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🚨 मिर्जापुर के चुनार स्टेशन पर कार्तिक पूर्णिमा का मातम — कालका एक्सप्रेस की चपेट में आए श्रद्धालु, छह की मौत, कई घायल
मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश (समयधारा) : 5 नवंबर 2025 की सुबह, कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर श्रद्धा का सफर त्रासदी में बदल गया।
मिर्जापुर जिले के चुनार रेलवे स्टेशन पर कालका एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आने से छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई,
जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के बाद स्टेशन पर चीख-पुकार, भगदड़ और अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
🌅 सुबह की शुरुआत और हादसे की कहानी
कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करने के लिए हजारों श्रद्धालु सुबह-सुबह अलग-अलग ट्रेनों से मिर्जापुर और चुनार पहुंचे थे। भीड़ इतनी अधिक थी कि स्टेशन पर तिल रखने की जगह नहीं थी।
सुबह लगभग 5:40 बजे, गोमो-चोपन पैसेंजर ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 4 पर आकर रुकी। श्रद्धालु इस ट्रेन से उतरकर स्टेशन से बाहर निकलने के लिए प्लेटफार्म पार करने लगे। भीड़ ज्यादा होने की वजह से कई लोग फुट-ओवर ब्रिज की बजाय सीधे ट्रैक से जाने लगे।
उसी समय दूसरी दिशा से तेज रफ्तार में कालका एक्सप्रेस आ रही थी। कुछ ही सेकंड में जो श्रद्धालु ट्रैक पार कर रहे थे, वे उसकी चपेट में आ गए।
तेज आवाज, ब्रेक की चीख, और फिर सन्नाटा — बस कुछ पल में दृश्य भयावह हो गया।
💔 हादसे का मंजर — श्रद्धालुओं की चीखें और स्टेशन पर अफरा-तफरी
हादसे के बाद चारों तरफ चीख-पुकार मच गई। कई लोग जमीन पर गिर पड़े, कुछ के शरीर के अंग ट्रैक पर बिखर गए। मौके पर मौजूद यात्रियों ने बताया कि ट्रेन की रफ्तार इतनी तेज थी कि ड्राइवर के पास रुकने का वक्त नहीं था।
रेलवे कर्मचारियों और स्थानीय लोगों ने तुरंत घायलों को उठाकर किनारे किया।
छह श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो गंभीर रूप से घायल हैं, जिन्हें चुनार के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है।
🧍♂️ प्रशासन और रेलवे की त्वरित प्रतिक्रिया
घटना के तुरंत बाद जीआरपी, आरपीएफ और रेलवे अधिकारी मौके पर पहुंचे। मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और ट्रैक पर जमा खून व अवशेषों की सफाई की गई।
रेलवे ने तुरंत प्लेटफार्म पर भीड़ नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल बुलाया।
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आरपीएफ की ओर से यात्रियों को सख्त चेतावनी जारी की गई —
“रेलवे ट्रैक पार न करें, यह जानलेवा हो सकता है।”
ट्रेन सेवा कुछ समय के लिए बाधित रही, लेकिन लगभग एक घंटे बाद स्थिति सामान्य कर दी गई।
🙏 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने अधिकारियों को राहत कार्य में तेजी लाने और घायलों को हरसंभव इलाज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर कहा —
“मिर्जापुर के चुनार स्टेशन पर हुई रेल दुर्घटना अत्यंत दुखद है। पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ। जिला प्रशासन और रेलवे को राहत एवं बचाव कार्य हेतु तत्काल आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।”
राज्य सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा की गई है।
🕯️ मृतक और घायल श्रद्धालुओं की पहचान
मृतक श्रद्धालु मिर्जापुर, सोनभद्र और वाराणसी के विभिन्न इलाकों से आए थे। सभी कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान और दर्शन के लिए निकले थे।
घायलों में से एक महिला और एक पुरुष को गंभीर चोटें आई हैं, जिनका इलाज वाराणसी के ट्रॉमा सेंटर में चल रहा है।
⚠️ हादसे का कारण — गलत दिशा और लापरवाही का घातक मेल
प्राथमिक जांच में पता चला है कि श्रद्धालु गलत दिशा में उतरकर ट्रैक की ओर आ गए थे। प्लेटफार्म पर भारी भीड़ थी और फुटओवरब्रिज की ओर बढ़ना कठिन था।
रेलवे सूत्रों के अनुसार, कालका एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी मिल चुकी थी और ड्राइवर को इस तरह के पार करने की जानकारी नहीं दी गई थी।
कई स्थानीय लोगों का कहना है कि स्टेशन पर भीड़ प्रबंधन के लिए पर्याप्त पुलिस बल नहीं था। घोषणाएँ भी स्पष्ट नहीं हो रही थीं, जिससे श्रद्धालु भ्रमित होकर ट्रैक पार करने लगे।
🚧 सुरक्षा में लापरवाही — जिम्मेदारी किसकी?
यह हादसा रेलवे प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाता है।
स्टेशन पर यात्रियों को प्लेटफार्म पार करने से रोकने के लिए न तो पर्याप्त सुरक्षा कर्मी थे और न ही चेतावनी बोर्ड।
भीड़ को संभालने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की जरूरत पहले से थी, क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा जैसे दिन पर हर साल भीड़ बढ़ती है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह हादसा “सिस्टम की लापरवाही का नतीजा” है। रेलवे ने अब जांच समिति गठित कर दी है, जो ट्रैक सुरक्षा और स्टेशन पर भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था की समीक्षा करेगी।
🕊️ श्रद्धालु परिवारों का दर्द
हादसे में मारे गए श्रद्धालुओं के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। किसी का बेटा पहली बार कार्तिक स्नान करने गया था, कोई परिवार के साथ दर्शन करने निकला था।
एक वृद्ध महिला ने कहा —
“हम लोग पूजा करने निकले थे, किसे पता था कि भगवान से मिलने का रास्ता आखिरी सफर बन जाएगा।”
गांव-गांव में मातम पसरा हुआ है। कई घरों में दीपावली के दीप बुझ गए हैं।
🧩 सामाजिक जिम्मेदारी और सीख
यह घटना सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है। हर साल धार्मिक मेलों और त्योहारों पर भीड़ बढ़ती है, लेकिन सुरक्षा इंतज़ाम कमजोर रहते हैं।
यात्रियों को भी अपनी सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार रहना होगा।
रेलवे के नियम —
ट्रैक पार न करना, फुटओवर ब्रिज का इस्तेमाल करना, और चेतावनी संकेतों पर ध्यान देना — जीवन बचा सकते हैं।
🔍 आगे की कार्रवाई और जांच
रेलवे मंत्रालय ने इस हादसे की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई है। समिति तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
रेलवे ने घोषणा की है कि चुनार स्टेशन और आसपास के क्षेत्रों में फुटओवर ब्रिज और बैरिकेडिंग की व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा।
🌼 श्रद्धांजलि और संदेश
मिर्जापुर की यह घटना पूरे प्रदेश के लिए एक गहरी सीख है —
“सुरक्षा कभी संयोग नहीं होती, यह सतर्कता से जन्म लेती है।”
उन श्रद्धालुओं की आत्मा को शांति मिले जिन्होंने श्रद्धा के सफर में अपनी जान गंवाई।
उनके परिवारों के प्रति समाज की संवेदना और प्रशासन की जवाबदेही दोनों जरूरी हैं।
रेलवे और नागरिक, दोनों मिलकर यह प्रण लें कि ऐसी लापरवाही दोबारा न दोहराई जाए।
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🕯️ अंत में…
5 नवंबर की यह सुबह उत्तर प्रदेश के इतिहास में एक दर्दनाक तारीख के रूप में दर्ज हो गई।
कार्तिक पूर्णिमा का प्रकाश जिस पल श्रद्धा में डूबा था, उसी पल अंधकार में बदल गया।
रेल ट्रैक पर बिखरा खून और टूटी चप्पलें केवल हादसे की कहानी नहीं कहतीं, बल्कि यह याद दिलाती हैं —
“सुरक्षा नियमों को हल्के में लेना जीवन का सबसे बड़ा जोखिम है।”