जैन धर्म के सबसे बड़े दिन “संवत्सरी” पर हर जैनी क्षमा मांग कर कर्मों से होता है मुक्त
जैन धर्म में अहिंसा को सर्वपरी माना गया है, और हिंसा सिर्फ किसी को मारना या शारीरिक रूप से परेशान करना ही नहीं होता, मानसिक रूप से परेशान करना व वाणी द्वारा बोली गयी कड़वी और चुभती बातें भी जैन धर्म में हिंसा मानी गयी हैl
jain dharma paryushan mahaparv samvatsari micchami dukkadam
मुंबई (समयधारा) : जैन धर्म में अहिंसा को सर्वपरी माना गया है l और हिंसा सिर्फ किसी को मारना या शारीरिक रूप से परेशान करना ही नहीं होता l
मानसिक रूप से परेशान करना व वाणी द्वारा बोली गयी कड़वी और चुभती बातें भी जैन धर्म में हिंसा मानी गयी हैl
इसीलिए पर्युषण महापर्व के अंतिम दिन सभी जैन एकत्रित होकर एक जगह पर महाप्रतिकमण(पूजा-अर्चना) करते हैl
इस महाप्रतिकमण के बाद हर जैनी अपने दोस्तों-यारों रिश्तेदारों सभी जानने वालों से क्षमा याचना करते है l
इस दिन को जैन में संवत्सरी का दिन कहा जाता है l यह जैन धर्म में सबसे बड़ा दिन होता है l
जैन धर्म के पर्युषण महापर्व-संवत्सरी के बारें में जाने सब कुछ
जैन धर्म के पर्युषण महापर्व-संवत्सरी के बारें में जाने सब कुछ
हर जैनी इस दिन उपवास रखता है l वह अपने हर कर्मों की भगवान् से व अपने सभी जानने वालों से अपने कर्मों से अगर जाने-अनजाने उन्हें दुःख पहुंचा हो तो उसकी क्षमा याचना करता है l
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क्षमा करना न करना यह एक अलग बात है पर जैनी क्षमा मांगकर अपने कर्मों को कम करने की कोशिश जरुर करता है l
विश्व का एकमात्र धर्म जहाँ आपको अपनी हर ग़लती का चाहे वो जानबूझकर या अनजाने हुई हो उसकी क्षमा मांगने का अवसर मिलता हैl
इससे पहले
इस विश्व में हजारों धर्म है l हर धर्म की अपनी खासियत है l हर धर्म का सारांश विश्व व मानव जाती का कल्याण है l
इन्ही सब धर्मों में हम विश्व के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक जैन धर्म के बारें में हम आज आपको जानकारी देंगे l
जैन धर्म का मूल है अहिंसा l खानपान आचार नियम का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है l
जैनी अहिंसा वादी होते है l वह अहिंसा में विश्वास रखते है l जैनी विश्व के सबसे शांति प्रिय लोग होते है l
कहते है जो अहिंसक है वो शांत स्वभाव का होता है l मन में चाटुकारिता नहीं होती l इसलिए विश्व में जैन सबसे भरोसेमंद कोम मानी जाती है l
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आज जैन धर्म के सबसे बड़े पर्व जिसे जैन धर्म में पर्युषण महापर्व कहा जाता है की शुरुआत हुई है l यह महापर्व 8 दिनों तक चलता है l
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इस महापर्व में जैनी उपवास आदि रखते है l जैन मंदिरों में नित्य जाना भजन-कीर्तन व जैन साधुओं से व्याख्यान(उपदेश) सुनना इसी में मग्न रहते है जैनी l
इस पर्व के समापन यानी 8 वें दिन जैनी एक जगह एकत्रित होकर सामूहिक पूजा जिसे जैन धर्म में संवत्सरी प्रतिकमण करते है l
हर जैन धर्म मानने वालों के लिए यह साल का सबसे बड़ा दिन होता है संवत्सरी प्रतिकमण के बाद जैन लोग एक दूसरें से क्षमा मांगते है l
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साल भर में-पिछले दिनों में जो भी जाने-अनजाने गलती होती है उसकी क्षमा याचना करते है l जिसे वह मिच्छामि दुक्कडम कहते है l
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इसका मतलब होता है मैं आपसे अपने हर गलत कर्मों का चाहे वह जानबूझकर हुआ हो या अनजाने हुआ हो उसकी क्षमायाचना करता हूँ l
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जैन धर्म में यह संवत्सरी महापर्व आज या कल शुरू होता है l इस साल (2021) यह पर्व 3 सितंबर/4 सितंबर के दिन शुरू हो रहा है l
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पर्युषण 2021 की तिथि
पर्युषण की शुरुआत हिंदू चंद्र कैलेंडर के भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से होती है. अंतिम दिन संवत्सरी प्रतिक्रमण है.
पर्युषण पर्व : 4 सितंबर 2021
संवत्सरी पर्व : सितंबर 11 2021
श्वेतांबर – (3 सितंबर से 10 सितंबर तक)
तेरापंथी – (4 सितंबर से 11 सितंबर तक)