
Mahashivratri-2025-Know-Vrat-Puja-Shubh-Muhurat-Vidhi
नईं दिल्ली (समयधारा) : महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख और अत्यधिक महत्वपूर्ण त्योहार है,
जो भगवान शिव की पूजा और आराधना का विशेष दिन होता है। यह पर्व हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चौथ को मनाया जाता है
इस साल, महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
इस लेख में हम महाशिवरात्रि के महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त, और इसे क्यों मनाया जाता है, के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
यह शुभ अवसर 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे से आरंभ होकर 27 फरवरी को प्रातः 8:54 बजे तक रहेगा।
इस दिन जलाभिषेक के लिए विशेष मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं।
महा शिवरात्रि शुभ मुहूर्त- (Maha Shivratri 2025 Shubh Muhurat)
- महा शिवरात्रि तिथि इस बार बुधवार, 26 फरवरी 2025 को पड़ रही है l
- निशिता काल पूजा समय: 12:09 AM – 12:59 AM, 27 फरवरी
- शिवरात्रि पारण समय: 6:48 AM – 8:54 AM, 27 फरवरी
- चतुर्दशी तिथि आरंभ: 26 फरवरी 2025, सुबह 11:08 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 27 फरवरी 2025, सुबह 8:54 बजे
जलाभिषेक के लिए शुभ समय
- प्रातःकालीन मुहूर्त: 6:47 बजे से 9:42 बजे तक
- मध्यान्ह मुहूर्त: 11:06 बजे से 12:35 बजे तक
- संध्याकालीन मुहूर्त: 3:25 बजे से 6:08 बजे तक
- रात्रिकालीन मुहूर्त: 8:54 बजे से 12:01 बजे तक
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महाशिवरात्रि का महत्व (Importance of Maha Shivaratri)
महाशिवरात्रि को भगवान शिव की आराधना और उपासना का दिन माना जाता है। ‘शिव’ का अर्थ है ‘कल्याणकारी’ और ‘रात्रि’ का अर्थ है ‘रात्रि का समय’।
इसे भगवान शिव के निमंत्रण और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के अवसर के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए भी है
क्योंकि यह दिन भगवान शिव के अद्वितीय रूप और शक्ति को समझने का अवसर प्रदान करता है।
कई लोग मानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने सृष्टि के संहार के समय अपने तांडव नृत्य से सृष्टि की पुनर्रचना की थी।
इसके अलावा, महाशिवरात्रि को यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने अपनी पत्नी देवी पार्वती के साथ विवाह किया था।
महाशिवरात्रि की पूजा का समय (Maha Shivaratri Puja Time)
महाशिवरात्रि की पूजा का सही समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन विशेष रूप से रात्रि के समय पूजा की जाती है।
महाशिवरात्रि के दिन सुबह से लेकर रात तक उपवासी रहकर भगवान शिव की पूजा करने का महत्व है।
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इस दिन की पूजा में विशेष रूप से शिवलिंग पर जल अर्पित किया जाता है और शिव मंत्रों का जाप किया जाता है।
महाशिवरात्रि के चारों पहर के पूजन में भगवान शिव का रुद्राभिषेक होता है और उसके बाद हवन किया जाता है l
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान शंकर की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें l
इसके पश्चात आठ लोटे केसर मिश्रित जल अर्पित करें. पूरी रात दीप प्रज्वलित रखें और चंदन का तिलक लगाएं l
भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र एवं दक्षिणा अर्पित करें l
अंत में केसर युक्त खीर का भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें l
महाशिवरात्रि 2025 पूजा मुहूर्त
- पूजा की शुरुआत: 26 फरवरी 2025 को सुबह 6:00 बजे से पूजा शुरू की जा सकती है।
- व्रत की शुरुआत: इस दिन का व्रत सूर्योदय से पहले शुरू किया जाता है।
- रात्रि पूजा समय: महाशिवरात्रि की विशेष पूजा रात्रि के 12 घंटे तक की जाती है। यह पूजा 26 फरवरी 2025 की रात 12 बजे से शुरू होती है और 27 फरवरी 2025 को सुबह सूर्योदय तक जारी रहती है।
- उत्सव मुहूर्त: महाशिवरात्रि की पूजा के दौरान विशेष रूप से रात्रि के अंतिम प्रहर में भगवान शिव की पूजा का महत्व है।
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महाशिवरात्रि के दिन पूजा कैसे करें (How to Perform Puja on Maha Shivaratri)
महाशिवरात्रि के दिन पूजा करने के लिए कुछ विशेष विधियों का पालन किया जाता है। यहां हम उन विधियों का उल्लेख कर रहे हैं:
1. स्नान और व्रत का संकल्प
महाशिवरात्रि की पूजा से पहले दिनभर उपवासी रहकर स्नान करना चाहिए। पूजा के लिए विशेष रूप से पवित्रता का ध्यान रखना आवश्यक है।
2. शिवलिंग का पूजन
शिवलिंग की पूजा करने के लिए सबसे पहले उसे जल से धोकर गंगाजल या दूध से स्नान कराएं। फिर शहद, घी, शक्कर और चंदन से शिवलिंग पर अभिषेक करें।
3. मंत्र जाप
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘माहेश्वराय नमः’ जैसे मंत्रों का जाप करना चाहिए।
4. दीप जलाना
शिवलिंग के आसपास दीपक लगाना चाहिए। इससे वातावरण शुद्ध होता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
5. रात्रि जागरण
महाशिवरात्रि की रात भर भगवान शिव की भक्ति में जागरण करना जाता है। इस दौरान भक्त शिव स्तोत्र, शिव अर्चना और भजन-कीर्तन करते हैं।
महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं? (Why Maha Shivaratri is Celebrated)
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महाशिवरात्रि का आयोजन भगवान शिव के अद्वितीय स्वरूप की पूजा के लिए किया जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए होता है जो भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करना चाहते हैं।
1. भगवान शिव का तांडव
कई पुरानी कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि उस दिन को दर्शाती है जब भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था, जिससे संसार में सृष्टि का संहार और पुनर्निर्माण हुआ।
2. भगवान शिव का विवाह
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था, जिसके कारण इसे एक शुभ दिन के रूप में मनाया जाता है।
3. आध्यात्मिक उन्नति
महाशिवरात्रि का व्रत और पूजा व्यक्ति की मानसिक शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है। इस दिन का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
महाशिवरात्रि कौन मनाता है? (Who Celebrates Maha Shivaratri)
महाशिवरात्रि मुख्य रूप से शिव भक्तों द्वारा मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा पूजा की जाती है जो भगवान शिव की उपासना करते हैं। यह पर्व खासकर उत्तर भारत, दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, गुजरात, और हिमाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
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इसके अलावा, यह पर्व उन लोगों द्वारा भी मनाया जाता है जो आत्मनिर्भरता, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। महाशिवरात्रि का व्रत और पूजा का आयोजन पारिवारिक एवं सामाजिक स्तर पर भी किया जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन क्या करें और क्या न करें? (What to Do and Not to Do on Maha Shivaratri)
महाशिवरात्रि के दिन कुछ विशेष आचार-विचार का पालन करना चाहिए।
क्या करें:
- भगवान शिव का पूजा विधि से पूजन करें।
- भजन-कीर्तन करें और शिव के मंत्रों का जाप करें।
- रात्रि जागरण करें और शिव भक्ति में लीन रहें।
- सत्संग में भाग लें और शिव महिमा का वर्णन करें।
- व्रत करें और उपवासी रहें।
क्या न करें:
- मांसाहार, शराब और अन्य नशीली चीजों से दूर रहें।
- झगड़ा या बुरा व्यवहार न करें।
- नकारात्मक सोच से बचें।
महाशिवरात्रि 2025: एक आध्यात्मिक अनुभव (Mahashivratri-2025-Know-Vrat-Puja-Shubh-Muhurat-Vidhi )
महाशिवरात्रि का पर्व सिर्फ एक धार्मिक दिन नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है, जो हमें आत्मा की शुद्धि और परमात्मा से मिलन का मार्ग दिखाती है। इस दिन की पूजा और व्रत से न केवल व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि उसका जीवन भी शिव की कृपा से आनंदमय और सुखमय बनता है।
महाशिवरात्रि का दिन आत्मा के उन्नति का अवसर है। इसलिए इस दिन को श्रद्धा, विश्वास, और भक्ति के साथ मनाएं और भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करें।