सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जब मामलों की सुनवाई कर रहा था, तब महाराष्ट्र के राज्यपाल(Maharashtra Governor) को नई सरकार को शपथ नहीं दिलानी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि पार्टी द्वारा नामित आधिकारिक सचेतक से इतर किसी सचेतक को अध्यक्ष की ओर से मान्यता मिलना दुर्भावनापूर्ण है।
सिब्बल ने कहा कि जनादेश का क्या हुआ? दसवीं अनुसूची से उलट काम किया गया और दलबदल के लिए उकसाने में इस्तेमाल किया गया।
उधर, एकनाथ शिंदे गुट(Eknath Shinde)तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मामला दलबदल का है ही नहीं। उन्होंने कहा कि अगर आप किसी और दल में न जाएं और अपने ही नेता पर सवाल उठाएं तो इसमें क्या गलत है?
उन्होंने कहा कि दलबदल का कानून तब लागू होता है, जब आप किसी और दल के साथ चले जाएं।
साल्वे ने दलील दी कि क्या जिसके पास 15 से 20 विधायकों का भी समर्थन नहीं है, उसे सत्ता में वापस लाया जा सकता है? उन्होंने कहा कि सीएम ने बहुमत खो दिया था। पार्टी के अंदर ही बिना किसी दलबदल के आवाज उठाना गलत नहीं है।
दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरी हुआ तो कुछ मुद्दे बड़ी बेंच को भेजे जा सकते हैं।
इसकी अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी। अगले बुधवार तक सभी पार्टियां अपने मुद्दों की लिस्टिंग हमें सौंप(ShivSena-plea-hearing-in-Supreme-Court-Uddhav-Thackeray-Vs-Eknath Shinde-next-hearing-1-August)दें।