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नई दिल्ली (समयधारा) : नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है l
कहते है की अगर आपको सर्व सिद्धि पानी है तो माँ को नवरात्रि के नौवें दिन प्रसन्न कर लो l बस आपके वारे-न्यारेl
इस नवरात्र में हमने माँ के हर रूप (नौ रूप) के बारे में हमने आपको जानकारी दी l
उनका महत्व उनकी पूजा अर्चन किस तरह से की जाती है हमने आपको बताया l
अब आज माँ दुर्गा के नौवें रूप के बार में हम बता रहे है l
समयधारा की यही कामना है की माँ आप सब के दुःख हर ले और आपको सुख-समृद्धि प्रदान करें l
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सिद्धिदात्री (माँ का ज्ञानी रूप )
माँ का नौवा रूप है ” सिद्धिदात्री ” ,आठ सिद्धिः है ,जो है अनिमा ,महिमा ,गरिमा ,लघिमा,
प्राप्ति ,प्राकाम्य ,लिषित्वा और वशित्व। माँ शक्ति यह सभी सिद्धिः देती है।

उनके पास कई अदबुध शक्तिया है ,यह कहा जाता है “देवीपुराण” में भगवान शिव को
यह सब सिद्धिः मिली है महाशक्ति की पूजा करने से।
उनकी कृतज्ञता के साथ शिव का आधा शरीर देवी का बन गया था
और वह ” अर्धनारीश्वर ” के नाम से प्रसिद्ध हो गए। माँ सिद्धिदात्री की सवारी शेर है ,
उनके चार हाथ है और वह प्रसन्न लगती है।
दुर्गा का यह रूप सबसे अच्छा धार्मिक संपत्ति प्राप्त करने के लिए सभी देवताओं ,
ऋषियों मुनीस , सिद्ध , योगियों , संतों और श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा जाता है।
माँ का मंत्र
स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
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