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वाशिंगटन, 4 मार्च : खगोल वैज्ञानिकों ने सौरमंडल के बाहर करीब 700 प्रकाशवर्ष दूर शनि ग्रह के आकार के एक ग्रह के बारे में पता लगाया है जिस पर पानी होने के संकेत मिले हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, नासा ने गुरुवार को कहा कि इस ग्रह को डल्यूएएसपी-39बी नाम दिया गया है। इस पर शनिग्रह की तुलना में तीन गुना ज्यादा पानी है।
खोजकर्ताओं ने कहा कि यह सौरमंडल के ग्रहों के जैसा नहीं है, लेकिन डल्यूएएसपी-39बी से यह जानने को मिल सकता है कि किसी तारे के इर्द-गिर्द ग्रह कैसे बनते हैं।
कन्याराशि (वर्गो) के तारामंडल स्थित डल्यूएएसपी-39बी सूर्य की तरह के स्थिर तारे का चार दिन में एक चक्कर लगाता है। इस तारे का नाम डल्यूएएसपी-39 है।
सौरमंडल से बाहर का यह ग्रह अपने तारे से काफी निकट है, जोकि पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का महज 20वां हिस्सा है।
नासा के अंतरिक्ष का अवलोकन करने वाले हब्बल और स्पिट्जर दूरबीन का इस्तेमाल कर खगोल शास्त्रियों ने इस ग्रह की आवोहवा का विश्लेषण किया और उसकी पूरी तस्वीर ग्रहण की।
मैरीलैंड के वाल्टीमोर स्थित स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट के प्रमुख अन्वेषणकर्ता हना वेकफोर्ड ने कहा, “हमें बाहर निकलकर देखने की जरूरत है जिससे अपने सौरमंडल को समझ सकें।”
सहयोगी अन्वेषणकर्ता डेवन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के डेविट सिंग ने कहा, “डब्ल्यूएएसपी-39बी दर्शाता है कि सौरमंडल के बाहर के ग्रहों में सौरमंडल के ग्रहों से भिन्न संरचना होगी।”
उन्होंने कहा, “आशा है कि इस विविधता से हमें ग्रहों के बनने की विभिन्न विधियों और व उनकी उत्पति के बारे में जानकारी मिल सकती है।”
अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, डब्ल्यूएएसपी-39बी पर दिन के पक्ष का तापमान काफी ज्यादा करीब 776.7 डिग्री सेल्सियस होता है।
–आईएएनएस