हार्ट अटैक-स्ट्रोक-डिमेंशिया का बड़ा कारण शराब और स्मोकिंग
नई दिल्ली, 3 मई : हार्ट अटैक-स्ट्रोक-डिमेंशिया का बड़ा कारण शराब और स्मोकिंग l
धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन जीवन भर के लिए तीव्र व अनियमित हृदय गति के जोखिम को बढ़ाता है, जो आगे चलकर स्ट्रोक, डिमेंशिया, दिल की विफलता और अन्य जटिलताओं का कारण बन सकता हैl
जिसे एट्रियल फाइब्रिलेशन के रूप में जाना जाता हैं। एक नये अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है।
अध्ययन के मुताबिक, सामान्य परिस्थितियों में धड़कते समय हृदय सिकुड़ता है और आराम की स्थिति में होता है।
एट्रियल फाइब्रिलेशन में, दिल के ऊपरी कक्ष (एट्रिया) में अनियमित धड़कन होती है, जबकि वेंट्रिकल्स में रक्त को पहुंचाने के लिए इसे नियमित रूप से धड़कने की जरूरत होती है।
हार्ट केअर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल ने कहा, “वेंट्रिकल्स से रक्त पंप करने से लेकर एट्रिया में रक्त की प्राप्ति से शुरू होने वाली प्रक्रिया बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित होती है और इसके बारे में दिल सहित विद्युत सर्किट पूरा हो जाता है।
इन घटनाओं में कोऑर्डिनेशन की थोड़ी सी भी कमी दिल की लय में परेशानी पैदा कर सकती है और एट्रियल फाइब्रिलेशन ऐसी ही एक परेशानी है।”
उन्होंने कहा, “उन लोगों में इसका जोखिम अधिक रहता है जो शराब अधिक पीते हैं। इस स्थिति में, एट्रियल कक्ष अनियमित रूप से सिकुड़ता है, जिसकी गति कई बार 400 से 600 गुना प्रति मिनट की हो सकती है।
कार्डियक चैम्बर में, मुख्य रूप से बाएं एट्रिया में, रक्त के वेंट्रिकल्स में भरने और रक्त के स्टेसिस के कारण थक्का जमने लगता है। यह थक्का कार्डियक चैम्बर से निकल कर परिधीय अंगों में माइग्रेट कर सकता है और इसके कारण मस्तिष्क में स्ट्रोक हो सकता है।”
एट्रियल फाइब्रिलेशन के कुछ लक्षणों में दिल तेजी से धड़कना, अत्यधिक चिंता महसूस होना, सांस लेने में कठिनाई, थकान, हल्कापन और सिंकोप शामिल हैं।
40 प्रतिशत से अधिक लोग एक ही बार में पांच स्टेंडर्ड ड्रिंक्स लेते है। ‘हॉलीडे हार्ट सिंड्रोम’ एक आम आपातकालीन दशा है, जिसमें अल्कोहल के कारण एएफ 35 से 62 प्रतिशत हो जाता है।
तीन विश्लेषणों से पता लगा है कि कम मात्रा में शराब पीने की आदत से भी पुरुषों और महिलाओं में एएफ की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है।
डॉ. अग्रवाल ने आगे बताया, “अन्य स्थितियों के साथ, आपके दिल के स्वास्थ्य को मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीका यह सुनिश्चित करना है कि आप नियमित रूप से अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें और जोखिम को कम करें। कम उम्र में किए गए जीवन शैली संबंधी बदलाव दिल को किसी भी नुकसान से बचा सकते हैं।
बचपन से ही ऐसी आदतों को जन्म देना जरूरी है जो आगे चलकर लाभदायक साबित हों। बुजुर्ग लोग खाने, पीने और स्वस्थ जीवन शैली के मामले में एक उदाहरण पेश कर सकते हैं।”
— आईएएनएस