
Samaydhara-Exclusive This-Judge’s-Decision-and-South-East-DLSA-Provided-Impossible-Victory
नयी दिल्ली (समयधारा) : दोस्तों इस देश ऐसे कई मामले सामने आये है जहाँ मुजरिम खुलेंआम अपराध करते है और कानून से खिलवाड़ कर आसानी से बाहर घूमते है l
पर कुछ ऐसे भी मुजरिम/अपराधी होते है जिनका बच पाना बेहद ही मुश्किल होता हैl देर से ही सही पर कई मामलों में जो अदालत से निर्णय आते है वह एक मिसाल बनकर लोगों के बीच न्याय की आस और कानून पर विश्वास की उम्मीद को ज़िंदा रखते है l
ये फैसले न सिर्फ न्याय को जिंदा रखते है, बल्कि समाज में उन लोगों के लिए न्याय की मशाल को जलाएं रखते है, जो पैसों की तंगी के बावजूद इंसाफ की उम्मीद लिए जीते है और कहते है कि भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं।
कुछ ऐसा ही मामला अभी हाल ही में दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के साकेत कोर्ट से सामने आया है।
मोहब्बत टुकड़े-टुकड़ें…! पत्नी ने पति के किये कई टुकडें..! बेटी ने कहा.. पापा ड्रम में है…!!
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एक लड़की जो वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान ठगी गई। कुछ ही पलों में आरोपियों ने उसकी आइडेंटिटी,उसके रुतबे और आत्मसम्मान को रातों-रात अपनी कुंठित मानसिकता के चलते मिटा दिया।
अपनी व्यथा लिए जब पुलिस स्टेशन गई तो वहां भी उसकी सुनवाई नहीं हुई। सबूत पुख्ता थे इसलिए FIR तो हो गईं, लेकिन जांच के नाम पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उम्मीद की किरण लिए यह लड़की दिल्ली के साकेत कोर्ट में गई l जहां पहली हियरिंग में जज ने उसकी आपबीती सुनी और आर्थिक स्थिति को समझते हुए उसे District Legal Services Authority यानी DLSA से मुफ्त कानूनी सुविधा दिलवाई l यानी फ्री में वकील दिलवाया l
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- अब कई लोगों के मन में सवाल उठता है की यह फ्री के वकील काम कर पायेंगे..?
- क्या सच में यहाँ से मिले वकील बिना पैसों के न्याय दिला पायेंगे..?
- यह भी सवाल कई बार उठता है कि फ्री के वकील तो कई बार सामने वाली पार्टी से मिल जाते है..?
- अरे फ्री के वकील नाम की कोई चीज होती ही नहीं है..?
इस केस के सामने आने तक खुद हमारे भी ऐसे ही विचार थे लेकिन जब समयधारा के हाथ इस केस का फैसला लगा तो पता चला कि यह पूरा सच नहीं है।
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जी हां, आप भी अगर इस फैसले और इस केस को लड़ने वाले वकील के विषय में जानेंगे तो आपको भी यकीन हो जाएंगा कि सच में कुछ चीजें कमज़ोर की हिफाजत में ही महफूज़ रहती है।
शिकायतकर्ता सुनीता(नाम बदला हुआ) को DLSA से वकील संदीप मिश्रा (Advocate Sandeep Mishra) उनका केस लड़ने के लिए मिले।
दिल में न्याय की उम्मीद कम थी लेकिन आस थी l शायद कुछ हो जाएं और इस आस को “जीत का सूरज” वकील संदीप मिश्रा ने बना दिया।
साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए न सिर्फ सुनीता को न्याय दिलाया बल्कि वर्दी में कानून से खिलवाड़ करने वालों को भी आड़े हाथों लियाl
जिसकी उम्मीद वर्तमान में जजों से कम ही रहती है, लेकिन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा की न्यायप्रियता और वकील संदीप मिश्रा की ईमानदार, शानदार और जानदार वकालत के चलते शिकायतकर्ता को देर से ही सही पर न्याय मिला।
इस फैसले ने उन गरीब कुचले हुए लाखों-करोड़ों लोगों के लिए मिसाल पेश की, जो लोग न्याय की उम्मीद लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाते है l
इस फैसले ने समाज में एक बार फिर से न्याय को ज़िंदा रखा और उस उम्मीद को ज़िंदा रखा है जो कहती है कि कानून के हाथ लंबे होते है और एक न एक दिन अपराधी के गिरेबां तक जरुर पहुंचते है।
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किसी इंसान के संघर्ष में उसकी संपत्ति चली जाएँ, तो फिर भी वापस अर्जित की जा सकती है,
लेकिन न्याय के लिए लड़ते-लड़ते पैसों के साथ-साथ, उसकी उम्र, स्वास्थ्य और उसे पैदा करने वाली माँ भी चली जाएं, तो यह एक अपूर्णय क्षति है,जिसका हर्जाना कोई नहीं दिला सकता।
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पर ऐसे फैसलों से घाव पर मरहम लगाया जा सकता है l
उत्तर प्रदेश के एक SI के बेटे ने सुनीता के साथ 2020 में ठगी की, जिसका नतीजा रातों-रात सुनीता का जीवन 360 डिग्री घूम गया, और सुनीता अर्श से फर्श पर आ गई l
सुनीता ने दिल्ली के एक पुलिस स्टेशन में कंप्लेंट की FIR हुई, पर उस FIR पर कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआl
रोज सुबह उठ कर लगातार तीन साल तक कई बार पुलिस स्टेशन का चक्कर काटने के बावजूद उसे कुछ नहीं मिला l
पुलिस ने उस FIR पर कार्रवाई करने की जरुरत ही नहीं समझी और आरोपी को खुले हाथों से समर्थन किया l
पुलिस ने अपनी चार्ज शीट में इस केस का रुख ही मोड़ दिया l
फरियादी सुनीता को न सिर्फ परेशान किया बल्कि एकतरफा जांच करते हुए आरोपी की सभी बातों पर विश्वास कर इस केस को कोर्ट में खारिज करने के लिए रख दिया l
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सुनीता को जब घर पर कोर्ट से समन आया तो उसके पैरों तले जमीन ही खिसक गयी l न्याय की सारी आस ही खत्म हो गयी l
टूटी सुनीता जब जज के पास पहली हियरिंग में हाजिर हुई तो जज ने उसे सुना और उसे DLSA से फ्री में वकील दिलवाया l
DLSA के वकील संदीप मिश्रा जो बेहद ही ‘मिलनसार’ और अपने काम के प्रति ‘ईमानदार’ व ‘ऊर्जावान’ रहते है,
उन्होंने सुनीता की आपबीती सुनी और न सिर्फ उसे हौंसला दिया बल्कि उसे न्याय की उम्मीद भी दिलाईl
लगातार 16 से 18 महीनो के अथक परिश्रम (सुनीता+ADV संदीप मिश्रा) के बाद जज राघव शर्मा ने जो फैसला दिया वह काबिले तारीफ़ है l
उन्होंने पीड़िता सुनीता की सभी बातें सुनी, वही वकील संदीप मिश्रा ने न्याय के लिए क़ानूनी तरकश से वह ब्रह्मास्त्र निकाले जिससे अपराधी का अपराध जज के सामने आ गया l
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जज राघव शर्मा ने अपने फैसले में अपराधी के साथ-साथ कानून के कथित रखवाले उन पुलिस वालों के खिलाफ भी फैसला दियाl
उन्होंने DCP को उन पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया, जिन्होंने सुनीता की कोई फ़रियाद को सूना ही नहीं l
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यह फैसला उन लोगों के लिए एक मिसाल बन गया जिसकी सुनवाई पुलिस स्टेशन से नहीं हुई,
यह उन गरीब दबे कुचले लोगों के लिए नईं आशा की किरण लेकर आया l
हम अपने अगले लेख में इस केस से जुड़े सभी पहलुओं को रखेंगे l आप अपनी महत्वपूर्ण “राय/सलाह” हमें कमेंट्स बॉक्स में जरुर दें l
और साथ ही साथ यदि आप को किसी भी क़ानूनी सलाह की जरूरत हो तो हमें ईमेल जरुर करेंl