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Diwali 2023-होंगे धनवान इस शुभ मुहूर्त पर करें लक्ष्मी पूजन, आरती पूजा-विधि के साथ

हिंदुओं का सबसे बड़ा और प्रमुख त्यौहार दिवाली 2023 इस वर्ष 12 नवंबर रविवार को पड़ रहा है।

Diwali 2023 Lakshmi Puja Shubh Muhurat Time

नई दिल्ली:आज दिवाली(Diwali)है। हिंदुओं का सबसे बड़ा और प्रमुख त्यौहार दिवाली 2023 (Diwali 2023) इस वर्ष 12 नवंबर रविवार को पड़ रहा है।

दिवाली के दिन जनमानस न केवल दियों की रोशनी से अपने घर और जीवन का अंधकार दूर करता है बल्कि मां लक्ष्मी के पूजन (Lakshmi-pujan) से घर में सुख,समृद्धि,शांति और खुशहाली बरकरार रखता है।

दियो का पर्व दिपावली रोशनी का त्‍यौहार है,जोकि हमें सीख देता है कि जीवन में भले ही कितनी ही कठिनाईयां आएं। झूठ,अहंकार और असत्य कितना ही सिर उठाएं लेकिन अंतत: जीत केवल सत्य, स्वाभिमान की ही होती है।

दिवाली कब है 12 या 13 को, जानें धनतेरस सहित दिवाली के शुभ मुहूर्त

दिवाली सत्य पर असत्य पर जीत का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आज ही के दिन  श्रीराम रावण की लंका का दहन करके चौदह वर्ष के वनवास से अयोध्या वापस लौटे थे।

इसी खुशी में पूरी प्रजा ने नगर में अपने राम का स्वागत घी के दीपक जलाकर किया। राम के भक्तों ने पूरी अयोध्या को दीयों की रोशनी से भर दिया था।

दीवाली के दिन को मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वहीं, यह भी माना जाता है कि दीवाली की रात को ही मां लक्ष्मी में भगवान विष्णु से शादी की थी।

इस दिन श्री गणेश, मां लक्ष्‍मी और मां सरस्‍वती की पूजा (Diwali Puja) का विधान है।

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मान्‍यता है कि विधि-विधान से पूजा करने पर दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि तथा बुद्धि का आगमन होता है. हिन्‍दुओं के अलावा सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी दीवाली धूमधाम से मनाते हैं।

Diwali 2023 Lakshmi Puja Shubh Muhurat Time

जानें कब है दीवाली ? दीवाली की तिथि और शुभ मुहूर्त-Diwali 2023 today-Lakshmi-puja shubh muhurat
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार दीवाली या दीपावली कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की अमावस्‍या को मनाई जाती है।

इस साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि की शुरूआत 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से होगी, जो अगले दिन यानी 13 नवंबर को 2 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगा l

ऐसे में दिवाली 12 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी l

12 या 13 दिवाली 2023 में कब ? (12 or 13 Diwali 2023 Exact Date)

इस साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 12 नवंबर 2023 को दोपहर दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी

और कार्तिक अमावस्या तिथि 13 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी.

हिंदू धर्म में उदयातिथि को ध्यान में रखते हुए त्योहार मनाया जाता है,

लेकिन दिवाली में लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में की जाती है इसलिए इस बार दिवाली 12 नवंबर 2023 को मनाई जाएगीl

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दिवाली 2023 लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त (Diwali 2023 Laxmi Puja Muhurat)

  1. लक्ष्मी पूजा (प्रदोष काल समय) – शाम 05.39 – रात 07.35 (12 नवंबर 2023)
  2. वृषभ काल – शाम 05:39 – रात 07:35
  3. लक्ष्मी पूजा (निशिता काल समय) – 12 नवंबर 2023, रात 11:39- 13 नवंबर 2023, प्रात: 12:32
  4. सिंह लग्न – प्रात: 12:10 – प्रात: 02:27 (13 नवंबर 2023)

दिवाली पूजा का शुभ मुहू्र्त (Diwali puja shubh muhurat 2023) – दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. इस दौरान आप गणेश और लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं l

दीवाली पूजन की सामग्री
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ।

लक्ष्‍मी पूजन की विधि
धनतेरस के दिन माता लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति खरीदकर दीपावली की रात उसका पूजन किया जाता है।

Diwali 2023 Lakshmi Puja Shubh Muhurat Time

दीवाली के दिन इस तरह करें महालक्ष्‍मी की पूजा-Diwali 2023 today-Lakshmi-puja shubh muhurat

मूर्ति स्‍थापना: सबसे पहले एक चौकरी पर लाल वस्‍त्र बिछाकर उस पर मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. अब जलपात्र या लोटे से चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें।

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्‍थां गतोपि वा । य: स्‍मरेत् पुण्‍डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।

धरती मां को प्रणाम: इसके बाद अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए दिए गए मंत्र का उच्‍चारण करें।

पृथ्विति मंत्रस्‍य मेरुपृष्‍ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्‍द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।  
ॐ पृथ्‍वी त्‍वया धृता लोका देवि त्‍वं विष्‍णुना धृता ।
त्‍वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम:  ।।
पृथ्वियै नम: आधारशक्‍तये नम: ।।

आचमन: अब इन मंत्रों का उच्‍चारण करते हुए गंगाजल से आचमन करें.
ॐ केशवाय नम:ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम:

ध्‍यान: अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए मां लक्ष्‍मी का ध्‍यान करें.
या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी
गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।
या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्‍वापिता हेम-कुम्भैः,
सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता ।।

आवाह्न: अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए मां लक्ष्‍मी का आवाह्न करें.
आगच्‍छ देव-देवेशि! तेजोमय‍ि महा-लक्ष्‍मी !
क्रियमाणां मया पूजांगृहाण सुर-वन्दिते !
।। श्रीलक्ष्‍मी देवीं आवाह्यामि ।।

पुष्‍पांजलि आसन: अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए हाथ में पांच पुष्‍प अंजलि में लेकर अर्पित करें.

अर्घ्‍य: अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए मां लक्ष्‍मी को अर्घ्‍य दें.
नमस्‍ते देव-देवेशि ! नमस्‍ते कमल-धारिणि !
नमस्‍ते श्री महालक्ष्‍मीधनदा देवी ! अर्घ्‍यं गृहाण ।
गंध-पुष्‍पाक्षतैर्युक्‍तंफल-द्रव्‍य-समन्वितम् ।
गृहाण तोयमर्घ्‍यर्थंपरमेश्‍वरि वत्‍सले !
।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अर्घ्‍यं स्‍वाहा ।।

स्‍नान: अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा को जल से स्‍नान कराएं. फिर  दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण यानी कि पंचामृत से स्‍नान कराएं. आखिर में शुद्ध जल से स्‍नान कराएं.

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मां लक्ष्‍मी की आरती–Lakshmi Ji ki aarti
मां लक्ष्‍मी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

दुर्गा रूप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥

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Reena Arya

रीना आर्य www.samaydhara.com की फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ है। रीना आर्य ने पत्रकारिता के महज 6-7 साल के भीतर ही अपने काम के दम पर न केवल बड़े-बड़े ब्रांड्स में अपनी पहचान बनाई बल्कि तमाम चुनौतियों और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए समयधारा.कॉम की नींंव रखी। हर मुद्दे पर अपनी ज्वलंत और बेबाक राय रखने वाली रीना आर्य एक पत्रकार, कंटेंट राइटर,एंकर और एडिटर की भूमिका निभा चुकी है।

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