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🏫 Delhi DPS Dwarka विवाद: फीस नहीं देने पर 34 बच्चों को निकाला, स्कूल गेट पर बाउंसर तैनात!
📌 क्या है DPS द्वारका का मामला?
दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS), द्वारका एक बार फिर विवादों में है। स्कूल ने फीस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे 34 छात्रों को जबरन निष्कासित कर दिया। इन छात्रों को स्कूल में प्रवेश तक नहीं करने दिया गया और गेट पर बाउंसर तैनात कर दिए गए।
🚫 फीस न भरने पर बच्चों की एंट्री रोक दी गई
पिछले शुक्रवार को स्कूल गेट पर 4 पुरुष और 2 महिला बाउंसर खड़े थे। जिन छात्रों ने बढ़ी हुई फीस नहीं भरी, उन्हें गेट पर रोक लिया गया और बिना कोई वजह बताए वापस भेज दिया गया। स्कूल के इस कदम से बच्चों और अभिभावकों में भारी नाराजगी है।
📷 DPS स्कूल से वायरल हुए वीडियो और तस्वीरें
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों और वीडियो में साफ दिख रहा है कि स्कूल ने फीस बढ़ोतरी के विरोध को दबाने के लिए बाउंसर बुलवाए हैं। ये कदम न सिर्फ शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि छात्रों पर मानसिक दबाव बनाने जैसा भी है।
🏛️ शिक्षा निदेशालय का हस्तक्षेप: छात्रों को वापस लो
बवाल बढ़ता देख दिल्ली शिक्षा निदेशालय (DoE) ने स्कूल को फटकार लगाई और स्पष्ट निर्देश दिए कि 34 छात्रों को तुरंत स्कूल में वापस लिया जाए। विभाग ने कहा कि स्कूल का यह कदम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है।
❝ किसी भी छात्र को फीस न देने की स्थिति में स्कूल से निकाला नहीं जा सकता, ❞
— शिक्षा विभाग
⚖️ दिल्ली हाईकोर्ट की चेतावनी: बच्चों को मानसिक प्रताड़ना न दें
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही आदेश दे चुकी है कि फीस नहीं भरने पर छात्रों के खिलाफ कोई जबरन कार्रवाई न की जाए। कोर्ट ने DPS द्वारका के रवैये को ‘चिंताजनक’ करार दिया और स्कूल पर मुनाफाखोरी का आरोप भी लगाया।
🚨 स्कूल की अवहेलना और बाउंसर तैनाती पर सवाल
शिक्षा विभाग की ओर से उप निदेशक सुशिता बीजू ने लिखित आदेश जारी किया जिसमें कहा गया:
“स्कूल प्रबंधन द्वारा निष्कासित सभी छात्रों को तत्काल प्रभाव से स्कूल लिस्ट में वापस शामिल किया जाए।”
इसके बावजूद, स्कूल प्रशासन ने अभिभावकों की शिकायतों को नजरअंदाज किया और बाउंसर तैनात रखने का फैसला जारी रखा।
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😡 अभिभावकों की नाराजगी: ‘बच्चों को डराया जा रहा है’
निष्कासित छात्रों के अभिभावकों में गुस्सा है। एक अभिभावक विनय राजपूत ने कहा:
“मेरी बेटी को गेट पर पुरुष बाउंसर ने रोका। यह पूरी तरह से बच्चों को डराने और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने जैसा है।”
छोटे बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार शिक्षा की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।
📢 सरकार और शिक्षा विभाग से सख्त कदम की मांग
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर भारत में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को उजागर किया है। लोग मांग कर रहे हैं कि दिल्ली सरकार और शिक्षा विभाग इसपर कठोर कदम उठाएं और स्कूल को जवाबदेह ठहराएं।
✅ निष्कर्ष: शिक्षा व्यापार नहीं, अधिकार है
DPS द्वारका जैसे प्रतिष्ठित स्कूलों से ये उम्मीद नहीं की जाती कि वे बच्चों की शिक्षा को फीस के नाम पर बाधित करें। कोर्ट और शिक्षा निदेशालय का निर्देश स्पष्ट है — बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
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