Can recommend imposition of Presidents Rule in Punjab
पंजाब/नयी दिल्ली (समयधारा) : पंजाब (Punjab) में इस समय सब कुछ सही नहीं चल रहाl
सियासी गर्मजोशी काफी जोरशोर से शुरू हैl राजनीतिक गतिविधियाँ के बीच एक खबर ने लगभग हर पंजाब वासियों को चौका दियाl
राज्यपाल पुरोहित ने पंजाब में राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) लगाने की सिफारिश करने की बात कहीl
उनकी इस बात से पंजाब की राजनीति में गर्माहट आ गयी l
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राजभवन और मुख्यमंत्री के बीच बढ़ी तनातनी के बीच पंजाब (Punjab) के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित (Banwarilal Purohit) ने शुक्रवार को भगवंत मान (Bhagwant Mann) को चेतावनी दी कि
वह राज्य में राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) लगाने की सिफारिश कर सकते हैं और अगर उनके पत्रों का जवाब नहीं मिला, तो वह फौजदारी प्रक्रिया भी शुरू कर सकते हैं।
मान को भेजे गए अपने ताजा पत्र में राज्यपाल पुरोहित ने संकेत दिया कि वह अपने पहले के पत्रों का जवाब नहीं मिलने से निराश हैं,
और मुख्यमंत्री को चेतावनी दी कि वह ‘संवैधानिक तंत्र की विफलता’ पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेज सकते हैं।
पुरोहित ने मान को सलाह दी कि वह (राज्यपाल) संविधान के अनुच्छेद 356 और भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत ‘अंतिम निर्णय’ लें, इससे पहले मुख्यमंत्री उचित कदम उठाएं।
सामान्य रूप से राज्यपाल की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर अनुच्छेद 356 के तहत राज्य को प्रत्यक्ष रूप से केंद्र के शासन के तहत लाया जाता है,
यानी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 124 राष्ट्रपति या राज्यपाल को अपने कानूनी/संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करने से गलत तरीके से रोकने से संबद्ध है।
राज्यपाल ने लिखा है,
इससे पहले कि मैं अनुच्छेद 356 के तहत संवैधानिक तंत्र की विफलता पर भारत की राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजने और भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत फौजदारी प्रक्रिया शुरू करने का अंतिम फैसला करूं,
मैं आपसे उपरोक्त पत्र में उल्लेखित पत्रों में मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध कराने और राज्य में नशीले पदार्थों की समस्या से निपटने के लिए आपके की तरफ से उठाए गए कदमों की जानकारी मुहैया कराने को कहूंगा,
ऐसा नहीं होने पर मेरे पास कानून और संविधान के अनुसार कार्रवाई करने के अलावा अन्य विकल्प नहीं होगा।
मुख्यमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में पुरोहित ने अपने एक अगस्त के पत्र का जिक्र किया और कहा कि मान ने मांगी गई जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं कराई है।
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उन्होंने कहा, \ऐसा लगता है कि आप मेरे की तरफ से मांगी गई जानकारी देने से जानबूझकर इंकार कर रहे हैं।
राज्य के 36 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के लिए विदेश प्रशिक्षण संगोष्ठी समेत दूसरे मुद्दों पर जानकारी के लिए मान को कई पत्र लिख चुके पुरोहित ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने उनका जवाब नहीं दिया है।
राज्यपाल ने अपने ताजा पत्र में दावा किया कि उन्हें पंजाब में नशीले पदार्थों की बड़े पैमाने पर उपलब्धता और उपयोग के संबंध में अलग-अलग एजेंसियों से रिपोर्ट मिली है और उन्होंने इस संबंध में भी रिपोर्ट मांगी है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और चंडीगढ़ पुलिस की तरफ हाल में की गई कार्रवाई में का हवाला देते हुए पुराहित ने लिखा है,
यह आम जानकारी है कि वह (नशीले पदार्थ) दवा की दुकानों पर उपलब्ध हैं, नया ट्रेंड देखा जा रहा है कि वह शराब की सरकारी दुकानों पर भी बेचे जा रहे हैं।
पुलिस ने नशीले पदार्थ बेचने के आरोप में लुधियाना में शराब की 66 दुकानों को सील कर दिया है।
पुरोहित ने लिखा है, संसद की स्थायी समिति की एक रिपोर्ट है कि पंजाब में प्रत्येक पांच व्यक्ति में से एक व्यक्ति को मादक पदार्थ उपलब्ध है या उसे नशे की लत है।
ये तथ्य दिखाते हैं कि पंजाब में कानून-व्यवस्था इस कदर ध्वस्त हो चुकी है कि अब ग्रामीण बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं
और खुद को मादक पदार्थ से बचाने के लिए अपनी ग्रामीण रक्षा समितियों के गठन का फैसला कर रहे हैं।
इन संबंध में आपके द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में कृपया मेरे कार्यालय को तत्काल रिपोर्ट भेजें।
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राज्यपाल ने जोर दिया कि संविधान के तहत ये सुनिश्चित करना उनका कर्तव्य है कि प्रशासन अच्छे से,
प्रभावी रूप में, निष्पक्ष और ईमानदारी से काम करे और सरकार की तरफ से लाए गए प्रस्ताव कानून के विपरीत नहीं हों।
पुरोहित ने लिखा है, \इसलिए मैं आपको सलाह देता हूं, चेतावनी देता हूं और आपको मेरे पत्रों का जवाब देने और मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने को कहता हूं।\
पुरोहित ने इंगित किया कि राज्यपाल की तरफ से मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराने को सामान्य रूप से संवैधानिक कर्तव्य नहीं निभाना माना जाएगा,
जैसा कि संविधाान के अनुच्छेद 167(B) में मुख्यमंत्री से अपेक्षा की गई है।
संविधान का अनुच्छेद 167(B) राज्यपाल राज्य के प्रशासनिक कार्यों से जुड़ी सूचनाएं और विधयेकों के प्रस्ताव को मांग सकते हैं।
उन्होंने कहा, यह व्यवहार दिखाता है कि आपने न सिर्फ भारत के संविधान के अनुच्छेद की अनुज्ञा की है,
बल्कि इस तरह का व्यवहार किया है जिसे माननीय सुप्रीम कोर्ट की अवमानना भी माना जा सकता है।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की तरफ से जून में पंजाब विधानसभा में उनके खिलाफ बोले गए ‘अपमानजनक शब्दों’ का भी जिक्र किया।
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