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अब अमेरिका में सिर्फ करोड़पतियों को ही मिलेगा काम, ट्रंप का नया फरमान

US H-1B Visa News : अमेरिका में H-1B वीजा फीस में बड़ा बदलाव: भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर

 

H1B Visa Fee Increase

अमेरिका में H-1B वीजा फीस में बड़ा बदलाव: भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर

प्रस्तावना

अमेरिका में जॉब का सपना देखने वाले भारतीयों के लिए ताज़ा खबर चिंताजनक है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नए आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिसके तहत विदेशी हाई-स्किल वर्कर्स को हायर करने वाली कंपनियों को अब भारी-भरकम वार्षिक वीजा फीस देनी होगी। यह बदलाव सीधे तौर पर H-1B वीजा जैसी कैटेगरी पर लागू होगा, जिसका इस्तेमाल भारतीय आईटी, हेल्थकेयर, इंजीनियरिंग और फाइनेंस सेक्टर के हजारों प्रोफेशनल्स हर साल करते हैं।


नया नियम: वीजा फीस 1,00,000 डॉलर प्रति वर्ष

नए नियमों के अनुसार अमेरिकी कंपनियों को हर विदेशी हाई-स्किल कर्मचारी के लिए सालाना 1,00,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) की वीजा फीस देनी होगी। पहले जहां यह फीस केवल 215 डॉलर के आसपास थी, वहीं अब यह कई गुना बढ़ गई है।

  • कैटेगरी: H-1B और समान हाई-स्किल वर्क वीजा
  • नई फीस: 1,00,000 USD (लगभग ₹88 लाख) प्रति वर्ष
  • पुरानी फीस: लगभग 215 USD (लगभग ₹18,000)

यह बदलाव कंपनियों के लिए विदेशी वर्कर्स को हायर करना बेहद महंगा बना देगा।


H-1B वीजा क्या है और क्यों अहम है

H-1B वीजा अमेरिका द्वारा उन विदेशी नागरिकों को दिया जाता है जो कम से कम बैचलर डिग्री रखते हों और टेक, हेल्थकेयर, फाइनेंस, इंजीनियरिंग जैसे हाई-स्किल्ड सेक्टर्स में जॉब करना चाहते हों।

  • हर साल 65,000 H-1B वीजा जारी किए जाते हैं।
  • अमेरिका से मास्टर्स डिग्री पूरी करने वाले स्टूडेंट्स के लिए 20,000 अतिरिक्त वीजा रिजर्व होते हैं।
  • अमेज़न, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल जैसी दिग्गज कंपनियां बड़े पैमाने पर H-1B प्रोफेशनल्स को नियुक्त करती हैं।

H1B Visa Fee Increase


भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर

भारत H-1B वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी देशों में से एक है। हर साल जारी होने वाले 85,000 वीजा में लगभग 70% से अधिक भारतीयों को मिलते हैं। नए नियम के बाद कंपनियों के लिए भारतीय इंजीनियर, डॉक्टर, और फाइनेंस प्रोफेशनल्स को हायर करना बेहद महंगा होगा।

  • कंपनियों पर बढ़ते खर्च के कारण भारतीय आवेदकों के लिए अवसर कम हो सकते हैं।
  • कई कंपनियां अब अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता दे सकती हैं।
  • स्टार्टअप्स और मिड-लेवल कंपनियों के लिए विदेशी हायरिंग लगभग असंभव हो सकती है।

ट्रंप का बयान: “हमें अच्छे वर्कर्स चाहिए”

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस फैसले को अमेरिकी वर्कफोर्स को प्राथमिकता देने की दिशा में उठाया गया कदम बताया।

“हमें वर्कर्स चाहिए। हमें अच्छे वर्कर्स चाहिए और इससे यह सुनिश्चित होता है कि जो लोग अमेरिका आएंगे, वे सच में हाई स्किल वाले होंगे और अमेरिकी वर्कर्स की नौकरियां नहीं लेंगे।”

ट्रंप ने कहा कि टेक इंडस्ट्री इस फैसले का विरोध नहीं कर रही है, बल्कि यह नियम सुनिश्चित करेगा कि अमेरिका में आने वाले विदेशी वर्कर्स वाकई में विशेषज्ञ हों।


कंपनियों की प्रतिक्रिया

अब तक अमेज़न, एप्पल, गूगल और मेटा जैसी बड़ी कंपनियों ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

  • माइक्रोसॉफ्ट ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
  • कई कंपनियां आंतरिक रणनीति पर विचार कर रही हैं।

कॉमर्स मंत्री हावर्ड लुटनिक ने कहा कि यह बदलाव कंपनियों को अमेरिकी वर्कर्स को ट्रेनिंग देने की दिशा में प्रोत्साहित करेगा।

“अगर आपके पास कोई अच्छा इंजीनियर है जिसे आप अमेरिका लाना चाहते हैं, तो आपको H-1B वीजा के लिए 1 लाख डॉलर देने होंगे। इससे कंपनियां अपने अमेरिकी वर्कर्स को ट्रेनिंग देने पर ध्यान देंगी।”


इमीग्रेशन पॉलिसी पर संभावित असर

यह कदम अमेरिकी इमीग्रेशन पॉलिसी में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

  • H-1B वीजा लिमिट (85,000) से भी कम वीजा जारी होने की संभावना।
  • कंपनियों के लिए लागत और कानूनी प्रक्रिया दोनों जटिल होंगी।
  • आउटसोर्सिंग कंपनियों को सबसे बड़ा झटका लग सकता है।

भारतीय आईटी सेक्टर की चिंता

भारतीय आईटी कंपनियां जैसे इन्फोसिस, टीसीएस, विप्रो अमेरिका में बड़े पैमाने पर प्रोजेक्ट्स चलाती हैं। H-1B वीजा फीस में बढ़ोतरी उनके बिजनेस मॉडल पर सीधा असर डाल सकती है।

  • नए प्रोजेक्ट्स की लागत बढ़ेगी।
  • क्लाइंट्स को सर्विस महंगी पड़ सकती है।
  • कंपनियां अब प्रोजेक्ट्स को भारत या अन्य देशों में शिफ्ट करने पर विचार कर सकती हैं।

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स्टूडेंट्स और जॉब सीकर्स को क्या करना चाहिए

  1. विकल्प तलाशें: कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की ओर रुख करें।
  2. उच्च स्किल डिग्री: अमेरिकी मास्टर्स या पीएचडी करने वालों को प्राथमिकता मिल सकती है।
  3. रिमोट वर्क: अमेरिकी कंपनियां अब रिमोट जॉब्स को बढ़ावा दे सकती हैं।

सोशल मीडिया पर चर्चा

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस फैसले को लेकर बहस तेज है।

  • ट्विटर पर #H1Bvisa और #TrumpPolicy ट्रेंड कर रहे हैं।
  • भारतीय प्रोफेशनल्स ने इसे “टैलेंट रोकने की चाल” कहा।

 

निष्कर्ष

अमेरिका की नई वीजा नीति भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए एक बड़ी चुनौती है। कंपनियों को विदेशी हाई-स्किल वर्कर्स को हायर करने के लिए भारी फीस देनी होगी, जिससे भारतीय इंजीनियर्स, डॉक्टर और अन्य पेशेवरों के लिए अवसर सीमित हो सकते हैं। अब देखना होगा कि आने वाले महीनों में अमेरिकी कंपनियां और भारतीय आईटी सेक्टर इस बदलाव से निपटने के लिए क्या रणनीति अपनाते हैं।

 

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