संपादक की नजर से अन्ना का अनशन, कौन हो रहा हैं इस्तेमाल…?
अन्ना हजारे के लोकपाल अनशन से फिर किसका भला...? क्या फिर होगा 'आप' का इस्तेमाल
मुंबई, 4 फरवरी : पूरा देश देख रहा है और जान रहा है,फिर एक बार अन्ना हजारे अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे है l
मांग वही 5 साल पुरानी लोकपाल l पर इस बार वह आंदोलन दिल्ली के रामलीला मैदान के बजाय अपने गांव महाराष्ट्र में कर रहे है l
चलो कोई तो है जो देश और देशवासियों के लिए सोच रहा है ..? सच ऐसा ही है ..?
या एक बार फिर कोई आप जैसी पार्टी बनाकर अन्ना को और हमें धोखा देने की तैयारी में है ..?
सवाल बहुत ही बड़ा और उलझन से भरा है l क्या हुआ था पिछले आंदोलन-अनशन का..? बड़े-बड़े वादें..!
पक्ष-विपक्ष सबने अन्ना के आंदोलन-अनशन को अपना हथियार बनाया l
बीजेपी ने केंद्र में सत्ता में आने के लिए, तो रामदेव ने अपना साम्राज्य खड़ा करने में l
वही जिसे सबसे बड़ा फायदा मिला वो है अपने केजरीवाल,जो जीरो से सीधे हीरो बन गए l दिल्ली में आज वो सत्ता में है l
अन्ना हजारे को क्या मिला ..? और अब एक बार फिर वह अनशन करके क्या हासिल करना चाहते है..?
लोकपाल लागू करने के लिए अनशन …..l या तो मैं सबसे बड़ा मूर्ख हूँ..? या फिर अन्ना हजारे…?
सभी देशवासी जानते है कि बीजेपी सरकार अभी सिर्फ दो महीने ही सत्ता में रहने वाली है l
फिर लोकसभा चुनाव…l वह इस स्थिति में नहीं है कि आज के आज लोकपाल लागू करें l तो यह अनशन किसलिए..?
क्या अन्ना हजारे जैसे बड़े बुद्धिमान व्यक्ति यह बात नहीं जानते…? या फिर आपको या हमें मूर्ख बनाकर रखा है l
भाई देश का बच्चा-बच्चा जनता है कि चुनावी वादे सिर्फ वादे होते है कोई विरला ही उनपर अमल करता है l
तो अन्ना हजारे आखिर यह अनशन किसके इशारों पर कर रहे है..? इस अनशन से किसे फायदा होगा ..?
खुद अन्ना ने कहा कि बीजेपी और आप ने उनका इस्तेमाल किया l तो कौन गारंटी देगा की अन्ना हजारे को फिर धोखा न मिलें..?
अन्ना हजारे जैसे व्यक्ति से कम से कम मैं तो यह उम्मीद नहीं कर सकता l आज इस अनशन से मुझे काफी दुःख पहुंचा है l
कभी मैंने सोचा ही नहीं था कि अन्ना हजारे जैसे व्यक्ति चार साल बाद जागेंगे, वो भी कब..? जब इलेक्शन सिर पर हो तब ..?
या फिर अन्ना कुछ और ही खिचड़ी पका रहे है l भ्रष्टाचार-राजनीति दोनों एक दूसरे के पूरक बन गए है l
इसे मिटाने के लिए सच में एक बड़े क्रांतिकारी आंदोलन की जरुरत है l
हर आंदोलन को एक नेतृत्व-एक नेता की जरुरत होती है l नेता वो जिसपर लोग आँख बंद करके विश्वास करें l जिसकी बातों पर लोग चल पढ़े l
ऐसा नेता जिसके मकसद पर किसी को संदेह न हो l विरोधी भी उसकी सराहना करें l
अन्ना ने वह विश्वास देशवासियों में जगाया था l मैं खुद उनका मुरीद था l
पर आज उनपर, उनकी विचारधारा व उनकी नियत पर मुझे शक है l
मैं नहीं जनता कि आप लोग मेरी बातों से कितने सहमत है और कितने नहीं l
पर मैं सही हूँ …. ऐसा मुझे लगता है l मैं क्रांति पर विश्वास रखता हूँ …इसका समर्थक भी हूँ ….l
किंतु अन्ना पर अब मुझे वो भरोसा नहीं रहा l कहते है न दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीता है और मैं(आम आदमी) तो कई सालों से जल रहा हूँ ..!
मेरा इस्तेमाल सबने किया पर, अब एक बार फिर मैं इस्तेमाल होना नहीं चाहता l
अपने दिल से मैं देश के लिए कुछ करना चाहता हूँ l अगर मैं देश के लिए कुछ अच्छा न कर सकूँ तो देश के लिए बुरा करने का मुझे कोई हक़ नहीं l
अन्ना हजारे एक आप्शन थे..l पर अब नहीं l
किसी का भरोसा जीतना बहुत ही मुश्किल काम होता है और उससे भी मुश्किल काम होता है उस भरोसे को बनाए रखना ,
क्योंकि भरोसा तोड़ने के लिए बस चंद लम्हें ही काफी होते है l
यह लेख मैं किसी भी पार्टी या दल के सपोर्ट में नहीं लिख रहा हूँ l
यह मेरे दिल की आवाज है …! मेरा दिल कहता है कि देश के लिए एक नए नेता कि तलाश हो …
वह जो फिर बड़ी क्रांति लाये और फिर मेरे देश को सोने की चिड़िया बनायें …l
इन्तजार है उसका ……
“उठ खड़ा हूँ एक बार फिर मैं देश के लिए
भ्रष्टाचार मुक्त बनाने अपने वतन के लिए
भटकाने तो कई चेहरे मुझे लाखों मिलें
पर मेरी शख्सियत के आगे वो जा डरे
यह मत सोचना की फौलादा सा शरीर है मेरा
पर मेरे अटल इरादों को वो हिला न सकें
कहीं भटक न जाऊं मैं भी उन राहों में कहीं
मेरे रास्तों पर मेरे संग आ कर जला दो दिये ….
साथ थोड़ा सा चाहता हूँ मेरे दोस्तों का कि
फिर सोने कि चिड़ियां जैसा मेरा वतन बन पड़ें…
भ्रष्टाचार मुक्त सपना देखा था मैंने कभी
वह सपना, संग आपके-साकार हो चलें” ….