![kulbhushan jadhav case : now jadhav can appeal against death sentence in pakistan high court, कुलभूषण जाधव मामलें में आया एक नया अपडेट](/wp-content/uploads/2021/06/kulbhushan-jadhav_optimized.jpg)
kulbhushan jadhav case : now jadhav can appeal against death sentence in pakistan high court
नई दिल्ली (समयधारा) : कई सालों से पकिस्तान की जेल में कैद कुलभूषण जाधव में एक नया मोड़ आया हैl
जाधव को अब पाकिस्तान हाई कोर्ट में अपनी सजा के खिलाफ अपील कर सकने का अधिकार मिला हैं।
वहां की नेशनल असेंबली (National Assembly) की तरफ से इस संबंध में एक विधेयक को मंजूरी दी गई है।
गौरतलब है कि कुलभूषण जाधव को कथित जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी।
इस बिल में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) के फैसले को प्रभावी बनाने के लिए समीक्षा और पुनर्विचार का एक और अधिकार दिया गया।
kulbhushan jadhav case : now jadhav can appeal against death sentence in pakistan high court
जाधव को 2017 में पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
भारत ने बाद में मौत की सजा को चुनौती देने के अलावा जाधव को कांसुलर एक्सेस से इनकार करने के खिलाफ ICJ का दरवाजा खटखटाया था।
ANI ने बताया कि पाकिस्तान नेशनल असेंबली ने 21 सदस्यीय स्थायी समिति से मंजूरी के बाद 10 जून को
“इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (समीक्षा और पुन: विचार) अधिनियम” विधेयक को पारित कर दिया।
कुलभूषण जाधव मामले में ICJ के फैसले को देखते हुए पाकिस्तान सरकार इससे पहले नेशनल असेंबली में अध्यादेश लेकर आई थी।
वहीं 17 जुलाई 2019 को, ICJ ने जाधव की मौत की सजा को रद्द कर दिया था और सिविल कोर्ट में उनके खिलाफ आरोपों की सुनवाई का आह्वान किया था।
इससे पहले पाकिस्तान ने भारत की उस मांग ठुकरा दिया था,
जिसमें कहा गया था कि कुलभूषण जाधव के लिए भारतीय या क्वींस काउंसल नियुक्त किया जाए, जो पाकिस्तान की अदालत में उनका पक्ष रख सके।
kulbhushan jadhav case : now jadhav can appeal against death sentence in pakistan high court
मगर पाकिस्तान का कहना है कि जाधव का पक्ष वही वकील रख सकता है, जिसके पास पाकिस्तान का लाइसेंस होगा।
तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने एक सवाल के जवाब में कहा,
“हमने उन्हें बार-बार बताया है कि अदालत में कमांडर जाधव का पक्ष केवल वही वकील रख सकते हैं,
जिनके पास पाकिस्तान में वकालत करने का लाइसेंस है।”
उन्होंने कहा कि भारतीय उच्चतम न्यायालय ने भी अपने एक फैसले में कहा था कि देश में कोई विदेशी वकील वकालत नहीं कर सकता।