की मांग नहीं कर सकते।

कोरोना ग्लोबल महामारी है। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कानून के अनुसार- केंद्र को एक योजना बनानी होगी। क्या आर्थिक तंगी संवैधानिक दायित्व को रोक सकती है ?

यह बाधा संवैधानिक दायित्व को पूरा करने में आड़े नहीं आ सकती। सुप्रीम कोर्ट के ही फैसले हैं कि आर्थिक तंगी राहत ना देने का आधार नहीं हो सकती।

Corona-death-compensation-must-says-supreme-court-directs-to-Centre 

केवल नियमित डॉक्टर ही बीमा कवर के दायरे में है, पैरामेडिकल स्टॉफ का क्या होगा।

डीएमए(DMA) की धारा 12 में जीवन के नुकसान आदि के लिए अनुग्रह राशि का प्रावधान है। आपदाओं को धारा 2 (D) के तहत परिभाषित किया गया है.

सरकार खुद कह चुकी है कि कोविड राष्ट्रीय आपदा है। चक्रवात, बाढ़ आवर्ती घटनाएं हैं। दूसरे याचिकाकर्ता ने कहा कि डॉक्टरों के अलावा भी फ्रंटवर्कर हैं।

पुलिस बल, श्मशान में काम करने वाले लोग भी हैं, उनका कौन ध्यान रखेगा, हालांकि इस मामले में मुआवजा देने पर केंद्र सरकार ने असहमति जताई है, लेकिन कहा है कि सभी कोविड मौतों के मृत्यु प्रमाणपत्रों में कोविड को मौतों के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है।

Corona-death-compensation-must-says-supreme-court-directs-to-Centre 

जानें कोरोना पीड़ितों पर केंद्र सरकार का पक्ष

केंद्र ने कहा है कि कोविड के पीड़ितों को 4 लाख का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है। आपदा प्रबंधन कानून के तहत अनिवार्य मुआवजा केवल प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ आदि पर ही लागू होता है।

एक बीमारी के लिए अनुग्रह राशि देना और दूसरी के लिए इसे अस्वीकार करना अनुचित होगा।

सभी COVID पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान राज्यों के वित्तीय सामर्थ्य से बाहर है।

COVID के प्रसार और प्रभाव के कारण प्राकृतिक आपदाओं के लिए मुआवजे को लागू करना उचित नहीं होगा।

इसे कोरोना महामारी पर लागू नहीं किया जा सकता। केंद्र और राज्य पहले ही टैक्स राजस्व में कमी और स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि के कारण गंभीर वित्तीय दबाव में हैं।

अनुग्रह राशि देने के लिए संसाधनों का उपयोग महामारी के खिलाफ कार्यवाही और स्वास्थ्य व्यय को प्रभावित कर सकता है।

ये अच्छा करने की बजाए नुकसान का कारण बन सकता है। महामारी के कारण 3,85,000 से अधिक मौतें हुई हैं जिनके और भी बढ़ने की संभावना है।

केंद्र ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले ही कहते हैं कि नीतिगत मामलों को कार्यपालिका पर छोड़ देना चाहिए और अदालत कार्यपालिका की ओर से निर्णय नहीं ले सकती।

COVID पीड़ितों के लिए डेथ सर्टिफिकेट पर केंद्र ने कहा है कि सभी COVID मौतों को मृत्यु प्रमाणपत्रों में COVID मौतों के रूप में प्रमाणित किया जाएगा।

कोविड मौतों(covid death)को प्रमाणित करने में विफल रहने पर प्रमाणित करने वाले डॉक्टरों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

केंद्र का हलफनामा कोविड पीड़ितों को 4 लाख और कोरोना से मौतों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के दिशा-निर्देश मांगने वाली याचिका पर दाखिल किया गया है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 मई  को कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि दिए जाने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की थी।

Corona-death-compensation-must-says-supreme-court-directs-to-Centre 

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

दरअसल, कोर्ट ने कोविड-19 से मरने वालों के डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के लिए समान नीति की मांग वाली याचिका पर सरकार से सवाल किया कि क्या कोरोना से पीड़ित लोगों के लिए कोई एक समान पॉलिसी है?

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की  पीठ ने केंद्र को कोविड-19 से मरने वाले लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के दिशा-निर्देशों की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा कि इसके लिए समान नीति अपनाई जाए. शीर्ष अदालत दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

इन याचिकाओं में केंद्र और राज्यों को साल 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि देने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए समान नीति अपनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

पीठ ने कहा कि जब तक कोई आधिकारिक दस्तावेज या मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति नहीं होगी, जिसमें कहा गया हो कि मृत्यु का कारण कोविड था, तब तक मृतक के परिवार वाले किसी भी योजना के तहत, अगर ऐसी कोई है, मुआवजे का दावा नहीं कर पाएंगे।

पीठ ने केंद्र को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।

(इनपुट एजेंसी से भी)

 

Corona-death-compensation-must-says-supreme-court-directs-to-Centre 

Varsa: वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।