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आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट क्यों दिया? राजनीतिक दल सोशल मीडिया पर दें जानकारी: सुप्रीम कोर्ट

क्रिमिनल हिस्ट्री वाले उम्मीदवारों के सभी केसेज की जानकारी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी

नई दिल्ली: Supreme court on criminal history candidates- देश की राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या पर चिंता और सख्ती बरतते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गुरुवार को एक कड़ा फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी राजनीतिक दलों को दिशानिर्देश (Supreme court on criminal history candidates) दिए जाते है कि उन्हें अपने आपराधिक उम्मीदवारों के सभी केसेज की जानकारी अपनी खुद की वेबसाइट और सोशल मीडिया पर अपलोड करनी (Political parties publish details on social media)होंगी

और साथ ही यह भी बताना होगा कि आखिर किस कारण पार्टी ने किसी बेदाग प्रत्याशी को टिकट न देकर आपराधिक पृष्ठभूमि (criminal background) वाले व्यक्ति को टिकट दिया है?

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आर एफ़ नरीमन और जस्टिस एस रविन्द्रभट ने गुरुवार को चुनाव आयोग  (election commission) और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया है और सभी राजनीतिक पार्टियों को दिशा-निर्देश जारी किए (Supreme court on criminal history candidates) है।

Supreme court on criminal history candidates:

सुप्रीम कोर्ट ने न केवल राजनीतिक पार्टियों (Political parties) को कहा है कि उन्हें क्रिमिनल हिस्ट्री वाले उम्मीदवारों के सभी केसेज की जानकारी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी

बल्कि उम्मीदवारों के अपराधिक रिकॉर्ड (criminal history) के बारे में अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स मसलन- फेसबुक, ट्विटर पर भी बताना होगा।

साथ ही राजनीतिक दलों को यह सारी जानकारी एक स्थानीय और राष्ट्रीय अखबार में भी देनी होगी और साथ ही यह भी बताना होगा कि पार्टी ने आखिर एक क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवार को टिकट क्यों दिया? बेदाग प्रत्याशी को क्यों नहीं दिया?

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है कि राजनीतिक पार्टियों को ऐसे उम्मीदवारों को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को उनके आपराधिक बैकग्राउंड के बारे में सारी रिपोर्ट देनी होगी और साथ ही इसकी जानकारी चुनावी हलफनामे में साझा करनी होगी।

अगर राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट के इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करते या व्यवस्था का पालन करने में असफल रहते है तो चुनाव आयोग इस पर कार्रवाई करते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाए।

उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश उस याचिका पर सुनाया है जिसमें राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण का मुद्दा उठाया गया था

और कहा गया था कि सितंबर 2018 में आए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है जिसके तहत राजनीतिक दलों से अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करने को कहा गया था।

तब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार और उनकी राजनीतिक पार्टियां आपराधिक केसों की जानकारी वेबसाइट पर जारी करेंगी और नामांकन दाखिल करने के बाद कम से कम तीन बार इसके संबंध में जानकारी अखबार और टीवी चैनलों पर देनी होगी लेकिन इस संबंध में कोई भी कदम नहीं उठाया गया।

गौरतलब है कि जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने इसे राष्ट्रहित का मामला बताते 31 जनवरी को याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पीठ ने कहा था कि इस समस्या को रोकने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे।

पीठ ने चुनाव आयोग और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को एक सप्ताह के भीतर के सामूहिक प्रस्ताव देने के निर्देश दिए थे।

 अब इस संबंध में सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ अवमानना याचिका भी दाखिल की गईं थी।

चुनाव आयोग की ओर से वकील विकास सिंह ने पीठ को बताया था कि अदालती आदेश का कोई असर नहीं हुआ है क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले 43 फीसदी नेता आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।

इसलिए बेहतर तरीका ये है कि राजनीतिक दलों को ही कहा जाए कि वो ऐसे उम्मीदवारों को ना चुनें। इन दलीलों को सुनने के बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को लेकर नए सिरे से पुन: राजनीतिक दलों को दिशा-निर्देश जारी (Supreme court on criminal history candidates) किए है।

 

 

(इनपुट एजेंसी से भी)

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Sonal

सोनल कोठारी एक उभरती हुई जुझारू लेखिका है l विभिन्न विषयों पर अपनी कलम की लेखनी से पाठकों को सटीक जानकारी देना उनका उद्देश्य है l समयधारा के साथ सोनल कोठारी ने अपना लेखन सफ़र शुरू किया है l विभिन्न मीडिया हाउस के साथ सोनल कोठारी का वर्क एक्सपीरियंस 5 साल से ज्यादा का है l

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