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बहुत हुई महंगाई की मार! पेट्रोल-डीजल-सिलेंडर-तेल के बाद,अब आटे के दाम में भी 13 फीसदी का भार

अब खुदरा बाजार में आटे की अधिकतम कीमत 59 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है।

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नई दिल्ली:वर्ष 2014  में महंगाई के मुद्दे पर सत्ता पर काबिज हुई मोदी सरकार के राज में देश में महंगाई आएं दिन रिकॉर्ड तोड़ रही है।

पेट्रोल-डीजल,रसोई गैस सिलेंडर,दूध,नींबू और तेल के बढ़े दामों के बाद अब गेहूं के आटे की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो गई(inflation-at-high-after-petrol-diesel-LPG-Cylinder-edible-oil-wheat-flour-price-hike-also)है।

आम आदमी के लिए अब दो जून की रोटी खाना भी मुश्किल हो गया है।घटती सैलरी,बढ़ती महंगाई और ईएमआई(EMI)के बीच रसोई का बजट दिन-प्रतिदन बुरी तरह चरमरा गया है। 

बीते साल की तुलना में आम आदमी का निवाला यानि आटे के दामों में तकरीबन 13 फीसदी की वृद्धि हो गई (inflation-at-high-after-petrol-diesel-LPG-Cylinder-edible-oil-wheat-flour-price-hike-also)है।

जिसके चलते सरकार ने फ्री राशन योजना में भी आटा कम करके उसकी जगह चावल की बढ़ोतरी की है।

आटे की बढ़ी कीमतों के कारण अब जल्द ही पैकेट वाले आटे की कीमत भी बढ़ने वाली है।

आपको बता दें कि अब खुदरा बाजार में आटे की अधिकतम कीमत 59 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई(Wheat-flour-Max-rate-Rs59-per-kg) है।

खुदरा बाजारों में गेहूं के आटे की औसत कीमत सोमवार को 32.91 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 13 प्रतिशत अधिक है। सरकारी आंकड़ों में यह बताया गया है।

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8 मई, 2021 को गेहूं के आटे(Wheat flour)का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 29.14 रुपये प्रति किलोग्राम था।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि सोमवार को आटे की अधिकतम कीमत 59 रुपये प्रति किलो, न्यूनतम कीमत 22 रुपये प्रति किलो और मानक कीमत 28 रुपये प्रति किलो थी।
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आठ मई, 2021 को अधिकतम कीमत 52 रुपये प्रति किलो, न्यूनतम कीमत 21 रुपये प्रति किलो और मानक कीमत 24 रुपये प्रति किलो थी।
सोमवार को मुंबई में आटे की कीमत 49 रुपये किलो, चेन्नई में 34 रुपये किलो, कोलकाता में 29 रुपये किलो और दिल्ली में 27 रुपये किलो थी।
मंत्रालय 22 आवश्यक वस्तुओं – चावल, गेहूं, आटा, चना दाल, अरहर (अरहर) दाल, उड़द दाल, मूंग दाल, मसूर दाल, चीनी, गुड़, मूंगफली तेल, सरसों का तेल, वनस्पति, सूरजमुखी तेल, सोया तेल, पाम तेल, चाय, दूध, आलू, प्याज, टमाटर और नमक की कीमतों की निगरानी करता है।
इन वस्तुओं की कीमतों के आंकड़े देशभर में फैले 167 बाजार केंद्रों से एकत्र किए जाते हैं।
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इस बीच, गर्मियां जल्दी आने से फसल उत्पादकता प्रभावित होने के कारण सरकार ने जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2021-22 में गेहूं उत्पादन के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से घटाकर 10.5 करोड़ टन कर दिया है, जो पहले 11 करोड़ 13.2 लाख टन था।

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फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में भारत में गेहूं उत्पादन 10 करोड़ 95.9 लाख टन रहा था।

खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने पिछले सप्ताह कहा था कि उच्च निर्यात और उत्पादन में संभावित गिरावट के बीच चालू रबी विपणन वर्ष में केंद्र की गेहूं खरीद आधे से कम रहकर 1.95 करोड़ टन रहने की संभावना है।

इससे पहले, सरकार ने विपणन वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं खरीद लक्ष्य 4.44 करोड़ टन निर्धारित किया था, जबकि पिछले विपणन वर्ष में यह लक्ष्य 43 करोड़ 34.4 लाख टन था।

रबी विपणन सत्र अप्रैल से मार्च तक चलता है लेकिन थोक खरीद जून तक समाप्त हो जाती है।

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हालांकि, सचिव ने कहा था कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए कोई चिंता नहीं होगी।

उन्होंने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने की संभावना से भी इनकार किया था क्योंकि किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक कीमत मिल रही है।

वित्त वर्ष 2021-22 में गेहूं का निर्यात रिकॉर्ड 70 लाख टन रहा था।

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Varsa

वर्षा कोठारी एक उभरती लेखिका है। पत्रकारिता जगत में कई ब्रैंड्स के साथ बतौर फ्रीलांसर काम किया है। अपने लेखन में रूचि के चलते समयधारा के साथ जुड़ी हुई है। वर्षा मुख्य रूप से मनोरंजन, हेल्थ और जरा हटके से संबंधित लेख लिखती है लेकिन साथ-साथ लेखन में प्रयोगात्मक चुनौतियां का सामना करने के लिए भी तत्पर रहती है।

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