
Holi 2025-Holika Dahan puja shubh muhurat for good luck
नयी दिल्ली (समयधारा) : आज होलिका दहन है और इस शुभ अवसर पर लोग यह जानना जरुर चाहेंगे की होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कौन सा है l
13 मार्च को होलिका दहन क्यों है उत्तम: ज्योतिषाचार्य विभोर इंदूसुत के अनुसार, 13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से 14 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक पूर्णिमा तिथि व्याप्त रहेगी।
13 मार्च को दिन-रात पूर्णिमा तिथि होने के कारण होलिका दहन इस दिन ही किया जाएगा।
इस साल 13 मार्च 2025 होलिका दहन वाले दिन सुबह 10 बजकर 35 मिनट से रात 11 बजकर 29 मिनट तक भद्रा रहेगी।
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हिंदू पंचागानुसार होली 2025 के लिए सटीक तारीख और समय हैं:
होलिका दहान: गुरुवार, 13 मार्च, 2025
रंगपंचमी/दुल्हंडी/होली: शुक्रवार, 14 मार्च, 2025 (Holi 2025 date 14 March 2025)
पूर्णिमा तिथि शुरू: 13 मार्च, 2025 को 10:35 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च, 2025 को 12:23 बज
होली पूजन का शुभ मुहूर्त
होली पूजन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर प्रारंभ होगा, क्योंकि इस समय से ही पूर्णिमा तिथि शुरू होगी।
Holi 2025 : होली या दुल्हंडी कब है? क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त,क्यों मनाते है होली?
13 मार्च 2025 को दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से दोपहर 03 बजे तक राहुकाल रहेगा, इस अवधि में होली पूजन से बचना चाहिए।
क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में राहुकाल को अशुभ समय माना गया है। इसलिए होली पूजन डेढ़ बजे से पहले कर लें या फिर 03 बजे के बाद करें।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है?-Holika Dahan 2025 Shubh Muhurat

होलिका दहन इस वर्ष गुरुवार,13 मार्च 2025 को है।
होलिका दहन 2025 की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त-Holika Dahan 2025 puja shubh muhurat
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त- हिंदू धर्म में होलिका दहन प्रदोष काल में अत्यंत शुभ माना गया है।
लेकिन 13 मार्च 2025 को रात 11 बजकर 29 बजे तक भद्रा व्याप्त रहेगी। भद्राकाल में होलिका दहन वर्जित है।
इसलिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात 11 बजकर 29 मिनट पर भद्रा समाप्त होने के साथ ही शुरु होगा।
इस साल होलिका दहन 2025 का शुभ मुहूर्त मध्य रात्रि 11 बजकर 30 मिनट से रात 01 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।
होलिका दहन 2025 मुहूर्त: 11:26 बजे से 12:30 बजे (14 मार्च)
अवधि: 1 घंटा 4 मिनट
भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना चाहिए। दरअसल, हिंदू शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है।
ऐसी मान्यता है कि भद्राकाल में किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता और उसके अशुभ परिणाम मिलते हैं।
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इससे पहले,
देश भर में होली का खुमार छा रहा है l जैसे-जैसे होली के दिन नजदीक आते है वैसे-वैसे इस त्यौहार का खुमार और बढ़ता जाता हैl
आपसी प्रेम को बढानें का भुजिया या भांग के रंग में रंगने का रंग, अबीर और गुलाल का रंगारंग त्यौहार होली(holi) का इंतजार किस को नहीं रहता है।
होली को दुल्हंडी(dhulandi) या बड़ी होली (Holi 2025) भी कहते है।
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अब आप जानना चाहेंगे कि इस वर्ष 2025 में होली कब (holi 2025 kab hai-holi-date)है? और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या(Holika-Dahan-Shubh-Muhurt) है?
चूंकि हमेशा की तरह इस वर्ष भी काफी लोगों को कंफ्यूजन है कि आखिर होली 13 की है या 14 मार्च की? तो चलिए आज आपके सारे सवालों के जवाब हम देते(Holi 2025-Holika Dahan puja shubh muhurat for good luck)है।
होली का पावन पर्व होलिका दहन(Holika-Dahan 2025),जिसे आम भाषा में छोटी होली भी कहते है,से शुरू हो जाता है।
होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई का प्रतीक होलिका दहन सभी नकारात्मक शक्तियों को पावन अग्नि में खत्म कर देता है।
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होलिका दहन के अगले दिन ही मुख्य होली या दुल्हंडी मनाई जाती है,
जिसमें सभी लोग एक-दूसरे को रंग,अबीर और गुलाल लगाते है। मीठी गुजियां खाते है और स्वादिष्ट पकवान बनाएं जाते है।
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इस साल होली या दुल्हंडी कब है?-holi 2025 kab hai dhulandi holi date
इस वर्ष होली यानि दुल्हंडी,जिसे रंगपंचमी भी कहत है,शुक्रवार 14 मार्च 2025 को है।
होली से जुड़ी कथा या क्यों मनाते है होली?-holi story-why is holi celebrated
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक,प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था। उसने घमंड में चूर होकर खुद के ईश्वर होने का दावा किया था।
इतना ही नहीं, हिरण्यकश्यप ने राज्य में ईश्वर के नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था।
वहीं, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान मिला हुआ था। एक बार हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए।
लेकिन आग में बैठने पर होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया और तब से ही ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में होलिका दहन किया जाने लगा।
एक अन्य मान्यता के अनुसार होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की याद में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार बाल-गोपाल ने माता यशोदा से से पूछा था कि वो राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं।
इस पर यशोदा ने मजाक में कहा कि राधा के चेहरे पर रंग मलने से राधाजी का रंग भी कन्हैया की ही तरह हो जाएगा।
इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली और तब से यह रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जा रहा है।
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