नई दिल्ली, 1 मार्च : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का विरोध करने पर दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा गुरमेहर कौर को जान से मारने तथा दुष्कर्म की धमकियां मिलने को लेकर मोदी सरकार तथा संघ परिवार की आलोचना की है। माकपा नेता ने गुरमेहर कौर का संदर्भ देते हुए फेसबुक पर लिखा, “यह माना जाता है कि संविधान की सौगंध के तहत मंत्री कानून का शासन सुनिश्चित करेंगे, लेकिन मंत्रियों की मौजूदा जमात ऐसा करने के बजाए उनके समर्थन में कूद पड़ी जिन्होंने 20 साल की एक लड़की को धमकी दी और उसका अपमान किया है।”
येचुरी ने कहा, “संघ परिवार को अपने तर्क में विश्वास नहीं है। उसके द्वारा हिंसा की धमकी विचारों के खिलाफ एकमात्र हथियार है।”
उन्होंने कहा, “यह व्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में है, जिसकी गारंटी हम सभी को हमारा संविधान देता है।”
उन्होंने कहा, “वे (आरएसएस) अपने प्रतिगामी विचारों को आपके पहनावे, भोजन, देखने, करने और आपके जीवन जीने की शैली पर थोपना चाहते हैं।”
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के खिलाफ अभियान चलाने के बाद कौर को केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू की आलोचना झेलने के अलावा, जान से मारने तथा दुष्कर्म करने की धमकियां तक मिल चुकी हैं।
एबीवीपी पर रामजस कॉलेज के बाहर छात्रों, शिक्षकों तथा पत्रकारों पर हमले का आरोप लगने के बाद कारगिल युद्ध में शहीद हुए सेना के एक अधिकारी की बेटी गुरमेहर कौर ने एबीवीपी के खिलाफ आवाज उठाई थी।
मार्क्सवादी नेता ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू के उस बयान की निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा है कि जब भारतीय सैनिक मारे जाते हैं, तो वामपंथी जश्न मनाते हैं।
येचुरी ने ट्वीट किया, “महात्मा गांधी के मारे जाने के बाद किसने जश्न मनाया था!”
इसके बाद उन्होंने आरएसएस के तत्कालीन सरसंघचालकएम. एस.गोलवलकर से तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा कही गई इस बात को उद्धृत किया, “गांधी जी की मौत पर आरएसएस के लोगों ने खुशियां मनाईं और मिठाइयां बाटीं।”
येचुरी की यह टिप्पणी आरएसएस से संबद्ध एबीवीपी द्वारा रामजस कॉलेज में एक संगोष्ठी का आयोजन रद्द करवाने तथा उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा पत्रकारों पर कथित तौर पर हमले करने के बाद आई है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में बीते बुधवार को एबीवीपी और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी। इस घटना के एक दिन पहले ही एबीवीपी ने रामजस कॉलेज में आयोजित उस संगोष्ठी को जबरन रद्द करा दिया था, जिसमें जेएनयू के छात्र उमर खालिद को आमंत्रित किया गया था।
उमर खालिद पर पिछले साल जेएनयू परिसर में कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है। यह मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है।
–आईएएनएस