न हो कंफ्यूज..? अष्टमी नवमी के इस शुभ मुहूर्त में करो कन्या पूजन
इस बार भक्तगणों के बीच खासा कंफ्यूजन हो गया है कि आखिर अष्टमी और नवमी कब है+चूंकि अष्टमीऔर नवमी तिथि एक साथ मिल रही है.
Shardiya Navratri 2024-Ashtami-Navami 2024-Kanya-Pujan-Shubh-Muhurat
नयी दिल्ली (समयधारा): मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित पावन पर्व नवरात्रि हर साल वर्ष में चार बार आती है,
दो बार गुप्त नवरात्रि(Gupt Navratri) और एक बार चैत्र नवरात्रि(Chaitra Navratri 2024) और एक बार शारदीय नवरात्रि(Shardiya Navratri 2024) l
इस साल शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024)का पवित्र त्यौहार 3 अक्टूबर 2024 से शुरू हो चुका है और इसका समापन 11 अक्टूबर को नवमी(Navami 2024)या महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-व्रत के साथ हो जाएगा।
लेकिन इस बार भक्तगणों के बीच खासा कंफ्यूजन हो गया है कि आखिर अष्टमी और नवमी कब है(ashtami navami 2024 kab hai)चूंकि अष्टमी(Ashtami 2024)और नवमी तिथि एक साथ मिल रही है।
इतना ही नहीं, अष्टमी जिसे महाअष्टमी या दुर्गा अष्टमी(Durga Ashtami)भी कहते है,तिथि की शुरुआत सप्तमी नवरात्रि पर ही हो रही है।
ऐसे में लोगों के बीच संशय बरकरार है कि आखिर मां दुर्गा का अष्टमी व्रत-पूजन और नवमी व्रत पूजन आखिर किस दिन रखना श्रेष्ठ होगा।
आपकी इसी परेशानी को समझते हुए आज हम आपको बता रहे है कि वर्ष 2024 में आखिर अष्टमी और नवमी कब है और एकसाथ पड़ने से दोनों के लिए कन्या पूजन कब और कैसे किया(Shardiya Navratri 2024-Ashtami-Navami 2024-kanya-pujan-shubh-muhurat)जाएगा।
आपको बता दें कि हिंदू धर्म में शेरावाली माता के पावन दिन नवरात्रि को पूर्ण श्रद्धा और समर्पण व भक्ति के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।
माता के नौ रूपों की पूजा नवरात्रि में की जाती है,यही कारण है कि इस पर्व को नवरात्रि कहा जाता है और चूंकि इस दौरान गुलाबी ठंड की हल्की आहट हो जाती है,इसलिए इन नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाता है।
नवरात्रि में जहां दुर्गा पूजा(Durga Puja)का आरंभ षष्ठी यानि छठे नवरात्रि से हो जाता है तो वहीं सर्वाधिक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली नवरात्रि अष्टमी और नवमी नवरात्रि को ही माना जाता है।
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मान्यता है कि पूरे नवरात्रि भले ही आप न रख सकों लेकिन यदि अष्टमी और नवमी के दिन आपने माता के नाम का व्रत या सिर्फ पूजा भी कर ली तो शक्तिस्वरूपा देवी दुर्गा आपके सारे कष्ट हर लेती है और जीवन में सुख-शांति,समृद्धि का आशीर्वाद दे जाती है।
इस साल अष्टमी और नवमी की सही तिथि(ashtami navami 2024 date)को लेकर लोगों के बीच संशय बना हुआ है,
तो चलिए अब आपको बताते है कि आखिर शारदीय नवरात्रि 2024 में अष्टमी (Ashtami) और नवमी (Navami) की सही तिथि क्या है।
किस शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन करना(Shardiya Navratri 2024-Ashtami-Navami 2024-kanya-pujan-shubh-muhurat)चाहिए।
अष्टमी और नवमी कब है (Ashtami And Navami 2024 Kab Hai)
हिंदू पंचांगानुसार, इस साल शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) में चतुर्थी तिथि में वृद्धि हो रही है, तो नवमी तिथि का क्षय हो रहा है।
दरअसल,इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में 10 अक्टूबर को सप्तमी और अष्टमी तिथि एक साथ-एक दिन पड़ गई है।
लेकिन हिंदू धर्मशास्त्रो के मुताबिक,जब भी सप्तमी-अष्टमी तिथि एक साथ पड़ जाती है तो दुर्गा अष्टमी या महाअष्टमी का व्रत नहीं रखना चाहिए।
चूंकि ऐसा करना अशुभ माना जाता है। हालांकि यदि अष्टमी-नवमी एकसाथ पड़ जाएं तो इसे शुभ मुहूर्त माना जाता है और इसके हिसाब से ही त्यौहार मनाया जाता है।
इसलिए इस साल अष्टमी-नवमी नवरात्रि एक ही दिन यानी 11 अक्टूबर को मनाई जा रही है।
अब आपको संशय होगा कि ऐसे में अष्टमी का व्रत-पूजन करने वाले और नवमी का व्रत-पूजन करने वाले किस शुभ मुहूर्त में पूजा-व्रत करें और कंचक यानि कन्या पूजन कैसे और किस समय करना शुभ (Shardiya Navratri 2024-Ashtami-Navami 2024-Kanya-Pujan-Shubh-Muhurat) होगा।
इसका जवाब हम यहां विस्तार से आपको दे रहे है:
अष्टमी या महाअष्टमी या दुर्गा अष्टमी 2024 तिथि (Ashtami Tithi 2024)
- अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर 2024, शुक्रवार को 12.31 मिनट, दोपहर पर हो रही है.
- अष्टमी तिथि 11 अक्टूबर 2024, शनिवार को 12.06 मिनट, दोपहर पर समाप्त हो रही है.
नवमी या महानवमी या दुर्गा नवमी 2024 तिथि (Navami Tithi 2024)
- नवमी तिथि की शुरुआत 11 अक्टूबर 2024, शनिवार को 12.06 दोपहर मिनट पर होगी.
- नवमी तिथि 12 अक्टूबर, 2024 10.57 मिनट तक रहेगी.
इसप्रकार इस साल शारदीय नवरात्रि में महाअष्टमी और महानवमी एक ही दिन पड़ रही है यानि 11 अक्टूबर को ही दोनों नवरात्रि का व्रत-पूजा की जा सकती है।
अष्टमी या महाष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है और नवमी या महानवमी के दिन माता के सिद्धिदात्री स्वरूप को पूजा जाता है।
आप 11 अक्टूबर को दोपहर 12.06 मिनट से पहले अष्टमी पूजा और कन्या पूजन कर सकते हैं और फिर 12.06 मिनट के बाद से महानवमी की पूजा कर सकते हैं।
यानि दोपहर 12.06 के बाद से नवमी के दिन व्रत का पारण करने वाले लोग कन्या पूजन कर सकते हैं।
कन्या पूजन 2024 (Kanya Pujan 2024)
महाअष्टमी और माहनवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. इस दिन 9 कन्याओं को पूजा जाता है और उन्हें घर पर आमंत्रित कर भोजन और भेंट दी जाती है. उनका आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा किया जाता है.
ऐसा करने से महा दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार, महा नवमी के दिन देवी दुर्गा ने दुष्ट राक्षस महिषासुर का वध किया था.
अष्टमी के दिन कन्या पूजन 2024 का शुभ मुहूर्त
नवमी 2024 तिथि पूजा-व्रत पूजा शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचागानुसार, इस साल शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 बजे से शुरू हो रही है, जो 12 अक्टूबर को सुबह 10:57 बजे तक ही है.
उदयातिथि के आधार पर 11 अक्टूबर 2024 को नवमी तिथि का व्रत रखना शुभ रहेगा.
आपको बता दें कि इस बार अष्टमी तिथि का व्रत भी 11 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा। इस वर्ष अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12:31 बजे से शुरू हो रही है, जो 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 बजे समाप्त होगी।
ऐसे में अष्टमी और नवमी तिथि दोनों का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा।
11 अक्टूबर 2024 को मां गौरी की पूजा के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं।
अष्टमी और नवमी तिथि पर देवी की पूजा का सामान्य समय सुबह 06:20 बजे से 07:47 बजे तक है।
सामान्य मुहूर्त के बाद सुबह 07:47 बजे से 09:14 बजे तक उन्नति मुहूर्त है, जिसमें माता दुर्गा की पूजा की जा सकती है।
अगर किसी कारणवश आप इन दो मुहूर्त में पूजा नहीं कर पाए हैं तो आप इस दिन सुबह 09:14 बजे से 10:41 बजे तक अमृत मुहूर्त में भी माता रानी की पूजा कर सकते हैं।
नवमी 2024 पर कन्या पूजन शुभ समय
पंचांग के अनुसार इस साल अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन है. इस वजह से 11 अक्टूबर 2024 को ही कन्या पूजन करना शुभ रहेगा. इस दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह से लेकर सुबह 10:41 बजे तक है.
11 अक्टूबर 2024 को राहु काल सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:08 बजे तक रहेगा, इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
कन्या पूजन 2024 विधि (Kanya Pujan 2024 Vidhi)
- इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ कन्या पूजन करें.
- पूजा घर की साफ-सफाई अच्छे से करें.
- कन्याओं को आदर सहित घर पर आमंत्रित करें.
- उनके चरण धोए, और कलावा बांधे.
- माता रानी के समक्ष घी का दीपक जलाएं.
- धूप, दीप जलाकर मां की आरती करें.
- मां को प्रसाद का भोग लगाएं.
- प्रसाद में मां को हलवा, चना, पूरी का भोग लगाना शुभ माना जाता है.
- अंत में उनका आशीर्वाद लें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं. Samaydhara.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें।
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