गोवर्धन पूजा (अन्नकूट)-न हो कंफ्यूज जानें Govardhan Puja का सही मुहूर्त यहाँ
दीयो के पर्व दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है, देश के कई भागों में गोवर्धन पूजा को अन्नकूट (Annakoot or Annakut) के नाम से भी सेलिब्रेट किया जाता है।
Govardhan-Puja-2024 Kab Hai Shubh Muhurat Puja Vidhi Annakoot
नई दिल्ली: देश में दिवाली (Diwali) का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है पांच दिन के इस पर्व दिवाली की देश भर में धूम रहती है।
इसी कड़ी में दीयो के पर्व दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है।
देश के कई भागों में गोवर्धन पूजा को अन्नकूट (Annakoot or Annakut) के नाम से भी सेलिब्रेट किया जाता है।
31 अक्टूबर/1 नवंबर दिवाली का पर्व देश को रोशन कर गया। इस लिहाज से 2 नवंबर 2024 शनिवार को गोवर्धन पूजा होनी चाहिए।
पर इसमें एक दुविधा है l पहले जान लेते है गोवर्धन पूजा क्या है..?
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गोवर्धन पूजा का दिन श्रीकृष्ण (Sri Krishna) को समर्पित है।
इस दिन भगवान कृष्ण,गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा करने की परंपरा है।
गोवर्धन पूजा के दिन 56 या 108 प्रकार के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण जी को भोग लगाया जाता है।
इस प्रकार के नाना पकवानों को ही ‘अन्नकूट’ (Annakoot or Annakut) पुकारा जाता है।
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गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का महत्व-govardhan puja-annakoot-significance
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था।
यानी भगवान कृष्ण ने देव राज इन्द्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी।
इस पावन दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन निर्मित करते है।
गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का पर्व कब मनाया जाता है?why celebrate govardhan puja
गोवर्धन पूजा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है।
गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) दीवाली (Diwali) के एक दिन बाद यानी दीवाली के एकदम अगले दिन मनाई जाती है।
इस बार गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा 2 नवंबर को है।
- गोवर्धन पूजा कब है (When Is GovardhanPuja)
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गोवर्द्धन पूजा / अन्नकूट की तिथि: 2 नवंबर 2024
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 1 नवंबर 2024 को शाम 6 बजकर 16 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 2 नवंबर 2024 को रात 08 बजकर 21 मिनट तक
गोवर्द्धन पूजा मुहूर्त: ऐसे में उद्या तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर को मनाया जाएगा।
द्रिक पंचांग के अनुसार, शुभ गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त 2 नवंबर को सुबह 6:34am बजे से 08:46am बजे के बीच है।
कुल अवधि: 02 घंटे 12 मिनट l
वही संध्याकाल मुहूर्त : 6:23pm बजे से 05:35pm बजे के बीच
कुल अवधि: 02 घंटे 12 मिनट l
गोवर्धन पर घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजा को प्रकृति की पूजा भी कहा जाता है, इसकी शुरुआत स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने की थी।
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जानें क्या है अन्नकूट?
अन्नकूट के पर्व पर विभिन्न पकवानों से भगवान की पूजा करने की परंपरा है।
अन्नकूट अर्थात अन्न का समूह। भक्तजन विभिन्न प्रकार की मिठाइयों और पकवानों से श्रीकृष्ण को भोग लगाते है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई।
एक और मान्यता है कि एक बार इंद्र अभिमान में चूर हो गए और सात दिन तक लगातार बारिश करने लगे।
तब भगवान श्री कृष्ण ने उनके अहंकार को तोड़ने और जनता की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को ही अंगुली पर उठा लिया था।
इसके बाद में इंद्र को क्षमायाचना करनी पड़ी थी।
ऐसा कहा जाता है कि उस दिन के बाद से ही गोवर्धन की पूजा आरंभ हुई।
जमीन पर गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर पूजा की जाती है।
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गोवर्द्धन पूजा की विधि
– गोदवर्द्धन पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– अब अपने ईष्ट देवता का ध्यान करें और फिर घर के मुख्य दरवाजे के सामने गाय के गोबर से गोवर्द्धन पर्वत बनाएं।
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– अब इस पर्वत को पौधों, पेड़ की शाखाओं और फूलों से सजाएं। गोवर्द्धन पर अपामार्ग की टहनियां जरूर लगाएं।
– अब पर्वत पर रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें।
– अब हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहें:
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव: ।।
– अगर आपके घर में गायें हैं तो उन्हें स्नान कराकर उनका श्रृंगार करें। फिर उन्हें रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें। आप चाहें तो अपने आसपास की गायों की भी पूजा कर सकते हैं। अगर गाय नहीं है तो फिर उनका चित्र बनाकर भी पूजा की जा सकती है।
– अब गायों को नैवेद्य अर्पित करें इस मंत्र का उच्चारण करें
लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुरूपेण संस्थिता।
घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।
– इसके बाद गोवर्द्धन पर्वत और गायों को भोग लगाकर आरती उतारें।
– जिन गायों की आपने पूजा की है शाम के समय उनसे गोबर के गोवर्द्धन पर्वत का मर्दन कराएं । यानी कि अपने द्वारा बनाए गए पर्वत पर पूजित गायों को चलवाएं। फिर उस गोबर से घर-आंगन लीपें
– पूजा के बाद पर्वत की सात परिक्रमाएं करें।
– इस दिन इंद्र, वरुण, अग्नि और भगवान विष्णु की पूजा और हवन भी किया जाता है।
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