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Pitru Paksha 2024:पितृ पक्ष कब से शुरु,जानें किस दिन होगा कौन सा श्राद्ध,कब है सर्वपितृ अमावस्या

पंचागानुसार, 17 सितंबर,मंगलवार सुबह 11:44 से पितृ पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ हो रही है और इसी दिन पूर्णिमा श्राद्ध किया जाएगा। यानि जिन लोगों के पितरों की मृत्यु पूर्णिमा के दिन हुई है,उनका श्राद्ध,पिंडदान और तर्पण 17 सितंबर,मंगलवार को ही किया जाएगा। लेकिन से पहला पितृ पक्ष 2024 का पहला श्राद्ध यानि प्रतिपदा श्राद्ध का आरंभ बुधवार, 18 सितंबर 2024 से शुरु हो रहा है और अश्विनी माह की अमावस्या तिथि,जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है,के दिन  समाप्ति हो रही है।

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PitruPaksha2024startdate18Septoenddate2oct-shradh-SarvpitruAmavasya2024-date-गणेश चतुर्थी के 10 दिवसीय पावन पर्व का समापन,मंगलवार 17 सितंबर अनंत चतुर्दशी(Anant Chaturdashi 2024)के दिन हो रहा है।

हर साल अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति बप्पा का विसर्जन(Ganpati Visarjan 2024)होता है और इस बार 17 सितंबर,मंगलवार के दिन बप्पा की विदाई के फौरन बाद पितृ पक्ष(Pitru Paksha 2024)शुरु की पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो रहा है।

17 सितंबर,मंगलवार के दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 11:44 से शुरु हो रही है और पूर्णिमा तिथि की समाप्ति,बुधवार,18 सितंबर सुबह 8:04 बजे हो रही है। 

इसलिए पितृ पक्ष 2024 का आरंभ बुधवार, 18 सितंबर से हो रहा(Pitru Paksha 2024 start date18 Sep to end date 2oct)है।

हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष(pitru-paksha)का विशेष महत्व है। लेकिन जिन लोगों की मृत्यु तिथि पूर्णिमा है। उनका श्राद्ध व तर्पण 17 सितंबर,मंगलवार सुबह 11:44 के बाद से(Purnima Shradh 17 Sep 2024)किया जा सकता है।

पितृ पक्ष(Pitra Paksh)वो पवित्र दिन होते है जब हमारे पूर्वज,जिन्हें हम पितर भी कहते है। धरती पर अपने परिवारजनों से मिलने किसी न किसी रूप में आते है।

पितृ पक्ष(Pitru-Paksha) में लोग अपने पितरों (Pitra)की आत्मा की शांति और उनकी मोक्ष प्राप्त के लिए श्राद्ध कर्म,तर्पण,पिंडदान या दान व स्नान करते है। इसके साथ ही पितरों से अपने द्वारा की गई जानी-अनजानी  गलतियों के लिए पूर्ण श्रद्धा भाव से श्राद्ध करते है। यही कारण है कि पितृ पक्ष को श्राद्ध (Shradh)भी कहते है।

हिंदू पंचागानुसार, पितृपक्ष हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरु होते है और इनका समापन अमावस्या या सर्वपितृ अमावस्या या पितृविसर्जनी अमावस्या के दिन होता है,जोकि इस बार,02 अक्टूबर 2024, बुधवार के दिन है।

पंचागानुसार, 17 सितंबर,मंगलवार सुबह 11:44 से पितृ पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ हो रही है और इसी दिन पूर्णिमा श्राद्ध किया जाएगा।

यानि जिन लोगों के पितरों की मृत्यु पूर्णिमा के दिन हुई है,उनका श्राद्ध,पिंडदान और तर्पण 17 सितंबर,मंगलवार को ही किया जाएगा।

लेकिन से पितृ पक्ष 2024 का पहला श्राद्ध यानि प्रतिपदा श्राद्ध का आरंभ बुधवार, 18 सितंबर 2024 से शुरु हो रहा है और अश्विनी माह की अमावस्या तिथि,जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है,के दिन  समाप्ति हो रही(PitruPaksha2024startdate18Septoenddate2oct-shradh-SarvpitruAmavasya2024-date)है।

इस साल पितृ पक्ष पूरे सोलह दिन चलेंगे। अक्सर पितृ पक्ष पंद्रह-सोलह दिन के ही होते है।

कभी एक श्राद्ध घट जाता है और एक नवरात्रि बढ़ जाती है,तो कभी एक श्राद्ध बढ़ जाता है और एक नवरात्रि(Navratri 2024)घट जाती है।

यदि आपके ऊपर पितृदोष है तो श्राद्ध कर्म या पितृ पक्ष सर्वोत्तम अवसर है जब आप अपने पितरों से अपने व अपने परिवार द्वारा की गई जानी-अनजानी गलतियों के लिए सच्चे मन से पश्चाताप कर सकते है और अपने पितृों को प्रसन्न कर सकते है।

ऐसे में जरुरी है कि आप समय रहते जान लें कि किस दिन कौनसा श्राद्ध है और जिन पितरों की मृत्यु तिथि आपको याद नहीं उनका श्राद्ध कब किया जाना चाहिए

या फिर जाने-अनजाने,भूले-बिसरे पितरों को विदा करने का अंतिम श्राद्ध यानि सर्वपितृ अमावस्या कब(Kab hai Sarvpitru Amavasya 2024)है

और दिन के किस समय पितरों का तर्पण व श्राद्ध(Tarpan or Shradh best time)करना उत्तम रहता है,ताकि आप पर और आपके परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहे और उनकी आत्मा को मोक्ष व शांति मिले।

 

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कब से शुरु है पितृपक्ष 2024

 

पितृ पक्ष 2024 में श्राद्ध पक्ष की सभी तिथियां इस प्रकार है: Pitru-Paksha-2024-shradh-dates

 

श्राद्ध 2024 की तिथियां

 

  • 17 सितंबर 2024, मंगलवार – प्रोषठपदी/पूर्णिमा श्राद्ध
  • 18 सितंबर 2024, बुधवार – प्रतिपदा का श्राद्ध
  • 19 सितंबर 2024, गुरुवार – द्वितीया का श्राद्ध
  • 20 सितंबर 2024, शु्क्रवार – तृतीतया का श्राद्ध
  • 21 सितंबर 2024, शनिवार – चतुर्थी का श्राद्ध
  • 22 सितंबर 2024, रविवार – पंचमी का श्राद्ध
  • 23 सितंबर 2024, सोमवार – षष्ठी का श्राद्ध और सप्तमी का श्राद्ध
  • 24 सितंबर 2024, मंगलवार – अष्टमी का श्राद्ध
  • 25 सितंबर 2024, बुधवार – नवमी का श्राद्ध
  • 26 सितंबर 2024, गुरुवार – दशमी का श्राद्ध
  • 27 सितंबर 2024, शुक्रवार – एकादशी का श्राद्ध
  • 29 सितंबर 2024, रविवार – द्वादशी का श्राद्ध
  • 29 सितंबर 2024, रविवार – मघा का श्राद्ध
  • 30 सितंबर 2024, सोमवार – त्रयोदशी का श्राद्ध
  • 01 अक्टूबर 2024, मंगलवार – चतुर्दशी का श्राद्ध
  • 02 अक्टूबर 2024, बुधवार – सर्व पितृ अमावस्या

 

 

 

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श्राद्ध क्या है? -What is Shradh

श्राद्ध कर्मकांड को महालय या ‘पितृपक्ष’ के नाम से भी पुकारा जाता है। हिंदू धर्मानुसार, श्राद्ध शब्द ‘श्रद्धा, से बना है, जिसका मतलब है-पितरों के प्रति श्रद्धा भाव।

हमारे भीतर प्रवाहित रक्त में हमारे पितरों के अंश हैं, जिसके कारण हम उनके ऋणी होते हैं और यही ऋण उतारने के लिए श्राद्ध(shradh)कर्म किये जाते हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो,पिता के जिस शुक्राणु के साथ जीव माता के गर्भ में जाता है, उसमें 84 अंश होते हैं, जिनमें से 28 अंश तो शुक्रधारी पुरुष के खुद के भोजनादि से उपार्जित होते हैं और 56 अंश पूर्व पुरुषों के रहते हैं।

उनमें से भी 21 उसके पिता के, 15 अंश पितामह के, 10 अंश प्रपितामाह के, 6 अंश चतुर्थ पुरुष के, 3 पंचम पुरुष के और एक षष्ठ पुरुष के होते हैं।

इस तरह सात पीढ़ियों तक वंश के सभी पूर्वज़ों के रक्त की एकता रहती है, लिहाजा श्राद्ध या पिंडदान मुख्यतः तीन पीढ़ियों तक के पितरों को दिया जाता है।

पितृ पक्ष में किये गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है, साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण और पितृ दोष(Pitru Dosh)से मुक्ति मिलती है।

 

 

 

श्राद्ध करना क्यों है जरूरी- Shradh Importance

आपको बता दें कि अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या की तिथि पितरों की तिथि कहलाती है। 18 सितंबर 2024 से 2 अक्टूबर 2024 का समय अपने पितरों को याद करने का दिन है।

उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। मान्यता के अनुसार इस अवधि में पितृ अपने परिजनों को आशीर्वाद देने धरती पर आते हैं।

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों को श्रद्धा के साथ भोजन कराना, दान करना और तर्पण करने का विशेष महत्व है।

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श्राद्ध कितने प्रकार के होते है?

श्राद्ध पांच प्रकार के होते हैं, जिनमें पितृपक्ष के श्राद्ध पार्वण श्राद्ध कहलाते हैं। इन में अपराह्न व्यापिनी तिथि की प्रधानता है।

जिनकी मृत्यु तिथि का ज्ञान न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या को करना चाहिए। श्राद्ध हमेशा मृत्यु होने वाले दिन करना चाहिए।

अग्नि में जलकर, विष खाकर, दुर्घटना में या पानी में डूबकर, शस्त्र आदि से जिनकी मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध चर्तुदशी को करना चाहिए।

आश्विन कृष्ण पक्ष में सनातन संस्कृति को मानने वाले सभी लोगों को प्रतिदिन अपने पूर्वजों का श्रद्धा पूर्वक स्मरण करना चाहिए, इससे पितर संतृप्त हो कर हमें आशीर्वाद देते हैं।

आश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितरों के लिए पर्व का समय है। इसमें ये पिंडदान और तिलांजलि की आशा लेकर पृथ्वी लोक पर आते हैं। इसलिए श्राद्ध का परित्याग न करें, पितरों को संतुष्ट जरूर करें।

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पितरों के तर्पण के लिए कौन सा समय है उत्तम?-Tarpan kab kare

पितरों को तर्पण किस समय किया जाना चाहिए, यह जानना भी बहुत जरूरी है। ऐसा कहा जाता है कि इस समय सूर्य को जल अर्पित करने और तर्पण करने से वह पितरों तक पहुंचता है।

पितरों का तर्पण करने के लिए जल में दूध,काले तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल पितरों को तृप्त करने के लिए अर्पित किया जाता है।

तर्पण करने के लिए भी कुछ शुभ समय उपलब्ध होते है,पितृपक्ष में इन्ही समय या कालों में पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को संतुष्टि और मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते है।

पितृ तर्पण दिन के 3 कालों में जाता है- कुतुप काल, रोहिण काल और अपराह्न काल कहा जाता है।

-कुतुप काल में 11:36 से 12:25 बजे तक का समय होता है।

-रोहिण काल में 12:25 से 1:14 बजे तक का समय होता है।

-अपराह्न काल में 1:14 से 3:41 बजे का समय होता है।

ज्योतिषियों के अनुसार यह समय पितरों की पूजा के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं। इस समय किया गया तर्पण पितृ स्वीकार करते हैं।

 

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पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म के लिए किए जाते हैं ये काम | Pitru Paksha Shradh work

 

तर्पण

पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध की तिथियों में पितरों के निमित्त तर्पण का विधान है। तर्पण के लिए दूध,काले तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल पितरों को तृप्त करने के लिए अर्पित किया जाता है।

पितर पक्ष के दौरान रोजाना तर्पण किया जाता है। मान्यतानुसार ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं।

 

 

 

भोजन और पिंडदान

पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराने का भी विधान है। श्राद्ध करते समय चावल या जौ के पिंडदान भी किए जाते हैं।

 

 

 

वस्त्र दान

पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद उन्हें दान स्वरूप वस्त्र दिए जाते हैं।

 

 

 

दक्षिणा 

पितृ पक्ष के दौरान पितरो के निमित्त तर्पण, ब्राह्मण भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा दिया जाता है। मान्यता है कि जब ब्राह्मणों को भोजन कराकर वस्त्र और दक्षिणा दिया जाता है जब पितर देवता प्रसन्न होते हैं।

 

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पितृ पक्ष की पौराणिक कथा-Pitru Paksha Story

कहा जाता है कि जब महाभारत के युद्ध में कर्ण का निधन हो गया था और उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंच गई, तो उन्हें रोजाना खाने की बजाय खाने के लिए सोना और गहने दिए गए।

इस बात से निराश होकर कर्ण की आत्मा ने इंद्र देव से इसका कारण पूछा। तब इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने पूरे जीवन में सोने के आभूषणों को दूसरों को दान किया लेकिन कभी भी अपने पूर्वजों को नहीं दिया।

तब कर्ण ने उत्तर दिया कि वह अपने पूर्वजों के बारे में नहीं जानता है और उसे सुनने के बाद, भगवान इंद्र ने उसे 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर वापस जाने की अनुमति दी ताकि वह अपने पूर्वजों को भोजन दान कर सके। तब से इसी 15 दिन की अवधि को पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है।

 

 

 

 

 

 

Disclaimer: यह पोस्ट सामान्य जानकारी पर आधारित है। इस लेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

(इनपुट एजेंसी से भी)

 

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Radha Kashyap