breaking_newsHome sliderदेशदेश की अन्य ताजा खबरें

अपने बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल और खर्चा न करने पर अब भुगतेंगे 6 महीने जेल की सजा,बहू-दामाद,पोते-पोतियों,नाते-नातियों की भी होगी जिम्मेदारी

नई दिल्ली, 22 मई: कहते है कि एक मां-बाप मिलकर 100 बच्चों को पाल सकते है लेकिन 100 बच्चे भी मिलकर एक मां-बाप को नहीं पाल सकते। आज के जमाने में यह सिर्फ कहावत नहीं रह गई है बल्कि एक दर्दनाक सच बनकर सामने आ चुकी है।

बहुत से घरों में बूढ़े मां-बाप की जिम्मेदारी बेटे-बेटियां, दामाद और बहूएं नहीं उठाते। बुढ़ापे में उनकी मानसिक और शारीरिक जरूरतों पर खर्च करना वेस्ट ऑफ मनी समझा जाता है और कहा जाता है कि हमारा अपना भी परिवार और खर्चें है। हम इनका खर्चा नहीं उठा सकते।

ऐसे केसेज में ज्यादातर मां-बाप को या तो वृद्धा आश्रम छोड़ दिया जाता है या फिर घर के ही एक कोने में भूखा-प्यासा डाल दिया जाता  है। जो बच्चे अपने मां-बाप के साथ ये सलूक करते है उन्हें सबक सिखाने के लिए सामाजिक न्याय एंव सशक्तिकरण मंत्रालय ने एक बिल का मसौदा तैयार किया है।

जैसे ही इसे मंजूरी मिल जाएगी ये 2007 के कानून की जगह ले लेगा। अक्सर बेटे,बेटियां शादीशुदा होने के बाद अपने बूढ़े मां-बाप को एक-दूसरे की जिम्मेदारी बताते हुए उनकी देखभाल और खर्चे-पानी से पल्ला झाड़ लेते है लेकिन अब आप ऐसा नहीं कर सकेंगे।

इस नए बिल के अनुसार, बूढ़े मां-बाप की देखभाल के लिए बच्चों की परिभाषा बढ़ाई गई है। अभी तक सगे बेटे-बेटियां और पोते-पोतियों को ही बुजुर्गों की देखभाल के लिए जिम्मेदार माना गया है लेकिन अब नए कानून के तहत गोद लिए बच्चों, सौतेले बच्चों, दामाद-बहू, पोते-पोतियों,नाती-नातियों और ऐसे नाबालिगों को भी बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी उठानी होगी, जिनकी जिम्मेदारी उनके कानूनन अभिभावक लेते है।

इतना ही नहीं, महज 10,000-15,000 रुपये देकर भी आपकी जिम्मेदारी पूरी नहीं होगी। दरअसल, बुजुर्ग पैरेंट्स को केवल 10,000रुपये महीना देने की समय सीमा भी अब खत्म कर दी गई है। आपको अपने बुजुर्ग मां-बाप को अपनी कमाई के अनुसार गुजारा भत्ता देना होगा।

अगर बच्चे ज्यादा कमाते है तो उन्हें मां-बाप को ज्यादा रकम देनी होगी। फिर चाहे बेटे-बेटियां हो दामाद-बहू या फिर नाती-नवासे और पोते पोतियां या फिर गोद लिए बच्चे।

पिछले कुछ वर्षों में बुजुर्गों के प्रति लापरवाही के केसेज में ज्यादा इज़ाफा हुआ है। हमारे समाज में अक्सर बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल और उनका खर्चा-पानी देने की जिम्मेदारी केवल सगे बेटे और बेटियों की मानी जाती है।

इनमें भी शादीशुदा बेटियां और शादीशुदा बेटा और बहू अपनी जिम्मेदारी से बड़ी ही चालाकी से बच निकलते है लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। अगर आपने अपने बूढ़े मां-बाप को मानसिक, शारीरिक यातना दी, उनकी उपेक्षा की और उनके खर्चे-पानी के लिए अपनी कमाई से बेहद कम पैसा दिया या फिर दिया ही नहीं तो अब  आपको 6 महीने जेल की सजा भुगतनी पड़ेगी। 

गौरतलब है कि अभी तक मां-बाप के साथ बदसूलूकी करने, खर्चा न देने पर केवल 3 महीने जेल की सजा का प्रावधान है। जिसे अब सरकार ने बदलने के लिए बिल तैयार कर लिया है।

इस कानून के अमलीजामे से न केवल बूढ़े मां-बाप के प्रति लापरवाह बच्चों को सबक मिलेगा बल्कि जिस घर में ढ़ेर सारे बेटे-बेटियां, बहू और दामाद है और केवल कुंवारे बेटे और बेटियों के ऊपर जिम्मेदारी डालकर शादीशुदा बच्चें ऐश मार रहे है उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

Show More

Dharmesh Jain

धर्मेश जैन www.samaydhara.com के को-फाउंडर और बिजनेस हेड है। लेखन के प्रति गहन जुनून के चलते उन्होंने समयधारा की नींव रखने में सहायक भूमिका अदा की है। एक और बिजनेसमैन और दूसरी ओर लेखक व कवि का अदम्य मिश्रण धर्मेश जैन के व्यक्तित्व की पहचान है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button