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नितिन नबीन की ताजपोशी: भाजपा संगठन में युवा नेतृत्व को बढ़ावा,जाने सियासी सफर

नितिन नबीन बने भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, बिहार से दिल्ली तक सियासी उछाल

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Nitin Nabin News Live Updates: भाजपा में नई जिम्मेदारी, बिहार से दिल्ली तक नितिन नबीन का सियासी सफर

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने संगठनात्मक स्तर पर एक बड़ा और अहम फैसला लेते हुए बिहार सरकार के मंत्री और वरिष्ठ विधायक नितिन नबीन को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति न केवल बिहार के राजनीतिक परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, बल्कि इसे भाजपा के भविष्य की रणनीति और युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने की दिशा में एक मजबूत कदम के रूप में भी देखा जा रहा है।

नितिन नबीन का राजनीतिक सफर संघर्ष, विरासत और निरंतर सफलता की कहानी है। पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट से लगातार चुनाव जीतते आए नितिन नबीन आज पार्टी संगठन में एक शीर्ष भूमिका में पहुंच चुके हैं।


🏛️ कौन हैं नितिन नबीन? (Who is Nitin Nabin)

नितिन नबीन बिहार की राजनीति का जाना-पहचाना नाम हैं। वे पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक हैं और अब तक पांच बार चुनाव जीत चुके हैं। इसके साथ ही वे बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

भाजपा में उन्हें युवा, ऊर्जावान और तेज-तर्रार नेताओं की श्रेणी में गिना जाता है। संगठन और सरकार—दोनों में उनका अनुभव उन्हें पार्टी के लिए एक मजबूत स्तंभ बनाता है।


🧬 राजनीतिक विरासत: पिता से मिली राजनीति की समझ

नितिन नबीन की राजनीति की जड़ें उनके परिवार से जुड़ी हुई हैं। उनके पिता नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा बिहार की राजनीति के एक सम्मानित नेता रहे हैं। वे विधायक रह चुके थे और जेपी आंदोलन से भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे।

नवीन किशोर सिन्हा ने 1990 में पहली बार पटना पश्चिम विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, जिसमें वे तीसरे स्थान पर रहे। इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद वे लगातार चुनाव जीतते रहे और कभी हार का सामना नहीं किया।


📍 मूल गांव और पारिवारिक पृष्ठभूमि

हालांकि नितिन नबीन की राजनीतिक पहचान पटना से जुड़ी है, लेकिन वे मूल रूप से बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं। उनका पैतृक गांव अभावां (नवादा) में स्थित है, जहां आज भी उनके चचेरे भाई रहते हैं।

परिवार के पटना आने के बाद उनके पिता की सक्रिय राजनीति यहीं से आगे बढ़ी, और यहीं से नितिन नबीन ने भी राजनीति की बारीकियां सीखीं।


🗳️ पिता मंत्री नहीं बन पाए, बेटे ने रचा नया अध्याय

2005 में जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी, उस समय नवीन किशोर सिन्हा मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे थे। वे उस समय चौथी बार विधायक चुने गए थे और संघ से उनका गहरा जुड़ाव भी था।

इसके बावजूद उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया, जो उस समय राजनीतिक गलियारों में एक चौंकाने वाला फैसला माना गया। दुर्भाग्यवश, सरकार बनने के कुछ ही महीनों बाद दिसंबर में हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया

पिता के निधन के बाद ही नितिन नबीन ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा


🏃‍♂️ 2006 से शुरू हुआ नितिन नबीन का विजयी सफर

नितिन नबीन ने 2006 में पहली बार उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे लगातार विधायक चुने जाते रहे और धीरे-धीरे पार्टी में अपनी मजबूत पकड़ बना ली।

उनकी राजनीति में जमीनी जुड़ाव, संगठन के प्रति निष्ठा और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद उनकी सबसे बड़ी ताकत मानी जाती है।


🏛️ बिहार सरकार में मंत्री के रूप में भूमिका

नितिन नबीन ने बिहार सरकार में मंत्री रहते हुए कई अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाली। उनके कार्यकाल को प्रशासनिक सक्रियता और निर्णय क्षमता के लिए जाना जाता है।

यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व उन्हें सिर्फ एक विधायक नहीं, बल्कि एक सक्षम संगठनकर्ता और प्रशासक के रूप में देखता है।

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🟠 भाजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने पर प्रतिक्रियाएं

🗣️ राम कृपाल यादव का बयान

नितिन नबीन की नियुक्ति पर बिहार सरकार के मंत्री राम कृपाल यादव ने कहा:

“यह बिहार के लिए गर्व का क्षण है। नितिन नबीन एक मेहनती और समर्पित कार्यकर्ता हैं। उन्हें संगठनात्मक मामलों का गहरा अनुभव है। पश्चिम बंगाल में बदलाव की लहर है और भाजपा वहां बहुमत से सरकार बनाएगी।”


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🗣️ रवि शंकर प्रसाद ने दी बधाई

भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने भी नितिन नबीन को बधाई देते हुए कहा:

“नितिन नबीन एक विनम्र और समर्पित कार्यकर्ता हैं। उन्होंने अपने परिश्रम से यह मुकाम हासिल किया है। पार्टी ने उन्हें सम्मान दिया है, और ऐसा सम्मान केवल भाजपा में ही संभव है।”


🏢 दिल्ली भाजपा मुख्यालय में भव्य स्वागत

राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद नितिन नबीन भाजपा मुख्यालय, नई दिल्ली पहुंचे, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया।

इस दौरान:

  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह
  • भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा

भी पार्टी मुख्यालय में मौजूद रहे। यहीं पर नितिन नबीन ने औपचारिक रूप से अपने पद का कार्यभार संभाला


🔍 संगठन में नई जिम्मेदारी का महत्व

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नितिन नबीन की नियुक्ति से भाजपा संगठन को कई फायदे होंगे:

  • युवा नेतृत्व को बढ़ावा
  • संगठनात्मक अनुशासन में मजबूती
  • बिहार और पूर्वी भारत में पार्टी की पकड़ मजबूत
  • जमीनी कार्यकर्ताओं से बेहतर संवाद

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👨‍👩‍👧‍👦 नितिन नबीन का परिवार (Nitin Nabin Family Details)

नितिन नबीन का पारिवारिक जीवन काफी संतुलित है।

  • पत्नी: दीपमाला श्रीवास्तव
  • बेटी: नित्या नविरा (3 वर्ष)
  • बेटा: नैतिक (10 वर्ष)

दीपमाला श्रीवास्तव पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में अधिकारी थीं। बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अब नवीरा इंटरप्राइजेज की निदेशक हैं।

उनकी कुल घोषित संपत्ति लगभग 66 लाख रुपये बताई जाती है।


🌱 विरासत से नेतृत्व तक का सफर

नितिन नबीन आज जिस मुकाम पर हैं, वह सिर्फ विरासत का परिणाम नहीं है। उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए खुद की पहचान बनाई है।

जहां उनके पिता मंत्री नहीं बन पाए, वहीं नितिन नबीन आज भाजपा के राष्ट्रीय संगठन में शीर्ष पद तक पहुंचे हैं। यह उनके राजनीतिक कौशल, धैर्य और निरंतर मेहनत का परिणाम है।


🔮 आगे की राह

राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नितिन नबीन की भूमिका आने वाले समय में बेहद अहम मानी जा रही है। खासकर:

  • 2025–26 के विधानसभा चुनाव
  • 2029 लोकसभा चुनाव
  • पूर्वी भारत में संगठन विस्तार

इन सभी मोर्चों पर उनसे बड़ी जिम्मेदारियों की उम्मीद की जा रही है।


🏁 निष्कर्ष

नितिन नबीन का सफर एक साधारण विधायक से राष्ट्रीय संगठन के शीर्ष पद तक पहुंचने की कहानी है। यह कहानी संघर्ष, विरासत, मेहनत और पार्टी के प्रति समर्पण की मिसाल है।

भाजपा नेतृत्व का यह फैसला साफ संकेत देता है कि पार्टी आने वाले समय में युवा, अनुभवी और जमीनी नेताओं को आगे लाने की रणनीति पर काम कर रही है।


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