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मुंबई, 7 मार्च : दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी.एन. साईंबाबा को महाराष्ट्र की एक अदालत ने नक्सलियों से संपर्क रखने के जुर्म में मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। गढ़चिरौली सत्र न्यायालय ने व्हीलचेयर के सहारे चलने वाले साईंबाबा साहित कुल पांच लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, जबकि एक अन्य अपराधी को 10 वर्ष की जेल दी गई है।
दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध रामलाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे साईंबाबा निलंबित थे। उन्हें मई, 2014 को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।
अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि साईंबाबा के पास से बरामद दस्तावेजों, सीडी और पेन ड्राइव से प्रतिबंधित संगठन ‘भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)’ से जुड़े दस्तावेज पाए गए थे।
अदालत ने सजा सुनाते हुए कहा, “आरोपियों ने हिंसा फैलाने, कानून-व्यवस्था भंग करने और केंद्र तथा राज्य सरकारों के प्रति विद्रोह भड़काने की साजिश रची।”
अदालत ने अपने फैसले में आगे कहा है, “आरोपियों पर जो आपराधिक साजिश रचने के आरोप लगाए गए हैं, उसके पक्ष में उनके पास से नक्सली साहित्य पाया गया। इसे प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) और इसके पितृ संगठन ‘रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट’ (आरडीएफ) के सदस्यों और अन्य लोगों के बीच वितरित किया जाना था, जिसका उद्देश्य हिंसा भड़काना और कानून-व्यवस्था भंग करना था।”
न्यायाधीश एस.एस. शिंदे ने 47 वर्षीय साईंबाबा को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत सजा सुनाई और साईंबाबा सहित उनके साथियों को आतंकवादी संगठन का सदस्य होने और वामपंथी विद्रोहियों को सहयोग देने का दोषी पाया।
–आईएएनएस