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Nirbhayacase: आज से मनेगा निर्भया दिवस, निर्भया की मां ने कहा-देर से सही लेकिन हमें इंसाफ मिला

इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक रेप केस में चार लोगों को एकसाथ फांसी की सजा दी गई है...

नई दिल्ली:Nirbhayacase:late but we get justice says Nirbhaya’s mother- सात साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार निर्भया केस (Nirbhaya case) के चारों दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया। इस अवसर पर निर्भया की मां आशादेवी ने खुशी जताते हुए कहा कि ‘आज मां का धर्म पूरा हुआ। देर से सही लेकिन हमें इंसाफ मिला। आज मेरी बेटी को इंसाफ (Nirbhayacase:late but we get justice says Nirbhaya’s mother)मिला।

न्यायपालिका और सरकार को धन्यवाद। बेटियों के लिए न्याय की लड़ाई जारी रहेगी।’

तिहाड़ जेल के बाहर लोग हाथों में तख्ती लेकर खड़े हुए, जिसपर लिखा था-20 मार्च 2020 निर्भया दिवस (NirbhayaDiwas) ।

दिल्ली के निर्भया रेप और मर्डर (2012 Delhi gang rape) के चारों दोषी पवन, विनय, अक्षय और मुकेश को आज सुबह साढ़े 5 बजे फांसी पर लटका दिया गया है।

इस खबर के साथ देश में  खुशी की लहर दौड़ गई। निर्भया के दोषियों की फांसी का इंतजार पूरे देश को था। तिहाड़ जेल (Tihar Jail) के बाहर आधी रात से ही लोगों की भीड़ फांसी की सजा देखने के लिए जुट गई थी।

निर्भया की मां ने लंबी कानूनी लड़ाई के बावजूद न्यायव्यवस्था पर भरोसा पर देश का भरोसा बढ़ा (Nirbhayacase:late but we get justice says Nirbhaya’s mother) है।

लोगों ने निर्भया के दोषियों (Nirbhaya case convicts) की फांसी की सजा पर किसी त्यौहार की तरह खुशियां मनाई और कहा कि हम दशहरे की तरह आज के निर्भया दिवस को मनाएंगे।

निर्भया की मां ने कहा कि जब तक हम सहते रहेंगे तब तक यह होता रहेगा। इसलिए जिन भी बच्चियों के साथ यह होता है हम उनके मां-बाप से कहेंगे कि इस तरह के अपराधों के खिलाफ आवाज उठाएं।

गौरतलब है कि देश के सबसे वीभत्स सामूहिक बलात्कार निर्भया केस (Nirbhaya case) के चारों दोषियों को आज, तिहाड़ जेल में शुक्रवार तड़के साढ़े 5 बजे फांसी पर लटका दिया गया।

आखिरकार निर्भया की सहासी व जुझारू मां ने अपने 7 साल के लंबे संघर्ष के बाद बेटी निर्भया को इंसाफ दिला ही (Nirbhayacase:late but we get justice says Nirbhaya’s mother) दिया।

इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक रेप केस में चार लोगों को एकसाथ फांसी की सजा दी गई है।

दिल्ली में हुए निर्भया कांड ने भले ही जनआक्रोश में उबाल ला दिया था, लेकिन निर्भया के चारों दोषियों को आज फांसी की सजा केवल उनकी मां के लंबे संघर्ष और कानून पर उनकी आस्था के चलते ही मिली है।

ये मां 7 साल से अपनी बेटी के साथ हुई हैवानियत के खिलाफ दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग करती रही और हर बार उसे केवल और केवल निराशा ही हाथ लगी,

लेकिन ये निर्भया की जुझारू मां की कानून के प्रति आस्था, आत्मविश्वास और संयम का ही नतीजा है कि इतनी सारी तिकड़मबाजी और कानून के दांव-पेचों के बावजूद भी निर्भया कांड के दोषियों को आज फांसी पर लटका ही दिया (Nirbhayacase:late but we get justice says Nirbhaya’s mother) गया।

निर्भया गैंगरेप और मर्डर की कहानी-Nirbhaya gang rape and murder

दिल्ली में दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड थी। 16 दिसंबर 2012 की वो स्याह काली रात थी, जब दिल्ली की सड़कों पर चलती बस में 6 हैवानों ने इंसानियत और दरिंदगी की हदों को रौंदते हुए एक लड़की के साथ बलात्कार किया था।

इस बलात्कार की पीड़िता की पहचान सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक छिपाकर रखी गई थी और इस केस की पीड़िता को निर्भया नाम दिया गया था।

दिल्ली की दिसंबर की रात में न केवल 6 हैवानों ने निर्भया के साथ रेप किया था बल्कि उसकी बड़े ही पशुआत्मक तरीके से हत्या भी कर दी गई थी।

मिलती रही तारीख पर तारीख, बढ़ता गया मां का संघर्ष

दोषी कानून के साथ कितनी हद तक खिलवाड़ कर सकते है, इसकी बानगी निर्भया केस में देखने के मिली।

भले ही सुप्रीम कोर्ट से भी दोषियों को मौत की सजा मिल गई लेकिन दोषियों के वकीलों ने किसी न किसी वजह से फांसी को टालने के लिए नई-नई चालबाजियां और पैंतरेबाजियां शुरू कर दी।

जानबूझकर पहले तो रिव्यू पिटिशन में देरी की गई। फिर चारों दोषियों की रिव्यू पिटिशन भी बारी-बारी से डाली गई।

रिव्यू के बाद क्यूरेटिव पिटिशन और मर्सी पिटिशन में भी यही हठकंडा अपनाया गया।

हमेशा नए डेथ वॉरंट निकलते, लेकिन फांसी की तारीख से ठीक पहले मर्सी पिटिशन का दांव खेल दिया जाता था।

निर्भया केस में एक-दो नहीं बल्कि 4 बार डेथ वॉरंट जारी किए गए।

हर बार किसी न किसी वजह से दोषियों की फांसी टलती रही, मां टूटती लेकिन फिर भी अपनी इंसाफ पाने की आस को टूटने नहीं देती।

दोषियों के वकील ने हर तरह के दांव खेले। कभी किसी मुवक्किल को मानसिक रूप से बीमार बताकर, तो कभी नाबालिग बताकर।

कभी यह दावा करके कि दोषी मौका-ए-वारदात पर था ही नहीं, तो कभी दया याचिका में तकनीकी खामी बताकर।

यहां तक कि इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (CJI) का भी पैंतरा खेला गया, जहां इस तरह के मामलों की सुनवाई ही नहीं हो सकती।

दोषियों का वकील अपनी पैंतरेबाजी पर खूब हंसता, निर्भया की मां को चैलेंज करता की अनंतकाल तक भी वो दोषियों को फांसी नहीं दिलवा सकती, कोई भी सामान्य मां बार-बार हार हाथ लगने पर टूट सकती है लेकिन निर्भया की मां आशादेवी ने अपने नाम को चरितार्थ करते हुए इसांफ की आस का दामन नहीं छोड़ा।

वो रोती, निराश भी होती लेकिन लड़ती रही। निर्भया की मां पूरी ताकत, आत्मविश्वास और हौंसले के साथ अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने की जंग में आखिरकार 20 मार्च 2020 को जीत गई, जब निर्भया केस के चारों दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया और एक लंबे संघर्ष व दर्दनाक केस का सुखद अंत हुआ।

 

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Sonal

सोनल कोठारी एक उभरती हुई जुझारू लेखिका है l विभिन्न विषयों पर अपनी कलम की लेखनी से पाठकों को सटीक जानकारी देना उनका उद्देश्य है l समयधारा के साथ सोनल कोठारी ने अपना लेखन सफ़र शुरू किया है l विभिन्न मीडिया हाउस के साथ सोनल कोठारी का वर्क एक्सपीरियंस 5 साल से ज्यादा का है l

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