Easter : जानियें आखिर Good Friday के बाद Sunday को ही क्यों मनाया जाता है ईस्टर
क्यों मनाया जाता है ईस्टर संडे ?(Easter Sunday), पिछले साल ईस्टर पर श्रीलंका में हुए थे भीषण बम ब्लास्ट
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नई दिल्ली (समयधारा) : आज ईस्टर(Easter) का पवित्र त्यौहार है l
साल में ‘Good Friday’ के बाद जो रविवार आता है उस दिन ईस्टर(Easter) का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है l
पिछले साल ईस्टर पर श्रीलंका में हुए बम ब्लास्ट को भला कौन भुला सकता है l
#World Breaking : #Easter पर श्रीलंका में चर्च और होटलों में ब्लास्ट-100 लोगों की मौत 300 घायल(11.10am)
वही इस साल ईस्टर पर कोरोना की मार ने एक बार फिर विश्व में ईस्टर के त्यौहार का माहौल फीका हो गया है l
क्यों मनाया जाता है ईस्टर संडे ?(Easter Sunday)– what is Easter Sunday
गुड फ्राइडे (Good Friday) के दिन यीशु के जाने पर लोग बहुत रोने लगे तब ईसा मसीह ने कहा कि वे आज से तीन दिन बाद दोबारा जिंदा होंगे,
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इसलिए किसी को भी उनके जाने का दुख मनाने की जरूरत नहीं है। फिर गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद यानि संडे को ईसा मसीह दोबारा जिंदा हो उठे,
इस दिन को ईस्टर संडे (Easter Sunday) के नाम से मनाया जाने लगा।
ईसाई धर्म में ईस्टर एग यानि अंडे का खास महत्व है। जैसे चिड़िया अपने घोंसले में सबसे पहले अंडा देती है,
उसके बाद उस अंडे से एक चूजा निकलता है। ठीक वैसे ही ईसाई धर्म में अंडे को शुभ माना गया है।
यीशु के पुन: संडे को जन्म लेने के कारण इस दिन को ईस्टर संडे कहा जाने लगा।
इस दिन लोग एक-दूसरे को अंडे के आकार के तोहफे देते है और साज-सजावट में भी अंडे के आकार की वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है।
कैसे मनाते है ईस्टर संडे?
गुड फ्राइडे से तीन दिन बाद ईसा मसीह ने जब दोबारा जन्म लिया,तो उस दिन को ईस्टर संडे कहकर मनाया जाने लगा।
इस दिन ईसा मसीह को पुन: जन्म लेने की खुशी मनाई जाती है और लोग प्रभु भोज में भाग लेते है व एक-दूसरे को अंडे के साइज के गिफ्ट देते है।
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इससे पहले,
Good Friday 2020– आज शुक्रवार (10 अप्रैल 2020) को गुड फ्राइडे (Good Friday 2020) है।
गुड फ्राइडे (Good Friday) मूल रूप से ईसाई संप्रदाय के अनुयायियों के बीच मनाया जाने वाला त्यौहार है।
ईसा मसीह (Isa Masih) को परमेश्वर की संतान माना जाता है। जिन्होंने इंसानियत और मानवता का पाठ पढ़ाने के लिए इस धरती पर जन्म लिया था।
गुड फ्राइडे को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन प्रभु ईसा मसीह को बेहद शारीरिक यातनाएं देकर सूली पर चढ़ा दिया गया था।
दरअसल, यहूदियों के कट्टरपंथी धर्मगुरुओं ने यीशु का विरोध किया था
चूंकि ईसा मसीह उस समय समाज और धर्म में फैले अज्ञानता के अंधकार को दूर कर रहे थे और ये बात कट्टरपंथियों को नागवार गुजर रही थी।
तब पिलातुस ने कट्टरपंथी धर्मगुरुओं (रब्बियों) को खुश करने के लिए ईसा मसीह को क्रॉस पर लटका दिया था।
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यीशु (Yishu) के दोनों हाथों और पैरों पर लोहे की कीलें ठोंकी गई और उन्हें बेइंतहा यातना दी गई,
लेकिन ईसा मसीह ने अपने हत्यारों को एक शब्द तक नहीं कहा और जब यीशु को क्रॉस पर लटकाया गया तब
उन्होंने प्रार्थना करते हुए कहा कि “हे-परमेश्वर! इन्हें माफ कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे है”
यीशु के प्राण निकले तो दिन में ही अंधेरा छा गया और एक जलजला सा आ गया।
इसी कारण गुड फ्राइडे के दिन दोपहर में 3 बजे चर्च में प्रार्थना सभाएं होती है लेकिन किसी प्रकार का समारोह नहीं होता।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि जिस दिन यीशु को क्रॉस पर लटकाया गया उसे गुड फ्राइडे क्यों कहते है (why called ‘Good Friday’ )? जबकि इस दिन तो बुरा हुआ!
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यीशु (Yishu) को जिस दिन क्रॉस पर लटकाया गया उस दिन को गुड फ्राइडे (Good Friday) इसलिए कहते है
चूंकि ईसाई धर्म में माना जाता है कि यीशू ने मानवता के लिए अपनी जान दी, इसलिए ये एक अच्छा कार्य है
और तभी इसे गुड (Good) कहा जाता है। जब ईसा मसीह को लटकाया गया उस दिन शुक्रवार (Friday) था,
इसलिए इस दिन को ‘गुड फ्राइडे’ (Good Friday) कहा जाने लगा। ‘गुड फ्राइडे’ को कुर्बानी दिवस के रूप में भी मनाते है।
गुड फ्राइडे के और भी कई नाम है
ईसाई संप्रदाय के धर्म ग्रंथों के अनुसार, यीशु के बेहद शारीरिक तकलीफें देकर बिना किसी गलती के क्रॉस मार्क पर लटका दिया गया था।
जिस दिन उन्हें इतनी यातनाएं दी गई और कीलों से ठोंक कर सूली पर लटकाया गया, उस दिन शुक्रवार यानि फ्राइडे था।
इसलिए इसे गुड फ्राइडे कहा जाता है और साथ ही इसे होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है।
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ऐसे मनाते है गुड फ्राइडे
1.गुड फ्राइडे से 40 दिन पूर्व ही ईसाई धर्मानुयायी अपने घरों में व्रत-उपवास और प्रार्थना करना शुरू कर देते है।
2.व्रत में वेजिटेरियन यानि शाकाहारी खाना खाया जाता है।
3.लोग गुड फ्राइडे पर चर्च में जाते है और यीशु को स्मरण करके शोक मनाते है।
4.गुड फ्राइडे पर चर्च में यीशु के अंतिम सात वाक्यों की विशेष रूप से व्याख्या की जाती है। इसमें मेल-मिलाप,क्षमा,सहायता और त्याग का महत्व बताया जाता है।
(इनपुट समयधारा के पुराने पन्नों से)
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