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नई दिल्ली:Farmers-Protest-latest-update-Kisan-rejected-MSP-proposal-of-govt-will-march-to-Delhi-on-21st-feb-किसानों और सरकार के बीच सोमवार को भी गतिरोध जारी रहा।
किसानों ने सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) के प्रस्ताव को सोमवार को खारिज कर दिया और 21 फरवरी को दिल्ली कूच का एलान कर(Farmers-Protest-latest-update-Kisan-rejected-MSP-proposal-of-govt-will-march-to-Delhi-on-21st-feb)दिया।
आपको बता दें कि फिलहाल पंजाब,हरियाणा सहित देशभर के किसान संगठन(Farmers Union)शंभू बॉर्डर पर आंदोलन(Kisan Andolan 2024)कर है
और दिल्ली की सीमा में दाखिल नहीं हुए है लेकिन केंद्र सरकार की ओर से उन्हें दिल्ली(Delhi)में दाखिल न होने देने के लिए पुख्ता इंतजाम किए है।
इसके साथ ही सरकार ने रविवार को किसानों के साथ फिर से बैठक करके अपनी ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रस्ताव दिया था,जिसे सोमवार को किसानों ने विचार-विर्मर्श के बाद खारिज कर(Farmers-Protest-latest-update-Kisan-rejected-MSP-proposal-of-govt)दिया और इसे किसान विरोधी बताया।
शंभू बॉर्डर(Shambhu Border)पर किसानों(Farmers) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि सरकार ने जो प्रस्ताव पेश किया है वह किसानों के हित में नहीं है।
सरकार प्रेस में कुछ और कहती है और बैठक में कुछ और कहती है।उनकी बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
न्यूनतम समर्थन मूल्य जो प्रस्ताव केंद्र सरकार ने पेश किया है उसमें वह केवल दाल, मक्का और कपास की फसल पर ही MSP का प्रस्ताव दे रहे है जबकि हमारी मांग है कि कि हमें सभी 23 फसलों पर MSP दिया जाए।
इसलिए सरकार की ओर से आएं MSP प्रस्ताव को हम रद्द करते(Farmers-Protest-latest-update-Kisan-rejected-MSP-proposal-of-govt) है।
इससे किसानों को कुछ लाभ नहीं होने वाला है। देश का किसान ऐसे ही लूटता रहेगा।
सरकार की नियत में खोट है। अगर किसानों को प्रदर्शन(2024 Indian Farmers Protest)भी नहीं करने देंगे तो यह देश के लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
केंद्र की नियत साफ हो गई है। सरकार की तरफ से वार्ता में तो कुछ और कहा जाता है और बाहर निकलकर पीसी में कुछ और…
’21 फरवरी को दिल्ली कूच’
किसानों ने कहा कि हमारी तरफ से कोई प्रपोजल नहीं दिया गया है। 21 तारीख को हम दिल्ली मूव (Farmers-Protest-latest-update-Kisan-rejected-MSP-proposal-of-govt-will-march-to-Delhi-on-21st-feb)करेंगे।
हमारा बेरिकेट तोड़ने का कोई प्लान नहीं है, लेकिन हमारी मजबूरी भी तो है। इधर किसान हैं, उधर जवान हैं।
हम सबको मालूम है कि केंद्र सरकार(Central Govt) इसको लड़वाने में लगी है। पूरी दुनिया इसको देख रही है। प्रदेश के लोगों को सोचना होगा कि ऐसे लोगों को देश की सत्ता मिलनी चाहिए या नहीं मिलनी चाहिए।
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केंद्र ने क्या सुझाया था प्लान
केंद्र सरकार और किसानों के बीच रविवार को चौथे दौर की बातचीत हुई थी। बैठक में केंद्र ने सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर दालों, मक्का और कपास की फसलों की खरीद से जुड़ी पांच साल की योजना पेश की थी।
बातचीत के बाद किसानों ने कहा था कि वे प्रस्ताव का अध्ययन करते हुए ‘दिल्ली मार्च’ 2 दिनों तक रोकेंगे।
‘SKM गैरराजनीतिक ने कहा-बातचीत के लिए हमेशा तैयार’
सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार 1.75 लाख करोड़ रुपये की लागत से पाम तेल का आयात करती है।
उन्होंने कहा कि अगर यह राशि किसानों द्वारा उगाए जाने वाले तिलहन के लिए निर्धारित की जाती है, तो इससे उन्हें लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रस्ताव से केवल उन किसानों को लाभ होगा जो फसल चक्रों के बीच चावल के अनाज से दालों की खेती करते हैं।
डल्लेवाल ने सरकार से अपील की कि या तो किसानों द्वारा उठाई गई मांगों को पूरा किया जाए या उन्हें दिल्ली में शांतिपूर्वक विरोध करने की अनुमति दी(Farmers-Protest-latest-update-Kisan-rejected-MSP-proposal-of-govt-will-march-to-Delhi-on-21st-feb)जाए।
उन्होंने सभी प्रदर्शनकारी किसानों से हिंसा न करने का भी आग्रह किया।
किसान नेता ने कहा कि फिलहाल सरकार के साथ कोई बैठक की योजना नहीं है, लेकिन वे बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं।
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(इनपुट एजेंसी से भी)