
NavratriDay5 MaaSkandmata Puja-BeejMantra KathaAarti
दिन 5 – माँ स्कंदमाता
1: माँ स्कंदमाता का परिचय
“नवरात्रि के पाँचवे दिन पूजी जाती हैं माँ स्कंदमाता। ये भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद की माता हैं। पाँच भुजाओं वाली यह देवी शेर पर सवार रहती हैं और गोद में बाल स्कंद को धारण करती हैं। इनकी उपासना से परिवार में सुख और समृद्धि आती है।”
2: माँ स्कंदमाता की कथा
“कथा है कि जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ, तब माँ दुर्गा ने अपने गोद में बालक स्कंद को धारण कर देवताओं को बल और साहस प्रदान किया। तभी से यह स्वरूप ‘स्कंदमाता’ कहलाया।”
3: माँ स्कंदमाता का बीज मंत्र
“माँ स्कंदमाता का बीज मंत्र है –
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः।
इस मंत्र का जाप करने से परिवार में शांति और संतान सुख की प्राप्ति होती है।”
4: माँ स्कंदमाता की पूजा विधि
“पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा में पीले या नारंगी फूल चढ़ाएँ। केले का भोग लगाएँ। धूप-दीप अर्पित कर मंत्र का जाप करें। इससे माँ शीघ्र प्रसन्न होती हैं।”
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5: माँ स्कंदमाता की आरती (संक्षिप्त अंश)
जय स्कंदमाता माँ जय भवानी।
बाल स्कंद को गोदी में धारी।।
सिंह वाहन, कमल पुष्प हाथ में।
करुणा की देवी, दीनों की साथी।।
सभी दुख दूर करती माँ प्यारी।
संतान सुख और समृद्धि लाती।।
जो तेरा ध्यान करता है निरंतर।
उसका जीवन हो जाता सुखसागर।।
जय स्कंदमाता माँ जय भवानी।
बाल स्कंद को गोदी में धारी।।
“जय स्कंदमाता माँ, कर दो कल्याण।
इनकी आरती से घर में प्रेम और शांति का वास होता है।”
6: पाँचवे दिन का रंग – धूसर (ग्रे) का महत्व
“नवरात्रि के पाँचवे दिन धूसर रंग पहनना शुभ होता है। यह रंग संतुलन, स्थिरता और सरलता का प्रतीक है। यह माँ स्कंदमाता की करुणा और शांति का संदेश देता है।”
7: माँ स्कंदमाता और कार्तिकेय का संबंध
“माँ स्कंदमाता अपने गोद में भगवान कार्तिकेय को धारण करती हैं। यह रूप मातृत्व, ममता और संरक्षण का प्रतीक है। इनकी पूजा से संतान की रक्षा और उन्नति होती है।”
8: माँ स्कंदमाता से प्राप्त आशीर्वाद
“माँ स्कंदमाता की उपासना से साधक को संतान सुख, घर में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति मिलती है। ये माँ भक्तों को मोक्ष का मार्ग भी प्रदान करती हैं।”
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9: माँ स्कंदमाता की रोचक कथा
“कथा है कि माँ स्कंदमाता ने असुरों से देवताओं की रक्षा करते समय अपने गोद में बाल स्कंद को धारण किया और युद्धभूमि में भी शांत स्वरूप में रहीं। इसीलिए इन्हें करुणा और शांति की देवी माना जाता है।”
10: माँ स्कंदमाता से जुड़े परिवारिक सुख के उपाय
“नवरात्रि के पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता को केले का भोग लगाएँ और बच्चों को भी बाँटें। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और संतान का जीवन प्रगति करता है।”
दिन 5 – माँ स्कंदमाता
1️⃣ परिचय
“नवरात्रि के पांचवे दिन हम माँ स्कंदमाता की पूजा करते हैं। ये माता भगवान कार्तिकेय की माता हैं। सिंह पर सवार और चार भुजाओं वाली माँ स्कंदमाता भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और विद्या लाती हैं।”
2️⃣ कथा और पौराणिक महत्व
“कथा के अनुसार, माँ स्कंदमाता ने भगवान कार्तिकेय को जन्म दिया और राक्षसों का संहार कर धर्म की स्थापना की। जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से उनकी पूजा करते हैं, उनके जीवन में संतान सुख, ज्ञान और समृद्धि आती है।”
3️⃣ मंत्र और जाप विधि
बीज मंत्र:
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः
जाप विधि:
- दिन में कम से कम 108 बार जाप करें।
- ध्यान रखें कि मन में केवल माँ की भक्ति हो।
- मंत्र जाप के समय कमल के फूल और दीपक का उपयोग करें।
4️⃣ पूजा और भोग विधि
- कमल और सफेद फूल अर्पित करें।
- दीपक जलाएं और देवी के चित्र या मूर्ति के सामने रखें।
- भोग में हलवा, गुड़, दूध या फल अर्पित करें।
- पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा करें।
5️⃣ रंग और पहनावा
“पांचवे दिन का शुभ रंग पीला या सफेद है। ये रंग शांति, सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक हैं।”
6️⃣ पूर्ण आरती (मंदिरों में गाई जाने वाली)
**जय स्कंदमाता माता, जय भवानी।
सिंह पर विराजे, चार भुजाओं वाली।
गोदी में बाल स्कंद धारी।
भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि लाए।
जो कोई भी तेरा ध्यान करे,
उसके घर में सुख-शांति आये।
मनोकामना सभी पूर्ण हो जाएं।
भक्ति से जीवन सफल और मंगलमय हो।
आरती तेरी भक्त गाएं,
सभी भय और संकट दूर करें।
संतान सुख, ज्ञान और धन दे माँ।
जय स्कंदमाता माता, जय भवानी।
भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाओ।
शत्रु और बुरी शक्तियों से रक्षा करो।
भक्ति भाव से शीश तुझे झुकाएं।
सदा कृपा दृष्टि बनाए रखना।
जय स्कंदमाता माता, जय भवानी।
सिंह पर विराजे, चार भुजाओं वाली।
गोदी में बाल स्कंद धारी।
भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि लाए।
जय स्कंदमाता माता, जय भवानी।”
NavratriDay5 MaaSkandmata Puja-BeejMantra KathaAarti
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7️⃣ आशीर्वाद और उपाय
“जो भक्त पूरे श्रद्धा भाव से माँ स्कंदमाता की पूजा करते हैं, उन्हें जीवन में संतान सुख, विद्या, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। नियमित पूजा और मंत्र जाप से घर में सुख-शांति बनी रहती है।”