Health News 24/7 : बथुआ है सर्दियों का अच्छा आहार, बथुआ है गुणों की खान
बथुआ को अंग्रेजी में Lamb's Quarters कहते है, और इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है.
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नई दिल्ली, (समयधारा) : हमारे देश में कई ऐसे अनजाने रहस्य है l
जिनका महत्व हमारे दैनिक जीवन, हमारे शरीर, हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है l
पुराने ज़माने के कई बुजुर्ग लोग इन नुस्खों के बारें में जानते है l
आज इन्ही अनजाने रहस्यों में से हम आपके लिए लाये है सागों के सरदार कहने वाले बथुआ के कई छुपे रहस्यों का खजाना l
बथुआ देश में एक लोकप्रिय सब्जी है। सर्दियों में इस हरी पत्तेदार सब्जी का खास महत्व है।
बथुआ को अंग्रेजी में Lamb’s Quarters, कहते है और इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है।
साग और रायता बना कर बथुआ अनादि काल से खाया जाता रहा है,
लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व की सबसे पुरानी महल बनाने की पुस्तक शिल्प शास्त्र में लिखा है कि,
हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिए प्लस्तर में बथुआ मिलाते थे
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और हमारी बुढ़ियां सिर से ढ़ेरे व फांस (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुए के पानी से बाल धोया करती थी।
बथुवा गुणों की खान है और भारत में ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो हमारा भारत महान है।
बथुआ में क्या क्या है?? मतलब कौन कौन से विटामिन और मिनरल्स है??
तो सुने, बथुए में क्या नहीं है?? बथुआ विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9 और विटामिन C से भरपूर है
तथा बथुए में कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स हैं।
100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं। कुल मिलाकर 43 Kcal होती है।
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जब बथुआ शीत (मट्ठा, लस्सी) या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व
किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है,
और साथ में बाजरे या मक्का की रोटी, मक्खन व गुड़ की डली हो तो इसे खाने के लिए देवता भी तरसते हैं।
जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डॉक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली ही खाने की सलाह देते हैं ना???
गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व लोहे की गोली बताई जाती है और बथुआ में वो सबकुछ है ही,
कहने का मतलब है कि बथुआ पहलवानों से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है।
यह साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है।
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बथुआ के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है।
बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है,
यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो काला नमक मिलाएँ और देशी गाय के घी से छौंक लगाएँ।
बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है।
किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें। बथुए में जिंक होता है जो कि शुक्राणुवर्धक है,
मतलब किसी भाई को जिस्मानी कमजोरी हो तो उसको भी दूर कर देता है बथुआ।
बथुआ कब्ज दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोई भी बीमारी शरीर में लगेगी ही नहीं, ताकत और स्फूर्ति बनी रहेगी।
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कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएँ।
बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएँ और तो और यह खराब लीवर को भी ठीक कर देता है।
पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शकर मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी।
मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें ।
आधा रहने पर छानकर पी जाएँ। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा। आँखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ।
पेशाब के रोगी बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें ।
बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें।
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स्वाद के लिए नींबू जीरा, जरा सी काली मिर्च और काला नमक लें और पी जाएँ।
आप ने अपने दादा दादी से ये कहते जरूर सुना होगा कि हमने तो सारी उम्र अंग्रेजी दवा की एक गोली भी नहीं ली।
उनके स्वास्थ्य व ताकत का राज यही बथुआ ही है।
मकान को रंगने से लेकर खाने व दवाई तक बथुआ काम आता है और हाँ सिर के बाल …… क्या करेंगे शैम्पू इसके आगे।
लेकिन अफसोस , हम किसान ये बातें भूलते जा रहे हैं और इस दिव्य पौधे को नष्ट करने के लिए अपने अपने खेतों में जहर डालते हैं।
तथाकथित कृषि वैज्ञानिकों ने बथुए को भी कोंधरा, चौलाई, सांठी, भाँखड़ी आदि सैकड़ों आयुर्वेदिक औषधियों को
खरपतवार की श्रेणी में डाल दिया और हम भारतीय चूं भी ना कर पाये।
(इनपुट समयधारा के पुराने पन्नो से)
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