गधे से नहीं गधी से मिले इस शख्स को 17 लाख के आर्डर, नौकरी को मारी लात
इस तकनीकी विशेषज्ञ ने अपनी नौकरी को लात मार कर मतलब की अपनी नौकरी को छोड़ गधीयों के भरोसे अपने जीवन पालन करने की सोची.
srinivas gowda is selling donkey milk leaving software company job
नयी दिल्ली (समयधारा) : वक्त किसी का इन्तजार नहीं करता l कई लोग है जो मौके पर चौका मारते है l
तो कई लोग ऐसे है जो मौके का इंतजार नहीं करते बल्कि मौके खुद ही तलाश लेते है l
इन्ही में से एक इस तकनीकी विशेषज्ञ ने अपनी नौकरी को लात मार कर मतलब की अपनी नौकरी को छोड़ गधियों के भरोसे अपने जीवन को पालन करने की सोची l
आप सोच रहे होंगे कि ऐसे वक्त में जब लोगों को नौकरी ढूंढे से नहीं मिल रही है, तब इस शख्स ने इतनी दिलेरी का काम आखिर कैसे कर लिया।
पर इस बन्दे ने न सिर्फ नौकरी को छोड़ दिया बल्कि नौकरी छोड़ने के बाद भारत का दूसरा और कर्नाटक का पहला गधियों को पालने वाला फार्म यानी Donkey Milk Farm खोल दिया l
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चलियें जानते है इसके बारे में विस्तार से :
श्रीनिवास गौड़ा ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, “मैं पहले 2020 तक एक सॉफ्टवेयर फर्म में काम करता था।
फिर मैंने गधी का दूध (Donkey Milk) बेचने के लिए अपनी नौकरी को लात मार दी।
मेंगलुरु के एक फार्म में गधों का पालन-पोषण करते हैं। यह भारत और कर्नाटक का पहला गधा पालन और ट्रेनिंग सेंटर है।
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ANI से बात करते हुए कहा,”वर्तमान में हमारे पास 20 गधी हैं और मैंने लगभग 42 लाख रुपए का निवेश किया है।
हम गधी के दूध को बेचने की योजना बना रहे हैं, जिसके बहुत सारे फायदे हैं।
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हमारा सपना है कि गधी का दूध सभी को मिले। गधी का दूध एक दवा का फार्मूला है।
“42 साल के व्यक्ति ने 8 जून को फार्म खोला, जिससे यह कर्नाटक का पहला डंकी मिल्क फार्म बन गया।
इसे देश का दूसरा फार्म माना जाता है। पहला गधी के दूध का फार्म केरल के एर्नाकुलम जिले में है।
“श्रीनिवास गौड़ा ने एजेंसियों को बताया कि वह गधों की दुर्दशा से परेशान थे।
इन्हें अक्सर कम आंका जाता है। गौड़ा बीए ग्रेजुएट हैं, और उन्होंने 2020 में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी छोड़ दी।”
“उन्होंने सबसे पहले दक्षिण कन्नड़ जिले के ईरा गांव में 2.3 एकड़ जमीन पर इसिरी फार्म की शुरुआत की।
इसिरी फार्म एक कृषि और पशुपालन, पशु चिकित्सा सेवाएं, प्रशिक्षण और चारा विकास केंद्र है।”
“गौड़ा ने बकरी, खरगोश और कड़कनाथ मुर्गे पालने से शुरुआत की। अब वह गधे के फार्म में करीब 20 गधों की देखभाल करते हैं।
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उन्होंने एजेंसियों को बताया कि लगभग हर घर में वाशिंग मशीन को अपनाने के बाद गधों की प्रजातियों की संख्या कम हो रही है।
क्योंकि अब धोबी गधों का इस्तेमाल नहीं करते हैं।” “गौड़ा ने यह भी बताया कि जब उन्होंने गधों का फार्म शुरू करने के बारे में बताया, तो कई लोगों ने उनका मजाक उड़ाया।
उन्होंने बताया कि 30 ml के एक दूध के पैकेट की कीमत 150 रुपये तक होगी और इसे मॉल, दुकानों और सुपरमार्केट के जरिए बेचा जाएगा।”
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“चूंकि गधी के दूध का इस्तेमाल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में भी किया जाता है।
इसलिए गौड़ा की योजना ऐसे प्रोडक्ट को बनाने वाले ब्रांडों और कंपनियों को दूध बेचने की भी है। उन्होंने बताया उन्हें पहले ही 17 लाख रुपए के ऑर्डर मिल चुके हैं।”
(Input ANI से भी)