गृह मंत्रालय ने देश में CAA का नोटिफिकेशन किया जारी, BJP ने पूरा किया वादा
गृह मंत्रालय ने देश में CAA का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसक मतलब है कि CAA नियम अब देश में लागू हो गए हैं।
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नयी दिल्ली (समयधारा): लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से पहले आखिरकार मोदी सरकार ने देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CCA) को नियमों को लागू कर दिया है।
गृह मंत्रालय ने देश में CAA का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसक मतलब है कि CAA नियम अब देश में लागू हो गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली सरकार ने सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू करने की घोषणा की।
यह कदम लोकसभा चुनाव 2024 से पहले आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू होने से पहले आया है।
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MHA ने X पर एक बयान में कहा, “गृह मंत्रालय आज नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA-2019) के तहत नियमों को अधिसूचित करेगा।
नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 कहे जाने वाले ये नियम CAA-2019 के तहत पात्र व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाएंगे।
इसमें कहा गया है, आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में जमा किए जाएंगे, जिसके लिए एक वेब पोर्टल उपलब्ध कराया गया है।
CAA, 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र का एक अभिन्न अंग था। CAA के नियमों जारी होते ही,
अब अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदायों से आने वाले प्रवासियों के लिए भारत में नागरिकता पाने का रास्ता भी खुल गया है।
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इसी के साथ अब मोदी सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों – हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई – को भारतीय राष्ट्रीयता देना शुरू करेगी, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे।
CAA दिसंबर 2019 में पारित हुआ था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी,
लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए। CAA विरोधी प्रदर्शनों या पुलिस कार्रवाई के दौरान 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।
संसदीय कार्य नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की मंजूरी के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए या सरकार को लोकसभा और राज्यसभा में अधीनस्थ विधान समितियों से विस्तार मांगना होगा।
2020 से गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समिति से नियमित अंतराल पर एक्सटेंशन लेता आ रहा था।
गृह मंत्रालय ने आवेदकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल भी तैयार किया है, क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी।
नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों को वो साल बताना होगा, जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था।
क्या है CAA
27 दिसंबर, 2023 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि CAA के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता,
क्योंकि यह देश का कानून है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
केंद्र सरकार ने पिछले दो साल में नौ राज्यों को पुराने कानून के तहत ही नागरिकता देने की शक्तियां दी हैं।
ये नौ राज्य, जहां पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता अधिनियम,
1955 के तहत रजिस्ट्रेशन या नेचुरलाइजेशन के जरिए भारतीय नागरिकता दी जाती है,
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वे हैं गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र।
दिलचस्प बात यह है कि असम और पश्चिम बंगाल के किसी भी जिले के अधिकारियों को अब तक ये अधिकार नहीं दिए गए हैं, जहां यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) एक अधिनियम है, जो 11 दिसंबर, 2019 को संसद में पारित किया गया था।
CAA 2019 में 1955 के नागरिकता अधिनियम में बदलाव किया गया।
इसमें अब हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता की अनुमति दी गई,
जो दिसंबर 2014 से पहले धार्मिक उत्पीड़न या उत्पीड़न के कारण पड़ोसी मुस्लिम बहुसंख्यक देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भाग कर भारत आए हैं।
हालांकि, अधिनियम में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है।
CAA 2019 संशोधन के तहत, 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में प्रवेश करने वाले और अपने मूल देश में धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक उत्पीड़न के डर का सामना करने वाले प्रवासियों को नए कानून के तहत भारतीय नागरिकता के लिए पात्र बनाया गया था।
ऐसे प्रवासियों को छह सालों में फास्ट ट्रैक भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। संशोधन ने इन प्रवासियों के देशीयकरण के लिए निवास की जरूरत को 11 साल से घटाकर पांच साल कर दिया।
CAA के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और पूर्वोत्तर राज्यों समेत देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन भी हुए।
असम और दूसरे पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध प्रदर्शन इस डर से हिंसक हो गया कि इस कदम से उनके राजनीतिक अधिकारों, संस्कृति और भूमि अधिकारों का नुकसान होगा और बांग्लादेश से आने वाले और ज्यादा लोगों को बढ़ावा मिलेगा।
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आंदोलनकारियों का कहना था कि नागरिकता कानून में नया संशोधन मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है और देश के संविधान में दिया गया समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
कई विरोधियों का कहना ये भी था कि ‘सरकार इसके जरिए देश में रह रहे मुस्लिमों की नागरिकता भी खारिज कर देगी।’
मुस्लिम पक्ष का ये भी कहना था कि शिया और अहमदी जैसे संप्रदायों को भी पाकिस्तान जैसे मुस्लिम-बहुल देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है,
लेकिन उन्हें CAA में शामिल नहीं किया गया है। इसमें तिब्बत, श्रीलंका और म्यांमार जैसे दूसरे देशों से सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यकों के बहिष्कार पर भी सवाल उठाए गए थे।
इस तरह के विरोध प्रदर्शन और विवादों के कारण ही पांच साल से CAA के नियमों को देश में लागू नहीं किया गया था।
जबकि संसद से पास होने के बाद, इसे राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई थी।
(इनपुट एजेंसी से)
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