
नई दिल्ली:Nirbhaya case Convicts finally hanged today- देश के सबसे वीभत्स सामूहिक बलात्कार निर्भया केस (Nirbhaya case) के चारों दोषियों को आज, तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में शुक्रवार तड़के साढ़े 5 बजे फांसी पर लटका दिया गया। दोषियों के शवों को दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल ले जाया गया है। पोस्टमार्ट्म के बाद दोषियों के शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
निर्भया के दोषियों (Nirbhaya case convicts) को फांसी पर लटकाने के आधे घंटे बाद मेडिकल ऑफिसर ने चारों दोषियों के मृत होने की आधिकारिक रूप से घोषणा कर दी।
इस खबर के बाद से ही देश में जश्न का माहौल है। न केवल निर्भया की मां बल्कि तिहाड़ जेल के बाहर लोगों ने निर्भया के चारों दोषियों के फांसी पर लटकने की खबर पर खुशी जताई।
Delhi: People celebrate & distribute sweets outside Tihar jail where four 2012 Delhi gang-rape case convicts were hanged at 5:30 am today. pic.twitter.com/TepyocII5t
— ANI (@ANI) March 20, 2020
आखिरकार निर्भया की सहासी व जुझारू मां ने अपने 7 साल के लंबे संघर्ष के बाद बेटी निर्भया को इंसाफ दिला ही दिया।
इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक रेप केस में चार लोगों को एकसाथ फांसी की सजा दी गई है।
Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim: Our daughter is no more & won't return.We started this fight after she left us, this struggle was for her but we will continue this fight in future for our daughters. I hugged my daughter's picture & said 'finally you got justice' https://t.co/Bqv7RG8DtO pic.twitter.com/XBeAJYC8of
— ANI (@ANI) March 20, 2020
निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा पर मां आशा देवी ने खुशी जताई है। निर्भया की मां ने कहा ‘आज मेरी बेटी को इंसाफ मिला। आज का दिन देश की बेटियों के नाम। भले देर से सही लेकिन हमें इंसाफ मिला।’
#WATCH Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang rape victim says, "As soon as I returned from Supreme Court, I hugged the picture of my daughter and said today you got justice". pic.twitter.com/OKXnS3iwLr
— ANI (@ANI) March 20, 2020
Delhi: Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim show victory sign after Supreme Court's dismissal of death row convict Pawan Gupta's plea seeking stay on execution. pic.twitter.com/FPDy0hgisv
— ANI (@ANI) March 19, 2020
दिल्ली में हुए निर्भया कांड ने भले ही जनआक्रोश में उबाल ला दिया था, लेकिन निर्भया के चारों दोषियों को आज फांसी की सजा केवल उनकी मां के लंबे संघर्ष और कानून पर उनकी आस्था के चलते ही मिली है।
ये मां 7 साल से अपनी बेटी के साथ हुई हैवानियत के खिलाफ दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग करती रही और हर बार उसे केवल और केवल निराशा ही हाथ लगी,
लेकिन ये निर्भया की जुझारू मां की कानून के प्रति आस्था, आत्मविश्वास और संयम का ही नतीजा है कि इतनी सारी तिकड़मबाजी और कानून के दांव-पेचों के बावजूद भी निर्भया कांड के दोषियों को आज फांसी पर लटका ही दिया (Nirbhaya case Convicts finally hanged today) गया।
Delhi: Security deployed outside Tihar jail, where the four 2012 Delhi gang-rape death row convicts will be hanged shortly. pic.twitter.com/QxyQi0XnWD
— ANI (@ANI) March 19, 2020
हालांकि शुक्रवार तड़के साढ़े 5 बजे निर्भया के दोषियों को फांसी मिलने से कुछ घंटे पहले तक भी दोषियों के वकील ने उन् बचाने की हर संभव कोशिश की।

दोषियों के वकील ने देर रात सुप्रीम कोर्ट में दोषी पवन गुप्ता की ओर से याचिका दाखिल की, जिस पर देर रात गए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और पवन की याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में राष्ट्रपति द्वारा खारिज की गई दया याचिका के खिलाफ याचिका दायर की गई थी।
इससे पूर्व गुरुवार देर रात गए दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी और तब दोषियों के वकील सुप्रीम कोर्ट चले गए थे।
गौरतलब है कि निर्भया के दोषियों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट की ओर से नया डेथ वॉरंट 20 मार्च 2020 जारी हुआ था।
Tihar jail officials to ANI: All four 2012 Delhi gang-rape death row convicts are being taken to the place where they will be hanged shortly. https://t.co/7xyjs4E1FS
— ANI (@ANI) March 19, 2020
इसके मुताबिक निर्भया गैंगरेप के सभी दोषियों को शुक्रवार साढ़े 5 बजे फांसी दी जानी थी और इसी का पालन करते हुए आज, 20 मार्च को निर्भया के दोषियों को फांसी पर सुबह साढ़े 5 बजे लटका दिया (Nirbhaya case Convicts finally hanged today) गया।
दोषियों को सुबह 3 बजे ही उठाकर नहाने और नाश्ता मुहैया कराने की तैयारी शुरू हुई। दूसरी ओर जल्लाद ने भी फांसी की तैयारी कर ली। फांसी की तैयारियों में फांसी पर लटकाने वाली रस्सी को बांधना और दोषियों के लीवर इत्यादि को पुन: चेक करना शामिल (Nirbhaya case Convicts finally hanged today) रहा।
इसके बाद दोषियों के हाथ-पैर बांधकर और चेहरा काला कपड़े से ढ़ककर निर्भया के चारों दोषियों को लंबे इंतजार के बाद फांसी की सजा दे दी गई।
एक मां ने सात साल के लंबे संघर्ष के बाद अपनी बेटी निर्भया को आखिरकार इंसाफ दिला ही दिया, चूंकि निर्भया की अंतिम इच्छा ही यह थी कि उनके दोषियों को बख्शा न जाएं। यह बात निर्भया की मां आशादेवी ने बताई थी।
‘7 साल पहले मेरी बच्ची के साथ क्राइम हुआ था और सरकार बार-बार मुजरिमों के सामने मुझे झुका रही है। … अगर ऐसा ही होना है तो नियम-कानून की किताबों को आग लगा देनी चाहिए।’ हर बार नया डेथ वारंट मिलने पर आंखों में आंसू भर यह शब्द कहें थे निर्भया की मां आशा देवी ने। हमेशा की तरह 31 जनवरी को भी निर्भया केस के दोषियों की फांसी पर तीसरी बार रोक लगी थी।
दोषियों के चालबाज वकील और कानून के साथ खिलवाड़ करने वाली पैंतरेबाजी से पलभर को हताश हुई निर्भया की मां ने कहा था कि ‘मैं लड़ूंगी…फांसी होने तक चैन से नहीं बैठूंगी।’ हर बार कोर्ट में अपनी मासूम बेटी के बलात्कारियों और हत्यारों को देखना और हमेशा डेथ वारंट का टलना व नई तारीखों का पाना…एक मां को भले ही कुछ समय के लिए हताश कर गया लेकिन उसके चट्टान से ज्यादा बुलंद हौंसलों को तोड़ नहीं सका।
जब भी वो मां टूटती कानों में उस मां के सिर्फ यही शब्द गूंजते ‘मां…मेरे दोषियों को अंजाम तक पहुंचाना।‘…
अपनी बेटी निर्भया की यह अंतिम इच्छा इस सहासी मां को फिर से इंसाफ की लड़ाई पूरे सहास के साथ लड़ने की शक्ति देते और आखिरकार देश की बेटी निर्भया को पूरे सात साल बाद 20 मार्च 2020 को इंसाफ (Nirbhaya case Convicts finally hanged today)मिला, जब निर्भया के चारों दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया। निर्भया की आत्मा को आज शांति मिली और उनकी मां को संतुष्टि।
निर्भया गैंगरेप और मर्डर की कहानी-(Nirbhaya case Convicts finally hanged today)
दिल्ली में दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड थी। 16 दिसंबर 2012 की वो स्याह काली रात थी, जब दिल्ली की सड़कों पर चलती बस में 6 हैवानों ने इंसानियत और दरिंदगी की हदों को रौंदते हुए एक लड़की के साथ बलात्कार किया था।
इस बलात्कार की पीड़िता की पहचान सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक छिपाकर रखी गई थी और इस केस की पीड़िता को निर्भया नाम दिया गया था।
दिल्ली की दिसंबर की रात में न केवल 6 हैवानों ने निर्भया के साथ रेप किया था बल्कि उसकी बड़े ही पशुआत्मक तरीके से हत्या भी कर दी गई थी।
निर्भया रेप और मर्डर को इस जघन्य तरीके से अंजाम दिया गया था कि पीड़िता की एक इंच आंत भी नहीं बची थी। निजी अंगों को भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया गया था। इसलिए फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इसे रेयर ऑफ रेयरेस्ट की कैटेगिरी में डाला था।
अपने नाम की तरह निर्भया ने इतनी यातनाएं सहकर भी जीने की इच्छा खत्म नहीं होने दी थी लेकिन मौत के आगे जिंदगी से जंग हार गई निर्भया।
29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में निर्भया की सांसें थम गईं।
निर्भया ने मरने से पहले अपनी मां से कहा था कि ‘मां दोषियों को अंजाम तक पहुंचाना।‘ और बस तब 2012 दिसंबर से लेकर आज तक निर्भया की मां इसांफ के लिए लड़ती रही और आखिरकार लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर निर्भया की मां ने अपनी बेटी को इंसाफ दिला दिया। निर्भया के दोषियों को 20 मार्च,शुक्रवार फांसी पर लटका दिया गया।
2013 में एक दोषी ने की आत्महत्या और निचली अदालत ने आरोपियों को ठहराया दोषी
तकरीबन सवा साल बाद 11 मार्च 2013 को एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।
इसके बाद निचली अदालत में निर्भया की मां ने शुरू की अपनी बेटी को इसांफ दिलाने की जंग।
वर्ष 2013 में निचली अदालत ने सभी दोषियों को सजा सुनाई। हालांकि 31 अगस्त 2013 को नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई।
13 सितंबर 2013 को निचली अदालत ने बाकी चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाई।
सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई 2017 को मौत की सजा पर लगाई मुहर(Nirbhaya case Convicts finally hanged today)
भले ही फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई होने से महज डेढ़ साल में ही दोषियों को सजा मिल गई, लेकिन आशा देवी के लिए इंसाफ पाने की असल जंग अब शुरू हुई।
निर्भया के दोषियों ने सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी। 13 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा। फिर, इसके बाद यह केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट ने भी 5 मई 2017 को निर्भया के दोषियों की फांसी की सजा पर मुहर लगा दी।
मिलती रही तारीख पर तारीख, बढ़ता गया मां का संघर्ष
दोषी कानून के साथ कितनी हद तक खिलवाड़ कर सकते है, इसकी बानगी निर्भया केस में देखने के मिली।
भले ही सुप्रीम कोर्ट से भी दोषियों को मौत की सजा मिल गई लेकिन दोषियों के वकीलों ने किसी न किसी वजह से फांसी को टालने के लिए नई-नई चालबाजियां और पैंतरेबाजियां शुरू कर दी।
जानबूझकर पहले तो रिव्यू पिटिशन में देरी की गई। फिर चारों दोषियों की रिव्यू पिटिशन भी बारी-बारी से डाली गई।
रिव्यू के बाद क्यूरेटिव पिटिशन और मर्सी पिटिशन में भी यही हठकंडा अपनाया गया।
हमेशा नए डेथ वॉरंट निकलते, लेकिन फांसी की तारीख से ठीक पहले मर्सी पिटिशन का दांव खेल दिया जाता था।
निर्भया केस में एक-दो नहीं बल्कि 4 बार डेथ वॉरंट जारी किए गए।
हर बार किसी न किसी वजह से दोषियों की फांसी टलती रही, मां टूटती लेकिन फिर भी अपनी इंसाफ पाने की आस को टूटने नहीं देती।
दोषियों के वकील ने हर तरह के दांव खेले। कभी किसी मुवक्किल को मानसिक रूप से बीमार बताकर, तो कभी नाबालिग बताकर।
कभी यह दावा करके कि दोषी मौका-ए-वारदात पर था ही नहीं, तो कभी दया याचिका में तकनीकी खामी बताकर।
यहां तक कि इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (CJI) का भी पैंतरा खेला गया, जहां इस तरह के मामलों की सुनवाई ही नहीं हो सकती।
दोषियों का वकील अपनी पैंतरेबाजी पर खूब हंसता, निर्भया की मां को चैलेंज करता की अनंतकाल तक भी वो दोषियों को फांसी नहीं दिलवा सकती, कोई भी सामान्य मां बार-बार हार हाथ लगने पर टूट सकती है लेकिन निर्भया की मां आशादेवी ने अपने नाम को चरितार्थ करते हुए इसांफ की आस का दामन नहीं छोड़ा।
वो रोती, निराश भी होती लेकिन लड़ती रही। निर्भया की मां पूरी ताकत, आत्मविश्वास और हौंसले के साथ अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने की जंग में आखिरकार 20 मार्च 2020 को जीत गई, जब निर्भया केस के चारों दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया और एक लंबे संघर्ष व दर्दनाक केस का सुखद अंत हुआ।
Nirbhaya case Convicts finally hanged today