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विजय माल्या के उड़ते पर्र कतरने वाले तेजतर्रार CBI ऑफिसर सुमन कुमार को जानें

तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें साल 2002 के सीबीआई के सर्वश्रेष्ठ जांच अधिकारी के स्वर्ण पदक से नवाजा था...

 Know CBI officer Suman Kumar who Hunted down Vijay Mallya

नई दिल्ली:भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) भारतीय बैंक को 9,000 करोड़ चूना लगाकर लंदन भाग गया था लेकिन सीबीआई ऑफिसर सुमन कुमार (CBI officer Suman Kumar) ने उसके उड़ते परो को काट दिया और आखिरकार विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर ही दिया।

गौरतलब है कि विजय माल्या ने ब्रिटेन की उच्चतम अदालत में प्रत्यार्पण के खिलाफ जो अर्जी लगाई थी उसे गुरुवार को उस वक्त बड़ा झटका लगा

जब ब्रिटेन की उच्चतम अदालत ने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील की अनुमति मांगने का उसका आवेदन अस्वीकृत कर दिया।

अब माल्या के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया 28 दिन के अंदर पूरी करनी होगी।

यह सब CBI के जाबांज अधिकारी सुमन कुमार की चुनौतीपूर्ण और बहुत ही सावधानी पूर्वक जांच व असंख्य बार लंदन यात्राओं का ही नतीजा है

कि 3 साल के बाद आखिरकार भगोड़े शराबी कारोबारी विजय माल्या के भारत प्रत्यार्पण का रास्ता साफ हो सका है।

विजय माल्या बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक रहे है। उनके खिलाफ प्रत्यर्पण का केस IDBI बैंक से कथित 900 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है।

आरोप है कि बैंकों के एक ग्रुप से विजय माल्या ने 9,000 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी की है, इसकी भी जांच चल रही है।

वर्ष 2015 में CBI ऑफिसर सुमन कुमार को विजय माल्या के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्हें यह जिम्मेदारी मुंबई के बैंकिंग धोखाधड़ी तथा प्रतिभूति प्रकोष्ठ के डीएसपी के तौर पर सौंपी गई थी।

 

कौन है CBI ऑफिस सुमन कुमार?- Who is CBI officer Suman Kumar who Hunted down Vijay Mallya

सुमन कुमार फिलहाल सीबीआई (CBI) में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हैं। सीबीआई में मौजूद सूत्रों ने कहा था गंभीर आरोपों के बावजूद

कर्ज देने वाले बैंकों ने विजय माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज नहीं कराया तो सीबीआई के लिए मुश्किल खड़ी हो गई थी।

हालांकि एजेंसी ने अपने सूत्रों पर आधारित जानकारी का इस्तेमाल कर विजय माल्या के खिलाफ 900 करोड़ रुपये के कथित कर्ज धोखाधड़ी मामले में प्राथमिकी दर्ज कर अपने कदम आगे बढ़ाने का फैसला किया

और कुमार को इस मामले की जांच सौंपी गई। 23 साल की आयु में उप-निरीक्षक के तौर पर सीबीआई में कदम रखने वाले कुमार का सफेदपोश अपराधों की जांच में शानदार रिकॉर्ड रहा है

तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने उन्हें साल 2002 के सीबीआई के सर्वश्रेष्ठ जांच अधिकारी के स्वर्ण पदक से नवाजा था।

सीबीआई की पारंपरिक जांच शैली में माहिर सुमन कुमार (55) को 2008 में सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक, 2013 में उत्कृष्ट जांचकर्ता और 2015 में राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है।

2015 में ही उन्होंने माल्या मामले की जांच शुरू की थी। माल्या जब 2016 में देश से भाग गया तो सीबीआई के लिए यह बड़ी शर्म की बात थी।

एजेंसी को उसे वापस लाने के लिए ब्रिटेन की अदालत (British court) में मुश्किल कानूनी लड़ाई लड़नी थी।

सीबीआई के तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक राकेश अस्थाना ने विशेष जांच दल के प्रमुख के रूप में मामले की बागडोर संभाली।

वह और कुमार इस मामले की जांच करने वाली एक शक्तिशाली टीम के अगुवा रहे। उन्होंने बार-बार लंदन के चक्कर लगाकर यह सुनिश्चित किया कि मामले की एक भी सुनवाई न छूटे।

उन्होंने क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस के साथ तालमेल बनाया जो लंदन की अदालतों में माल्या के खिलाफ मुकदमा लड़ रही थी।  

यह काम मुश्किल था क्योंकि यूरोप, विशेष रूप से ब्रिटेन में प्रत्यर्पण के मामलों में भारत का बहुत बुरा रिकॉर्ड रहा है।

सीबीआई (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सक्रिय समर्थन से क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस यह मुकदमा लड़ रही थी।

सुमन कुमार (Suman Kumar) ने तय किया कि माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी का एक ठोस मामला बनाया जाए।

इसके लिए भारत में चार्जशीट दायर की गई। भारत के लिए यह अनिवार्य था कि वह माल्या के खिलाफ ऐसे सबूत पेश करे जो ब्रिटेन के कानून के तहत दंडनीय अपराध हों।

सुमन कुमार ने अपनी चौकस जांच के बल पर इसे कथित धोखाधड़ी और धनशोधन मामले के तौर पर स्थापित करने में कामयाबी हासिल की।

उन्होंने अपनी जांच में जो निष्कर्ष निकाले, उससे भारत को माल्या के प्रत्यर्पण (Vijay Mallya extradition case) के समर्थन में निर्णायक तर्क पेश करने में कामयाबी मिली, जिसका नतीजा आज सभी के सामने है।

 

 

 

 Know CBI officer Suman Kumar who Hunted down Vijay Mallya

(इनपुट एजेंसी से भी)

 

 

 

 

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