Samaydhara-6th-Anniversary-Happy-Birthday-Samaydhara
नयी दिल्ली (समयधारा) : क्रिकेट की पीच पर जब कोई छक्का लगाता है तो सभी क्रिकेटप्रेमी झूम उठते है l
ठीक उसी तरह समयधारा(Samaydhara)के लिए भी आज का दिन झूम उठने का हैl
जिस तरह कोई क्रिकेटर छक्का लगाता है, ठीक उसी तरह समयधारा ने भी सटीक ख़बरों को आप तक पहुँचाते हुए छक्का लगाया है l
इसका मतलब यह है कि समयधारा डॉट कॉम(www.samaydhara.com)ने आज यानी 10 अक्टूबर 2022 को छह साल का सफ़र खत्म कर लिया(Samaydhara-6th-Anniversary)है और अब वह अपने सातवें साल के सफ़र का आगाज़ कर रही है l
समय कब निकल जाता है पता ही नहीं चलता। छह साल का समयधारा का सफ़र काफी ही सुनहरा और उतार-चढ़ाव भरा रहा l
समयधारा की संस्थापिका/डायरेक्टर/एडिटर इन चीफ यानि इसकी सर्वेसर्वा इसकी जान रीना आर्य(Reena Arya) ने इसके वजूद को, इसकी पहचान को बनाये रखने के लिए कितनी मुश्किलों का सामना किया वो शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता l
मुश्किलें सिर्फ वह नहीं होती जो सबको नजर आती है, मुश्किलें वह भी होती है जो नजर नहीं आती l
समयधारा को भी अपनी पहचान बरकरार रखने के लिए बहुत ही बड़ी-बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा l
कभी अपनों ने धोखा दिया, तो कभी हालातों ने l कभी किसी ने साथ छोड़ दिया, तो कभी किसी ने समयधारा के वजूद को ही ख़त्म करने की ठान ली l
लेकिन रीना आर्य ने सभी मुसीबतों का अकेले ही सामना किया और समयधारा की पहचान को मिटने नहीं दिया l
जिंदगी कई कड़वे सच दिखाती है समयधारा को भी कई कड़वे घूंट पीने पड़े l सच्चाई की राह में कई सारी बाधाएं आई पर रीना जी न थकी न रुकी l
Happy 5th Anniversary of Samaydhara:समयधारा.कॉम की 5वीं वर्षगांठ की शुभकामनाएं
आज से करीब नौ साल पहले (वर्ष 2013) में रीना आर्य जी ने समयधारा की नींव रखी और फिर उसे एक डिजिटल न्यूज पोर्टल का जीवंत रुप 10 अक्टूबर 2016 को(Happy-Birthday-Samaydhara)दिया।
10 अक्टूबर 2016 को रीना मैडम ने नई दिल्ली से समयधारा.कॉम के रूप में सटीक ख़बरों की जो एक मशाल जलाई,
वह मशाल आज भी ज्वलंत है और सटीक ख़बरों की तेज से पूरे देश और विदेश को भी रोशन कर रही है l उस मशाल की ख़बरों की रोशनी से पूरा समाज रोशन हो रहा है l
रीना आर्य ने समयधारा की नींव को मजबूत करने के लिए कई आर्टिकलों को लिखा उसे आपके सामने रखा l
अन्य लेखकों की लेखनी को समयधारा से पहचान दिलाई l मेरे जैसे कई अनजान व्यक्ति को एक नई पहचान दिलाई l
रीना जी को कई लोगों ने समयधारा बंद करके अन्य बड़े,नामचीन ब्रैंड्स में काम करने की बिन मांगी सलाह भी डे डाली।
लेकिन कहते है न,ईश्वर सबसे ज्यादा मुश्किलें उसी किरदार के सामने रखता है,जिसे उसे निखारना और संवारना होता है।
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रीना जी आलोचकों की तमाम उलाहानाओं, उनके कटाक्षों को सकारात्मक तरीके से लेती गई और हर तरह की परेशानियों को झेलने के बावजूद समयधारा के वजूद को बनायें रखा l
एक लेखिका के लिए, एक एंकर के लिए, एक ऐसी मध्यमवर्गीय परिवार से आई लड़की…
जिसने कभी जिंदगी में व्यवसाय नहीं किया, उस लड़की के लिए समयधारा की स्थापना करके, उसे चलाना किसी भी तरह से आसान नहीं था l
विशेष रूप से जब उनके बिजनेस में इन्वेस्ट करने के लिए कोई उनके साथ नहीं था।
डिजिटल वर्ल्ड में प्रतियोगिता व अपने प्रतिद्वंदियों से लड़ना और समयधारा के वजूद को बनायें रखना खाने का काम नहीं है l
सच में इन्होंने इन 6 सालों में समयधारा(Samaydhara 6th anniversary)के लिए जो किया, वह एक मिसाल के काबिल है l
आज मैं यह कहते हुए फक्र महसूस करता हूँ कि मेरी पहचान समयधारा से है। लोग मुझे समयधारा की वजह से जानते है l
जब मैं समयधारा से जुड़ा था तो मुझे यकीन तो था कि यहाँ मेरी एक अलग पहचान बनेगी, पर मुझे इतनी शोहरत और नाम मिलेगा, एक अलग पहचान मिलेगी यह पता नहीं था l
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समयधारा.कॉम का मकसद है-बिना किसी लाग-लपेट के,भेदभाव रहित होकर, सटीक ख़बरें/लेटेस्ट ख़बरें/ब्रेकिंग न्यूज़/ओपिनियन सहित देश-विदेश व समाज की, खासकर भारतीय समाज की हर सच्चाई को निडरता से आपके सामने रखना l
इन छह वर्षों में हमारे परिवार से कई लोग जुड़ें, कई हमारे साथ आज भी है, तो कई ऊँचाइयों की नई बुलंदियों को छूकर खुद का और हमारा नाम भी रोशन कर रहे है l
पर इन सब के बीच जो पाठक….नियमित रूप से हमारे साथ रहे, उनका योगदान समयधारा(Samaydhara) के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं हैl
चलियें समयधारा के छह साल के सफ़रनामें पर चलते है और बताते है की समयधारा कैसे अपने छह साल को सेलिब्रेट कर रहा है l
10 अक्टूबर 2016 को समयधारा(Samaydhara.com Foundation Day 10 Oct 2016) का जब सफ़र शुरू हुआ तो कई सारी अनजान मुसीबतें हमारे सामने थी l
मैं यानी धर्मेश जैन और रीना आर्य मैडम ने एक छोटे से ऑफिस से समयधारा डिजिटल न्यूज पोर्टल को शुरू किया l
चंद ही दिनों में करीब पांच से छह लोगों की छोटी, नई पर होनहार टीम ने समयधारा की पहचान बना दी l
मात्र 60 दिनों में हम गूगल(Google)के सर्च इंजन में दिखने लगे l रीना मैडम के अनुभवों की छत्र छाया में समयधारा का भविष्य निखरता गयाl
और जल्द ही समयधारा ने अपनी एक अलग ही पहचान बना ली।
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रीना मैडम के अनुभवों का, उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि समयधारा से जुड़ने के लिए कई बड़े लेखकों का कॉल आने लगा l
कई लोग नामचीन ब्रांड को छोड़ कर समयधारा से जुड़ने के लिए बेताब दिखें l
इन्हीं लोगों का सम्मान करते हुए इनमें से कई लोगों का साथ लेकर समयधारा निरंतर नई ऊँचाइयों को छूने लगी l
देखते ही देखते एक साल… दो साल… तीन साल… छह साल गुजर गएँ, पर समयधारा सटीक ख़बरों का पिटारा न रुकी न थकी l
रीना मैडम अकेले ही ख़बरों की दुनिया में समयधारा के साथ निरंतर आगे बढ़ती रही l
कोरोना का काल हो या फिर किसी प्रतिद्वंद्वी की चाल सबका जवाब रीना मैडम के पास था l
अपनी तमाम जमा पूंजी को लगाना हो या फिर पिछले साल अपनी जान से प्यारी माँ को खोना हो l
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रीना मैडम के लिए तो जैसे मुश्किलों और चुनौतियों का सफर अंतहीन हो गया। समयधारा की पहचान को बरक़रार रखने के लिए रीना जी ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया l
सब्र का फल मीठा होता है और समयधारा से जो फल हमें मिला वह सिर्फ और सिर्फ आप जैसे कई पाठकों का प्यार है और इसी प्यार की मिठास को बरकरार रखने के लिए रीना मैडम ने समयधारा पर अपना सब कुछ लुटा दिया l
समयधारा के इन छह सालों के सफ़र में हमें अपने पाठकों का जो प्यार,दुलार और विश्वास मिला,वह ताउम्र बना रहे।बस यही कामना करते है।
यदि आप भी समयधारा के साथ किसी न किसी रूप में जुड़ना चाहते है तो आपका स्वागत है।
समयधारा के 5 बेमिसाल साल,धन्यवाद अपार, जो आप रहे सदा हमारे साथ
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