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Holi का पर्व असत्य पर सत्य की, अधर्म पर धर्म की तथा नास्तिकता पर आस्तिकता की जीत का प्रतिक

Holi 2020 : जानिये होली के सभी भारतीय रंग, क्यों मनाई जाती है होली, होली का महत्व, सभी कुछ

Holi2020 Special : Know All About Holi Festival

नई दिल्ली,(समयधारा) : Holi 2020 special- फाल्गुन का महीना बेहद मस्ती से भरा होता है।

मौसम ही कुछ ऐसा होता है ना सर्दी न ही गर्मी। प्रकृति भी अपने पूरे खुमार पर होती है पेड़-पौधों पर नई-नई कोमल कोपलें मन को भा जाती हैं।

फूलों से पेड़-पौधे भर जाते हैं।ऐसा लगता है कि पूरी प्रकृति ने नया लिबास पहन लिया है।

इसी महीने आता है रंगों से भरा सबका प्रिय त्यौहार होली (Holi 2020)। बच्चों बड़े-बूढों सभी को रंगीन मिजाज वाला बना जाता है यह त्यौहार।

 बच्चों की वार्षिक परीक्षाओं की समाप्ति के बाद वैसे भी छुट्टी मनाने का जोश जोरों पर होता है।

रंगों के त्यौहार दुल्हेंडी (Holi Dulhendi 2019) से पहले होलिका दहन (Holika Dahan) का पर्व मनाया जाता है।

होली (Holi festival)  का पर्व असत्य पर सत्य की, अधर्म पर धर्म की तथा नास्तिकता पर आस्तिकता की विजय की घोषणा करता है।

हिरण्यकश्यप नामक दैत्य नास्तिकता और अहंकार का प्रतीक था।

Holi2020 Special : Know All About Holi Festival

उसका पुत्र प्रहलाद बेहद आस्तिक व दयावान था हिरण्यकश्यप को यह बात बिल्कुल पसन्द नहीं थी।

उसने हर तरह से अपने पुत्र को मरवाने की कोशिश की। उसने प्रहलाद को हाथी के नीचे कुचलवाया, पहाड़ से लुढ़कवा दिया पर वह नहीं मरा।

फिर उसकी बहन होलिका जिसको वरदान था कि उसको कोई नहीं जला सकता।

उसकी गोद में रख कर उसे जला दिया पर होलिका जल गई लेकिन प्रहलाद बच गया।

उसी दिन से फाल्गुन मास की समाप्ति यानी पूर्णिमा के दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है।

Holi2020 Special : Know All About Holi Festival

सदभावना व एकता का परिचायक है यह त्यौहार। मेरी पृष्ठभूमि गाँव से है। मैनें अपना पूरा बचपन गाँव में बीताया।

वहाँ का होली हुडदंग अविस्मरणीय है। फाग के महीने वहाँ की महिलाओं की स्वाँग रच नाचने-गाने की प्रथा भूलाये नहीं भूली जाती।

होली के दिनों में स्वाँग रच नाच-गाने में पुरूष भी पीछे नहीं हटते। गुलाल,फूलों से व पक्के रंगों से सब लोग खूब होली खेल जश्न मनाते हैं।

मुझे इक बार मथुरा बरसाने की होली खेलने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ है। बचपन की वह होली मैं आज तक नहीं भूल पाई हूँ।

पूरा मथुरा व बृज रंगमय हो जाता है। पूरा देश एक हो इक रंग में रंग जाता है। अपने-अपने तरीके से पूरे देश में होली मनाई जाती है।

कुछ बातें कभी भूली नहीं जाती। एकबार एक होली पर हम कोलकता थे।मेरी माँ उस दिन वुडलैंड नर्सिंग होम में एडमिट थी।

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हमारे होश उड़ गये थे जब डॉक्टर ने कैंसर का डाउट किया, लेकिन जब कैंसर नहीं निकला और उनको छुट्टी मिल गयी। उसके बाद हमने जमकर होली खेली।

मेरे मामाजी के नये मकान की तीनों मंजिलों का सबने होली खेल बुरा हाल कर दिया।

होली के दिनों में मुझे सबसे ज्यादा अपने गाँव की याद आती है। मैं कहीं भी होती बस गाँव पहुंचने की जिद करती।

लेकिन कुछ लोग इस त्यौहार का मजाक बना कर रख देते है कीचड़,गारा,पक्के रंगों व कई ऐसे भद्दे तरीकों से होली खेलते हैं कि कई बार जान पर भी बन आती है।

इससे त्यौहार की गरिमा पर तो बुरा असर होता ही है साथ ही साथ कई बार मनमुटाव भी बढ़ जाते हैं। 

Holi2020 Special : Know All About Holi Festival

कई लोग अश्लीलता पर भी उतर आते हैं। इन सब पर अगर अंकुश नहीं लगा तो इस त्यौहार की महत्ता कम हो जायेगी।

वैसे भी वक्त की कमी से लोग एक-दूसरे से कटकर रहने लगे हैं,

लेकिन जो भी हो यह त्यौहार अपने बचपन के साथियों व दोस्तों की याद दिला ही जाता है। तब मन करता है कि उड़कर उनके पास पहुंच जाये।

Holi2020 Special : Know All About Holi Festival

“काश! मुझे पंख मिल जायें

और मैं उड़ जाऊँ

यह थोड़ा सा गुलाल मैं अपने

दोस्तों को लगा आऊँ।

एक अरसे से जो न मिलने

का मलाल है

व्यस्तता जरूरतों ने कर दिया

जिंदगी का यह हाल है।

आज सारे गिले शिकवे

दूर कर आऊँ

गले से लगा उनको

ख्वाबों को भी तब प्रेम में रंग जाऊँ।“

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Sonal

सोनल कोठारी एक उभरती हुई जुझारू लेखिका है l विभिन्न विषयों पर अपनी कलम की लेखनी से पाठकों को सटीक जानकारी देना उनका उद्देश्य है l समयधारा के साथ सोनल कोठारी ने अपना लेखन सफ़र शुरू किया है l विभिन्न मीडिया हाउस के साथ सोनल कोठारी का वर्क एक्सपीरियंस 5 साल से ज्यादा का है l

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