चुनावी बांड क्या है…? इसके फायदे … और यह कहा मिलते है..? क्या यह Investment है ..?
अगले महीने से 3 चरणों में होगी चुनावी बांड की बिक्री
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नई दिल्ली,1 मार्च : चुनावी बांड क्या है…? इसके फायदे … और यह कहा मिलते है..? क्या यह Investment है ..?
ऐसे बहुत से सवाल आपके जेहन में रोज घुमते होंगे l आखिर यह चुनावी बांड है क्या ..? बहुत से लोग इससे अनजान है l
मेरे कुछ मित्रों ने मुझे फ़ोन किया और कहा कि क्या यह बांड एक इन्वेस्टमेंट है क्या ..?
चुनावी बांड कही चुनाव में इन्वेस्ट करने का सरकार का नया तरिका है क्या ..?
मेरा तो दिमाग चकरा गया l किसी तरह समझाकर मैंने जान छुड़ाई l फिर मैंने सोचा बहुत से लोगों को इसके बारे में पता नहीं होगा l
तो चलिए आज हम बताते है चुनावी बांड क्या है …?
यह एक तरह से किसी भी राजनीतिक पार्टी को चंदा देने के लिए उपयोग में लाया जाता है l
मतलब की अगर आप किसी भी राजनीतिक पार्टी को फण्ड करना चाहते है तो आप लीगल तरीके से फण्ड कर सकते है l
चलियें विस्तार में समझाते है l what-is-electoral-bonds-its-benefits-is-this-investment
चुनावी बांड (electrol बांड) : इलेक्टोरल बांड एक बांड को संदर्भित करता है, इस बांड पर एक तय कीमत लिखी होती है
जिस तरह से हमारे रुपये होते है यह भी एक तरह की मुद्रा नोट की तरह होता है।
इन बांडों का उपयोग व्यक्तियों, संस्थानों और संगठनों द्वारा राजनीतिक दलों को धन दान करने के लिए किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट के दौरान चुनावी बॉन्ड लॉन्च करने की घोषणा की थी।
राजनीतिक दलों के चुनाव फंडिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह पहल की गई थी।
ये चुनावी बांड रुपये के हिसाब से 1,000, रु, 10,000, रु, 1 लाख, रु, 10 लाख और 1 करोड़ रुपये मूल्य के हिसाब से होते है l
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जनवरी 2018 में लोकसभा में चुनावी बांड से संबंधित सभी दिशानिर्देशों की घोषणा की।
वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को अगले महीने से तीन चरणों में चुनावी बांड की बिक्री की घोषणा की।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को मार्च,
अप्रैल और मई में चुनावी बांड की बिक्री के लिए अधिकृत किया गया है।
बयान में मंत्रालय ने कहा, “एसबीआई को उसकी 29 अधिकृत शाखाओं के जरिए
मार्च, अप्रैल और मई में चुनावी बांड जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है।”
चुनावी बांड की बिक्री 1-15 मार्च, 1-20 अप्रैल और 6-15 मई के दौरान होगी।
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चलिए जानते है इन बांड की विशेषताओं के बारे में :
1. भारत में कोई भी नागरिक या संस्था या कोई भी कंपनी पंजीकृत राजनीतिक दलों को फंड देने के लिए चुनावी बॉन्ड खरीद सकती है।
2. ये चुनावी बॉन्ड रुपये के मूल्यवर्ग में उपलब्ध होंगे। 1,000, 10,000, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रूपये
3. प्रत्येक पार्टी जो कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 ए के तहत पंजीकृत है और उसने हाल के लोकसभा या राज्य चुनाव में कम से कम 1% वोट हासिल किए हैं, चुनावी बांड के माध्यम से निधि प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे।
4. प्रत्येक दाता को बैंकों को अपना केवाईसी(KYC) विवरण प्रदान करना होगा।
5. चुनावी बॉन्ड क्रेता का नाम बैंकों द्वारा गोपनीय रखा जाएगा।
6. खरीद की तारीख से 15 दिनों के लिए चुनावी बांड मान्य होगा।
7. इन बांडों पर बैंकों द्वारा कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा।
8. ये बॉन्ड केवल भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीदे जा सकते हैं।
9. बैंकों को इलेक्टोरल बॉन्ड के खरीदारों के बारे में पूरी जानकारी होगी।
10. बांड प्रत्येक तिमाही की शुरुआत में 10 दिनों की अवधि के लिए खरीद के लिए उपलब्ध होगा। लोकसभा चुनाव के वर्ष में; 30 दिन अतिरिक्त प्रदान किया जाएगा।
11. बांड प्रत्येक वर्ष के जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीनों में खरीदे जा सकते हैं।
12. राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को यह भी बताना होगा कि उन्हें चुनावी बांड से कितना पैसा मिला।
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(इनपुट आईएएनएस व सोशल मीडिया से)