Eid-ul-adha-2021-bakra-eid-today-know-kurbani-importance
नई दिल्ली:आज देशभर में भाई-चारे,प्रेम और त्याग का पर्व ईद(Eid)पूर्ण आस्था के साथ मनाया जा रहा है।इस साल भी ईद(Eid)कोरोना (Corona) के साएं में आई है।
देशभर में मुस्लिम संप्रदाय का पवित्र त्यौहार ईद-उल-अजहा(Eid-ul-adha-2021) यानि बकरीद बुधवार,21 जुलाई 2021 को मनाया जा रहा है।
दिल्ली जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम सैयद शाबान बुखारी ने ईद-उल-अजहा 21जुलाई(Eid-ul-adha)को मनाने का एलान कर दिया था।
जामा मस्जिद के नायब शाही सयैद शाबान बुखारी ने बीते रविवार रात को घोषणा करते हुए कहा था कि, ‘ईद-उल-अजहा का त्योहार 21 जुलाई को मनाया(Eid-ul-adha-2021-bakra-eid-today-know-kurbani-importance)जाएगा।‘
वहीं बीते रविवार को इस्लामी माह जिलहिज्जा का चांद कई जगहों पर देखा गया, हालांकि मौसम के चलते कई जगहों पर चांद दिखाई भी नहीं दिया।
हालांकि 12 जुलाई से इस्लामिक कैलंडर का अंतिम माह शुरू हो चुका है।
इस्लाम में इस महीने का बहुत महत्व है इसे जुल हिज्जा के नाम से जाना जाता है।
ईद उल फितर(eid-ul-fitr)यानि मीठी ईद के 70 दिन के बाद बकरीद का त्यौहार मुस्लिम धर्म के लोग मनाते है।
ईद उल अज़हा भारत और दुनिया भर में पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इस दिन मुसलमान ईदगाह या मस्जिद में जमा होते हैं और जमात के साथ 2 रकात नमाज अदा करते हैं।
यह नमाज अमूमन सुबह के समय आयोजित की जाती है।
bakra-eid-kab-hai-2021-Eid-ul-adha-2021-date-भारत में कब है बकरीद?
इस वर्ष 2021 में भारत में बकरीद बुधवार, 21 जुलाई को मनाई जा(Eid-ul-adha-2021-bakra-eid-today)रही है।
ईद उल अजहा इस्लामी कैलेंडर का 12वां और आखिरी महीना होता है।
बीते रविवार को दिल्ली जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम सैयद शाबान बुखारी ने इसका ऐलान किया।
बकरीद को कुर्बानी का पर्व क्यों कहा जाता है?
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बकरा ईद(Bakra eid)लोगों को सच्चाई की राह में अपना सबकुछ कुर्बान कर देने का संदेश देती है।
ईद-उल-अजहा(Eid ul-adha) को हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है।
हजरत इब्राहिम अल्लाह(Allah)के हुकम पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे।
जब हजरत इब्राहिम अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए आगे बढ़े तो खुदा ने उनकी निष्ठा को देखते हुए इस्माइल की कुर्बानी को दुंबे की कुर्बानी में परिवर्तित कर दिया।
बस तभी से ईद-उल-अजहा को कुर्बानी पर्व(Kurbani Parv) के रुप में मनाया जाने लगा।
बकरा ईद पर सबसे पहले मस्जिदों में नमाज अदा की जाती है। इसके बाद बकरे या दुंबे-भेड़ की कुर्बानी दी जाती है।
कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। इसमें से एक हिस्सा गरीबों को जबकि दूसरा हिस्सा दोस्तों और सगे संबंधियों को दिया जाता है।
वहीं, तीसरे हिस्सा अपने परिवार के लिए रखा जाता है।
जानें मीठी ईद और बकरीद में अंतर
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मीठी ईद(Mithi eid) की तरह बकरीद(Bakrid) भी खुशी के साथ मनाई जाती है, बस ईद-उल-फितर और बकरीद में फर्क इतना है कि ईद-उल-फितर खुशी के तौर पर देखा जाता है
रमजान(Ramzaan) के तोहफे के तौर पर मनाई जाती है और eid-ul-adha यानी की बकरीद गरीब और जरुरतमंदों के साथ मिलकर मनाई जाती है ।
कुर्बानी का जो कांसेप्ट है उसका भी यही मतलब है कि वह गोश्त गरीबों में तक्सीम करें ताकि गरीबों को एक वक्त का खाना मिल सके।
नमाज अदा करने के बाद वे भेड़ या बकरी की कुर्बानी (बलि) देते हैं और परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और गरीबों के उसे साझा करते हैं।
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